
शोधकर्ताओं ने पाया कि ऑस्टियोपेरोसिस यानी हड्डी के पतलेपन और घनत्व में कमी के कारण हड्डी टूटने का खतरा बढ़ जाता है. यह बुजुर्गो की एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है. अक्सर ये हालात अस्थि मज्जा में वसा कोशिकाओं की वृद्धि के साथ पैदा होते हैं.
वैज्ञानिकों ने एक ऐसे तंत्र की पहचान की है जो बताता है कि बुजुर्गो की हड्डियों में कमजोरी क्यों आ जाती है. साथ ही शोधकर्ताओं ने ऐसा तरीका खोज निकाला है, जिसके जरिए भविष्य में बढ़ती उम्र के साथ हड्डियां कमजोर होने के इलाज में काम आ सकता है. शोधकर्ताओं ने पाया कि ऑस्टियोपेरोसिस यानी हड्डी के पतलेपन और घनत्व में कमी के कारण हड्डी टूटने का खतरा बढ़ जाता है. यह बुजुर्गो की एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है. अक्सर ये हालात अस्थि मज्जा में वसा कोशिकाओं की वृद्धि के साथ पैदा होते हैं.
बर्मिघम के अलबामा युनिवर्सिटी के प्रोफेसर यू-पिंग ली के नेतृत्व में हुए एक अध्ययन में सामने आया है कि सीबीएफ-बीटा नामक एक प्रोटीन हड्डियों के बनने में मददगार कोशिकाओं को शरीर में बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
चूहों पर किए गए एक परीक्षण में पाया गया कि युवा चूहों की तुलना में वृद्ध चूहों की अस्थि मज्जा कोशिकाओं में सीबीएफ-बीटा का स्तर नाटकीय रूप से कम पाया गया. इस निष्कर्ष से पता चलता है कि इस तंत्र में खराबी आने पर, कोशिकाएं हड्डियों को बनाने में मदद करना बंद कर देती हैं और वसा कोशिकाओं को बनाने में मदद करती हैं.
ली ने कहा, सीबीएफ-बीटा नाम के प्रोटीन को बनाए रखना मानव आयु-संबंधित ऑस्टियोपेरोसिस को रोकने में मदद कर सकता है. शोध का परिणाम नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज की पत्रिका 'प्रोसीडिंग्स' में प्रकाशित किया गया है. शोधकर्ताओं का कहना है कि इस तंत्र की जानकारी होने से कम से कम साइड इफेक्ट के साथ मानव अस्थि मज्जा का इलाज किया जा सकता है.
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