जांघ और बाजुओं की चर्बी खत्म करती है कार्ब्स डाइट, हफ्तेभर में दिखता है असर

जैसे-जैसे जीवनशैली निष्क्रिय होती जा रही है, खानपान से कई पोषक तत्व बाहर होते जा रहे हैं। इनमें से एक है कार्बोहाइड्रेट। 
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जांघ और बाजुओं की चर्बी खत्म करती है कार्ब्स डाइट, हफ्तेभर में दिखता है असर


जैसे-जैसे जीवनशैली निष्क्रिय होती जा रही है, खानपान से कई पोषक तत्व बाहर होते जा रहे हैं। इनमें से एक है कार्बोहाइड्रेट। कार्बोहाइड्रेट यानी खाद्य शर्करा ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत होता है। हम जो भी खाते हैं उसमें लगभग दो तिहाई मात्रा कार्बोहाइड्रेट की होती है और यहीं से पैदा होती है एक बड़ी चिंता। चिंता ये कि कार्बोहाइड्रेट ऊर्जा देने के साथ आमतौर पर वजन भी बढ़ाता है। ऐसे में, जो लोग अपना वजन कम करना चाहते हैं उन्हें कार्बोहाइड्रेट कम खाने या फिर न खाने की सलाह दी जाती है। लेकिन कुछ कार्बोहाइड्रेट ऐसे होते हैं जिन्हें खाने से वजन बढ़ता नहीं, बल्कि घटता है। इसे आधुनिक भाषा में कार्ब्स डाइट कहते हैं। कार्ब्स डाइट न सिर्फ वजन कम करती है बल्कि यह हमारे शरीर को भी कई तरह के लाभी पहुंचाती है। 

कार्बोहाइड्रेट्स की अजीब कहानी है। कुछ लोग इसे पसंद करते हैं तो कुछ को ये नहीं भाते। कार्ब को डाइट में शामिल किया जाए या नहीं, किया जाए तो कितनी मात्रा में किया जाए, इसे लेकर भी बहस कभी खत्म नहीं होती। न्यूट्रिशनिस्ट और डाइटीशियंस की राय भी अलग-अलग होती है। कुछ लोग कहते हैं कि ऊर्जा और मांसपेशियों के निर्माण के लिए कार्ब जरूरी है तो कुछ इसे शरीर में अतिरिक्त चर्बी जमा करने का स्रोत मानते हैं। हाल ही में आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जांघ और बाजुओं की चर्बी को कम करने के लिए कार्ब्स डाइट सबसे अच्छा विकल्प है।

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क्या हैं कार्ब्स डाइट के फायदे

  • कार्ब्स डाइट का सेवन करने से देर तक भूख नहीं लगती और पेट भरे होने का एहसास बना रहता है। इससे व्यक्ति खाना कम खाता है।
  • कार्ब्स डाइट जैसे आलू, पास्ता, बीन्स या स्ट्राबेरी ऐसे फूड हैं जो लोगों को लगता है कि वजन बढ़ाते हैं जबकि ये असल में चर्बी को कम करते हैं।
  • वजन कम करने और जांघ और बाजुओं की चर्बी को कम करने में कार्ब्स डाइट बहुत महत्वपूर्ण रोल प्ले करता है। कार्ब्स डाइट लेने से शरीर टोन भी होता है।
  • यह कोलेस्ट्रॉल स्तर को सुचारु बनाए रखता है। बुरे कोलेस्ट्रॉल को घटाता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढाता है।
  • व्यायाम और शारीरिक गतिविधियों के साथ काब्र्स का सही संतुलन मांसपेशियों के लिए अच्छा होता है।
  • डाइट में शामिल कार्बोहाइड्रेट्स कई समस्याओं जैसे हार्ट डिजीज से बचाव में सहायक हैं।
  • काब्र्स पूरे दिन काम करने की ऊर्जा बनाए रखते हैं। कुछ लोग मानते हैं कि इनसे मेटाबॉलिज्म में वृद्धि होती है।

