ह्रदय एक पेशीय (muscular) अंग है, जो सभी कशेरुकी (vertebrate) जीवों में आवृत ताल बद्ध संकुचन के द्वारा रक्त का प्रवाह शरीर के सभी भागों तक पहुंचाता है। औसतन मानव ह्रदय एक मिनट में 72 बार धड़कता है, जो एक जीवन काल में 2.5 बिलियन बार धड़कता है। इसका भार औसतन महिलाओं में 250 से 300 ग्राम और पुरुषों में 300 से 350 ग्राम होता है। अक्सर जब ह्रदय रक्त को पंप नही कर पाता है तो इसे ही हार्ट अटैक कहा जाता है। आमतौर पर यह ऑक्सीजन की कमी के कारण होता है। चिकित्सकों के अनुसार 90 प्रतिशत ह्रदय रोग कोरोनरी धमनियों के सिकुड़ने से होती है, इन्हीं धमनियों से ही ह्रदय को उर्जा मिलती है। इन कारणों के अलावा हार्ट फेल होने का एक और भी कारण है जिसे नजरअंदाज करना जानलेवा हो सकता है।
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हार्ट फेल होने की वजह
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आमतौर पर मोटापा, उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल (cholesterol) ह्रदय रोग (heart disease) के जोखिम को बढ़ाते हैं। हालांकि, हृदयाघात के आधे मामले उन लोगों में होते हैं जिनमें कोलेस्ट्रोल का स्तर सामान्य होता है। इन सब कारणों के बीज हार्ट फेल होने की एक और वजह भी है, इस स्थिति में अक्सर ह्रदय की मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं, अंदर का चैंबर छोटा हो जाता है और ह्रदय को आराम करने की उस स्थिति में जाने का मौका नहीं मिलता, जिससे खून पंप होकर बाहर निकल सके। ऐसा न होने पर खून वापस फेफड़ों में चला जाता है, जो हार्ट फेल होने का कारण बनता है। विशेषज्ञों की मानें तो इससे होने वाली मौतों की दर सामान्य हार्ट फेल होने से होने वाली मौत के बराबर ही है। एक आंकड़े के मुताबिक प्रतिवर्ष 20 प्रतिशत लोगों की मौत हार्ट अटैक से होती है। पिछले कुछ वर्षों पर नजर डालें तों हार्ट फेल होने के दोनों तरीकों में बढ़ोत्तरी हुई है। दोनों तरह के हार्ट फेल होने के लक्षण लगभग एक जैसे ही होते हैं।
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