कई बार दूसरों को खुश रखने के लिए, तो कई बार मजबूरी में, हम किसी काम को 'ना' नहीं कह पाते। यह जानते-बूझते कि उस काम को कर पाना हमारे लिए आसान नहीं होता। लेकिन, क्या करें हम किसी की गुड लिस्ट में जो बने रहना चाहते हैं। और इसके लिए हां कहना ही लगता है सबसे आसान रास्ता। लेकिन, हमारी यह आदत ही हमसे करवाती है कई गलतियां। यह आदत हमें कई मुश्किलों में डाल देती है।
'द 100 सिंपल सीक्रेट ऑफ हैप्पी पीपल' डेविड नीवेन (पीएचडी) प्लोरिडा एटलांटिक यूनिवर्सिटी के मनोविदों ने एक अध्ययन किया। इसके मुताबिक जो लोग अपने अनुसार अपने निर्णय लेते हैं वे दूसरों की इच्छानुसार चलने वाले लोगों की तुलना में 3 गुना ज्यादा खुश रहते हैं। यानी पहले अपने बारे में सोचना ज्यादा फायदेमंद होता है।
महिलाओं में अकसर यह समस्या देखी जाती है। दरअसल, लड़कियों को अक्सर बचपन से ही दूसरों के बारे में सोचने की ट्रेनिंग दी जाती है। इसलिए वे कई बार ये सोचने लगती हैं कि यदि वे दूसरों की खुशी का ध्यान नहीं रखेंगी तो वह आत्मकेंद्रित हो सकती हैं। इससे उनके आस-पास कोई सहयोगी नहीं होगा। यह सोच गलत भी हो सकती है क्योंकि अपनी कीमत पर दूसरों को खुश करने की कोशिश में जरूरी नहीं कि वे उनसे खुश हों। इसलिए हमेशा हां करने से बचें।
हम दूसरों को ना कहना नहीं चाहते। और कई बार चाहते हुए भी नहीं कह पाते। दरअसल, ना कहना एक कला है। ऐसी कला, जिसमें मसाला जरा सा ऊपर-नीचे हुआ नहीं कि आपके व्यक्तित्व और पुरानी मेहनत सब पर पानी फिर जाएगा। इसलिए सही तरीके, सही अंदाज, सही लहजे और सही मौके पर न बोलना आना चाहिए। हर बात पर ना कहना भी अच्छा नहीं। और किसी भी बात पर ना कहना तो और भी बुरा है। आपको अपने भीतर वह कला विकसित करनी होगी, जिससे आप सही प्रकार से ना कहने की कला में पारंगत हो सकें। ना कहने का अंदाज ही लोगों के मन में आपके लिए एक राय बनती है। और यह राय ही भविष्य में आपके रिश्तों, भले ही वे निजी हों, या व्यावसायिक, का आधार तय होता है।
कुछ लोगों की चाहत बस इतनी होती है कि लोग उन्हें पसंद करें। और इसके लिए वे अपनी खुशी, इच्छाओं और जरूरतों को दरकिनार कर देते हैं। इसका असर उनके काम पर भी नजर आता है। अध्ययन बताते हैं कि जब सच में हमें किसी से न कहना हो तो उस समय हां कहना अच्छी बात नहीं होती। अब सवाल यह उठता है कि आखिर हम न कहने से क्यों डरते हैं। क्या है जो हमें रोके रखता है। हम अपने मन के भीतर ही कुछ बैरियर लगा लेते हैं, जो हमें सच का सामना करने से रोकते हैं।
आप दूसरों की मदद करना चाहते हैं
आपका नरम दिल के इनसान हैं। आप किसी व्यक्ति को ना नहीं कहना चाहते। और जब भी हो सके आप दूसरों की मदद करना चाहते हैं। भले ही इसकी वजह से आपका टाइम ही क्यों न खराब हो।
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कहीं मैं बुरा न बोल जाऊं
