शहद का प्रयोग युगों-युगों से होता आया है। शहद को हजम करने की आवश्यकता नहीं होती यह एक स्वयं पचा हुआ पोषक आहार है। इसके सेवन से शरीर को सीधे तौर पर उर्जा मिलती है जिसका उपयोग बच्चे, बूढ़े, जवान और रोगी सभी कर सकते है। शहद या मधु एक प्राकृतिक पदार्थ है, जो मधुमक्खियों द्वारा फूलों के रस को चूसकर तथा उसमें अतिरिक्त पदार्थों को मिलाने के बाद छत्ते के कोषों में एकत्र किया जाता है। मधुमेह रोगी आमतौर पर शहद का प्रयोग नहीं कर सकते है। क्योंकि शहद उनके लिए अनुकूल नहीं है। लेकिन मधुमेह रोगी एक विशेष प्रकार के शहद का इस्तेमाल कर सकते है। नीम के पेड़ों के फूल से बने हुए शहद का। इस शहद का उपयोग मधुमेह रोगी कर सकते है, पर कम मात्रा में, ज़्यादा मात्रा में नहीं। क्योकि ज्यादा मात्रा में शहद का इस्तेमाल मधुमेह रोगी को नुकसान पहुंचा सकता है।
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मधुमेह रोगी के लिए शहद का प्रयोग करने के तरीके
- शहद कि गुणवत्ता मधुमक्खियों द्वारा बनाये जाने वाले छत्ते के स्थान पर निर्भर करता है छत्ते के आसपास लगे फूलों के गुण शहद में संचित रहते है। जामुन पर लगे छत्ते का शहद मधुमेह के लिए अधिक उपयोगी होता है। शहद शीघ्र हजम होकर रक्त में मिल जाता है। शहद को दूध, दही, पानी, सब्जी, सूप, फलों के रस में मिलाकर सेवन कर सकते हैं।
- मधुमेह में आंवले के रस में हल्दी व शहद मिलाकर सेवन करने से भी मधुमेह रोगी को फायदा मिलता है।
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मधुमेह रोगियों के लिए शहद के फायदे
- शहद शुगर की मात्रा और कोलस्ट्रोल को नियंत्रित करता है।
- शहद शरीर को ऊर्जावान बनाता है। इसलिए कम मात्रा में इसका सेवन मधुमेह में लाभकारी होता है।
मधुमेह रोगी के लिए हर रोज एक चम्मच शहद का सेवन ही फायदेमंद है, शहद का अधिक मात्रा में सेवन फायदे की बजाए नुक्सान कर सकता है ।
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