कैंसर... दुनिया की सबसे घातक बीमारी है जिसके इलाज में इंसान फिजिकली, फाइनेंशियली और मेंटली, हर तरह से हिम्मत हार जाता है। कैंसर का इलाज काफी जटिल और महंगा होता है। जिस कारण इस साल चिकित्सा का सबसे बड़ा नोबेल पुरस्कार कैंसर का इलाज ढूंढने वाली तरकीब को दिया गया है।
जी हां, हम बात कर रहे हैं ऑटोफैगी की जिसने भविष्य में कैंसर के आसान इलाज की नई राह दिखाई है।
इस साल चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार जापान के वैज्ञानिक योशिनोरी ओहसुमी को ऑटोफैगी के मेकेनिज्म के लिए दिया गया है। इस खोज से चिकित्सा जगत में ये संभावना जताई जा रही है कि अब कैंसर व कई अन्य बीमारियों का इलाज आसानी से संभव हो सकेगा। आइए इस लेख में जानें कि क्या है ऑटोफैगी और कैसे ठीक होगा इससे कैंसर...
इन बीमारियों का होगा इलाज
सबसे पहले उन बीमारियों की लिस्ट जिससे ऑटोफैगी का सफल इलाज हो सकेगा। ये रहे-
- कैंसर के उपचार में
- उम्रसंबंधी बीमारियों के उपचार में
- कोशिका संबंधी बीमारियों के इलाज में
- मस्तिष्क कुरूपता और मानसिक तौर पर अपंगता को किया जा सकेगा ठीक
- देर से होने वाले शारीरिक विकास के इलाज में
- कुष्ठता, पार्किंसन बीमारी के इलाज में
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क्या है ऑटोफैगी
ऑटोफैगी एक ग्रीक शब्द है। ये दो शब्दों, ऑटो और फैगी को मिलाकर बना है। ऑटो का मतलब- स्वयं और फैगी का मतलब भक्षण होता है। जिससे की ऑटोफैगी का अर्थ हुआ- स्वयं का भक्षण। मतलब स्वयं को खा लेने वाला। ऑटोफैगी एक सामान्य मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है जो शरीर में कोशिकाओं के विनाश के लिए जिम्मेदार होती है।
बेकर की यीस्ट पर किया था सबसे पहले परीक्षण
इसकी अवधारण 1960 में सामने आई थी जब शोधकर्ताओं ने देखा कि कोशिकाएं अपने तत्वों को मेंब्रान से जोड़कर उसे खुद नष्ट कर देती हैं। यह समस्थापन तथा सामान्य कार्यों को प्रोटीन अवक्रमण के द्वारा जारी रखती है तथा नष्ट हुए कोशिका अंगक के बदले नए कोशिका का निर्माण करती है। 1990 के दशक में योशिनोरी ने ऑटोफैगी के आवश्यक जीन की पहचान के लिए बेकर की यीस्ट का इस्तेमाल किया था। उन्होंने यीस्ट में कोशिकाओं के भक्षण को सही तरीके से दर्शाते हुए ये बताया था कि मनुष्यों के कोशिकाओं में भी इसी तरह से कोशिकाओं को भक्षण होता है। यानि की कोशिकाएं अपनी जरूरतों का खुद ही पुनर्चक्रण कर लेती हैं। जापान के योशिनोरी ने अपने खोज में कोशिका की इस पूरी प्रकिया को ही दर्शाया है।
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कैसे काम करता है ऑटोफैगी
ऑटोफैगी कोशिकीय समस्थापन रखरखाव में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। इसके अतिरिक्त ऑटोफैगी विभिन्न शारीरिक प्रक्रियाओं में भाग लेती है, जैसे, कोशिका विभेदन, भ्रूणता जहां कोशिका द्रव्य के अदिक भाग के निपटान की आवश्यकता होती है। विभिन्न प्रकार की तनाव की प्रक्रिया में ऑटोफैगी तेजी से कोशिकाओं में प्रवेश करती है जो हानिकारक जीवाणुओं से सुरक्षा के महत्व को बताती है तथा कोशिकीय क्षति तथा बढ़ती उम्र से संबंधित बीमारियों से निपटने में सक्षम होती है, क्योंकि ऑटोफैगी प्रवाह में लापरवाही करना मतलब अप्रत्यक्ष रुप से बहुत बड़ी संख्या में मानवीय रोगों को आमंत्रित करना।
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