हम यही समझते हैं कि किसी को ना कहना बुरा माना जाता है। खासतौर पर यदि वे आपसे उम्र में बड़े हों। भारतीय समाज में यह सोच काफी प्रचलित है। हम किसी को न कहने के 'पाप' से बचना चाहते हैं।
सहमति जताने के लिए
हालांकि आप सबसे सहमत नहीं हैं। लेकिन आप समूह में सबसे अलग नहीं होना चाहते। और इसलिए आप भी हां कर देते हैं।
बहस का डर
आपको डर होता है कि यदि आप न कर देंगे तो सामने वाला व्यक्ति नाराज हो सकता है। इससे आप बुरे हालात में फंस सकते हैं। भले ही ऐसा न हो, लेकिन आप भविष्य की आशंकाओं को लेकर अनिश्चितता के माहौल में रहते हैं।
तो आखिर कैसे और किस अंदाज में बोला जाए 'ना'। कैसे आप ना कह भी दें और दूसरों को बुरा भी न लगे। जानिये -
पक्का नहीं है, यार
आपके पास अपना काम बहुत है, ऐसे में कोई आपसे कुछ काम करने को कहता है। तो आप इस नियम को अपना सकते हैं। आप कह सकते हैं कि मैं आपका काम करने का वादा नहीं सकता, मेरे पास अपना काम बहुत है। यह दूसरे व्यक्ति के लिए एक संकेत है कि आप फिलहाल उस काम को नहीं कर सकते। आप यह भी कह सकते हैं कि अभी आप काम कर रहे हैं। काम के बीच में यदि आपके पास फोन आ जाता है, तो आप उसे कह सकते हैं फिलहाल आप बिजी हैं, हम बाद में बात कर सकते हैं।
मैं तो कर तो देता, लेकिन...
यह अधूरा वाक्य, पूरी कह देता है पूरी बात। यह ना कहने का शांत अंदाज है। इससे सामने वाले व्यक्ति को लग जाता है कि आप काम करना तो चाहते हैं, लेकिन किसी वजह से कर नहीं पा रहे। हां, इस बात का ध्यान रखें कि यदि आपको सामने वाले का आइडिया पसंद हों, तभी यह बात करें, वरना बाकी फार्मूले लगा सकते हैं।
मैं सोचकर बताता हूं
यह सीधा 'ना' न होकर 'शायद' वाली परिस्थिति है। आप काम करना चाहते हैं, लेकिन अभी सीधे हां नहीं कहना चाहते, तो यह उपाय को आजमा सकते हैं। कई बार हम किसी काम को करना तो चाहते हैं, लेकिन फिलहाल हम दूसरे कामों में फंसे होते हैं और ऐसे में उस काम की हामी नहीं भरते। इस वक्त का इस्तेमाल आपके दिमाग में नये विचार आते हैं। और किसी आखिरी नतीजे पर पहुंचने से पहले अच्छी तरह विचार कर लेते हैं।
साफ मना करें
सबसे सीधा तरीका है कि आप साफ-साफ मना कर दें। हम ना कहने के लिए कई रुकावटें लगाये रखते हैं। इनमें से ज्यादातर बंदिशें हमारी खुद की बनायी हुई होती हैं। और उनका वास्तवकिता से कोई लेना-देना नहीं होता। ना कहने के बारे में बहुत ज्यादा न सोचें और साफ-साफ मना कर दें। आपको यह देखकर हैरानी होगी कि प्रतिक्रिया उतनी बुरी नहीं थी, जितनी कि आप सोच रहे थे।
उन बातों को न कहना सीखें, जो आपके लिहाज से आपके लिए सही नहीं हैं। और एक बार जब आप ऐसा कर लेंगे, तो आप पाएंगे कि यह वाकई बहुत आसान है। आपको अपने लिए अधिक वक्त मिलेगा और आप अपने लिए जरूरी काम कर सकेंगे। और इसके बाद आपके लिए खुश रहना और आसान होगा।
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