
छोटे बच्चों में अक्सर कोई न कोई समस्या लगी ही रहती है। बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा इंफेक्शन्स का होता है। इसका कारण यह है कि बच्चों का इम्यून सिस्टम उनके आसपास के नए-नए प्रकार के वायरस और बैक्टीरिया से लड़ता रहता है, जिसके परिणाम स्वरूप वे जल्दी-जल्दी संक्रमणों का शिकार होते हैं। बच्चों में एक ऐसी ही वायरल बीमारी है फिफ्थ डिजीज (Fifth Disease) या स्लैप्ड चीक सिंड्रोम (Slapped Cheek Syndrome), जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। ये बीमारी 5-7 साल की उम्र के बच्चों में ज्यादा पाई जाती है। इस वायरल सिंड्रोम के बारे में Nivedita Dadu's Dermatology Clinic की फाउंडर और चेयरमैन व प्रसिद्ध डर्मेटोलॉजिस्ट Dr. Nivedita Dadu से ओनलीमायहेल्थ ने खास बातचीत की और उनसे बीमारी के इलाज के बारे में जानने का प्रयास किया है। आप भी पढ़ें उन्होंने क्या कहा।

स्लैप्ड चीक सिंड्रोम या फिफ्थ डिजीज क्या है?
डॉ. निवेदिता बताती हैं, स्लैप्ड चीक सिंड्रोम को ज्यादातर लोग फिफ्थ डिजीज के नाम से जानते हैं। एक एक वायरस के कारण होने वाली बीमारी है, जिसका नाम पारवोवायरस B19 (parvovirus B19) है। आमतौर पर ये वायरस छोटे बच्चों को ज्यादा प्रभावित करता है। ये बीमारी संक्रामक होती है और किसी व्यक्ति में श्वांसनली की बूंदों, सलाइवा या खून के द्वारा फैल सकती है, यानी संक्रमित व्यक्ति के बहुत नजदीक जाने या उसके छींकने, खांसने से ये बीमारी फैल सकती है।
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क्या सिर्फ बच्चों को होती है ये बीमारी?
फिफ्थ डिजीज सिंड्रोम सिर्फ बच्चों को नहीं, बल्कि बड़ों को भी हो सकता है। हालांकि बच्चों को इसका खतरा ज्यादा होता है और संक्रामक होने के कारण बड़े भी इसका शिकार हो सकते हैं। यहां एक बात जो ध्यान देने योग्य है, वो ये कि बड़ों में इस बीमारी के लक्षण बच्चों से कहीं ज्यादा गंभीर हो सकते हैं। आमतौर जिन बच्चों को ये बीमारी हो चुकी होती है, उनके शरीर में इसके खिलाफ एंटी-बॉडीज बन चुकी होती हैं, इसलिए बड़े होने पर वो इसका शिकार नहीं होते हैं। वैसे तो ये बीमारी खतरनाक नहीं होती है, मगर गर्भवती महिलाओं को अगर हो जाए, तो कुछ गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, जैसे- एनमीया या गर्भ में पल रहे शिशु को कोई गंभीर समस्या।
क्या हैं फिफ्थ डिजीज के लक्षण?
फिफ्थ डिजीज के आम लक्षणों में हल्का-फुल्का बुखार, थकान, शरीर पर रैशेज आदि शामिल हैं। ये रैशेज मुख्य रूप से गालों पर सबसे ज्यादा होते हैं इसीलिए इसे स्लैप्ड चीक सिंड्रोम भी कहा जाता है। इसके अलावा इस संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा ठंड के मौसम में या फिर बसंत के मौसम में होता है। एक बार रैशेज आ जाने के बाद बच्चे संक्रामक नहीं रह जाते हैं, इसलिए उसके बाद उनके द्वारा संक्रमण फैलने का खतरा कम हो जाता है। इस बीमारी के लक्षण इस प्रकार हैं-
- दिनभर थकान
- सिर दर्द
- हल्का-फुल्का बुखार (Low-Grade Fever)
- लगातार नाक बहना
- मतली
- गले में खराश और दर्द
आमतौर पर ये लक्षण वायरस के संपर्क में आनेके 4 से 10 दिन के भीतर दिखने लगते हैं और कई बार गंभीर भी हो जाते हैं।
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क्या है फिफ्थ डिजीज का इलाज?
फिफ्थ डिजीज या स्लैप्ड चीक सिंड्रोम के लिए कोई विशेष दवा या इलाज नहीं है। स्वस्थ लोगों और बच्चों में ये समस्या 2 से 3 सप्ताह में अपने आप ठीक हो जाती है। लेकिन वयस्कों में इसके लक्षण गंभीर हो सकते हैं और कुछ अन्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे- जोड़ों में दर्द, शरीर में सूजन आदि। अगर लक्षण गंभीर हैं, तो इस संक्रमण के इलाज के लिए आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इसके लिए डॉक्टर आपको कुछ दवाएं दे सकते हैं। आमतौर पर फिफ्थ डिजीज की समस्या होने पर पानी ज्यादा पीना चाहिए।
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