
जापानी मस्तिष्क का रोग एक संक्रामक रोग होता है जो मच्छरों द्वारा फैलता है, और यह रोग उत्तर प्रदेश में रहनेवाले करीब 600 लोगों के लिए पहले ही घातक साबित हो चुका है। सूअरों से लिए गए 20 प्रतिशत रक्त के नमूने जापानी मस्तिष्क की सूजन के रोग से ग्रसित पाए गए हैं। यह इस बात का एक संकेत है कि इस रोग का खतरा शहर पर व्यापक रूप से मंडरा रहा है।
जांच के लिए 81 मारे हुए सूअरों से रक्त के नमूने लिए गए, जिनमे से 17 सूअरों में जापानी मस्तिष्क रोग के सकारात्मक लक्षण पाए गए। एम् सी डी स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष डॉक्टर वी के मोंगा ने इस बात पर अपनी चिंता जताई और कहा कि 100 और सूअरों के रक्त के नमूने परीक्षण के लिए भेजे जायेंगे। जिन 17 सूअरों के रक्त संक्रमित पाए गए थे उनके रक्त के नमूने शहर के विभिन्न क्षेत्रों से लिए गए थे, 8 सिविल लाइंस से, 6 शाहदरा दक्षिण से और 3 पहाड़गंज क्षेत्र से।
लोगों में इस रोग के सकारात्मक लक्षण के बारे में सबसे पहले अक्टूबर 2011 में पता चला। चार लोगों में इस रोग के सकारात्मक लक्षण दिखाई दिए। चूँकि यह रोग सूअरों से मनुष्यों में मच्छरों द्वारा फैलता है, तो डॉक्टर मोंगा ने संकट की चेतवानी देकर इस रोग के फैलाव के बारे में सावधानी बरतने की सलाह दी है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें इस रोग के प्रसारण के यानि फैलने के कारण तब तक पता नहीं चला था जब तक कि उन्होंने सूअरों के रक्त के नमूने नहीं देख लिए थे।
चूँकि यह रोग उत्तर प्रदेश और बिहार में व्यापक रूप से फैला हुआ है,अतः ऐसा माना जा रहा है कि इन राज्यों से सूअरों का प्रवेश दिल्ली में इस रोग के फैलाव के लिए काफी हद तक ज़िम्मेदार है। अतः इनसे सम्बंधित प्राधिकारियों को चाहिए कि दिल्ली में दूसरे राज्यों से आते हुए सूअरों के प्रवेश पर रोक लगायें खासकर तब जब यह साबित हो जाये कि ये सूअर इस रोग से संक्रमित हैं।
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