ये हैं अच्छे कार्ब

लो-कार्ब डाइट का इन दिनों काफी प्रचार हो रहा है। इस कारण रोटी या चपाती को डाइटिंग में कई बार नजरअंदाज किया जाता है, लेकिन सामान्य डाइट में यह जरूरी है। नियमित खाने में साबुत अनाज को प्राथमिकता दें। गेहूं में मक्का, सोयाबीन या चना मिला कर मोटा पिसवाएं। मक्का को इन दिनों बुरा कार्ब माना जाने लगा है, मगर रीअल मक्का हेल्दी व्होल ग्रेन है। इसमें भरपूर फाइबर, विटमिन सी, एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो सेहत के लिए फायदेमंद हैं। आटे में मिलाएं या सैलेड में, ये सेहत के लिए फायदेमंद है। आजकल बाज्ाार में व्होल ग्रेन आटा उपलब्ध है। जिन लोगों को गेहूं से एलर्जी हो, वे किनुआ को डाइट में शामिल कर सकते हैं। यह ग्लूटिन फ्री होने के साथ ही प्रोटीन का हेल्दी स्रोत भी है।

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क्यों जरूरी है कार्बोहाइड्रेट

कार्बोहाइड्रेट शरीर के लिए बेहद जरूरी हैं और इनके बिना शरीर को पूरा पोषण नहीं मिल सकता। लेकिन कुछ काब्र्स शरीर के लिए नुकसानदेह हैं, खासतौर पर तब, जबकि व्यक्ति दिन के 10-12 घंटे निष्क्रिय होकर बिताता हो। बुरे काब्र्स वे हैं, जिनमें शुगर की मात्रा अधिक है। ऐसे काब्र्स शरीर को भरा महसूस नहीं कराते। शुगर से भरपूर ड्रिंक्स जैसे सोडा, पेस्ट्रीज, कुकीज्ा, डोनट्स, कैंडीज, सिरप्स, चिप्स या क्रैकर्स ऐसी ही चीजें हैं। भारतीय किचन में सबसे ज्य़ादा इस्तेमाल होने वाली तली-भुनी चीजें, सफेद चावल, ब्रेड एवं मैदा भी बुरे काब्र्स में आता है।

बच्चों के लिए कार्ब

बच्चों को संतुलित मात्रा में हर तरह के काब्र्स देने जरूरी हैं। हड्डियों और मांसपेशियों के विकास का समय यही होता है। उनकी डाइट में फाइबर, कार्ब, फैट, प्रोटीन, विटमिंस, मिनरल्स और सभी पोषक तत्व होने चाहिए। ओट्स में सब्जियां मिला कर हेल्दी ब्रेकफस्ट बनाया जा सकता है। फ्लेक्स, पोहा भी बच्चों को दिया जा सकता है। बच्चे अंकुरित अनाज ज्य़ादा पसंद नहीं करते। इसलिए उन्हें नाश्ते में स्प्राउट्स, टोफू, सैलेड या पनीर वाले सैंडविच के अलावा सब्जियां भर कर परांठे दिए जा सकते हैं।

कार्ब से पहले लें प्रोटीन

न्यूयार्क (यूएस) वेल कॉर्नेल मेडिकल कॉलेज में हुए अध्ययन के अनुसार अलग-अलग तरह के खाद्य पदार्थों को किस ऑर्डर में खाया जाता है, इसका पोस्ट-मील ग्लूकोज लेवल और इंसुलिन स्तर पर प्रभाव पडता है। यह अध्ययन डायबिटीज की समस्या से ग्रस्त लोगों के लिए बडा कारगर है। डायबिटिक लोगों के लिए खाने के बाद ग्लूकोज स्तर को सामान्य रखना बडी चुनौती होता है। इससे पहले कुछ ऐसे अध्ययन आए थे, जिनमें कहा गया था कि कार्ब लेने से पहले प्रोटीन और सब्जियां खाने से पोस्ट-मील ग्लूकोजमील ग्लूकोज स्तर में 30 प्रतिशत से ज्य़ादा कमी देखी गई। इंसुलिन स्तर भी सामान्य रहा। पैनलिस्ट का दावा है कि किसी खाद्य पदार्थ को 'मत खाओ कहने के बजाय 'इसके पहले यह खाओ वाला तरीका ज्य़ादा कारगर है। डाइट से कार्ब को पूरी तरह निकालना सही विकल्प नहीं है। इसलिए कार्ब से पहले प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थ और हरी सब्जियां खाना जरूरी है।

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