'इंस्टाग्राम' बना युवाओं का दुश्मन, हो रहे हैं एंग्जाइटी और एफओएमओ रोग के शिकार

इंस्टाग्राम सोशल मीडिया का एक ऐसा हिस्सा है जो न सिर्फ रिश्तों को खराब कर रहा है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। इंस्टाग्राम चलाने की लत ज्यादातर युवाओं को होती है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट से पता चला है कि इंस्टाग्राम चलाने से युवाओं की सेहत बुरी तरह प्रभावित हो रही है। इससे बच्चे एंग्जाइटी डिसऑर्डर, डिप्रेशन, सिर में दर्द, अनिद्रा, याददाशत कमजोर होना और फियर ऑफ मिसिंग आउट जैसी गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। 
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'इंस्टाग्राम' बना युवाओं का दुश्मन, हो रहे हैं एंग्जाइटी और एफओएमओ रोग के शिकार

आजकल सोशल मीडिया का प्रभाव लोगों की जिंदगी में जरूरत से ज्यादा पड़ने लगा है। इंस्टा सोशल मीडिया का एक ऐसा हिस्सा है जो न सिर्फ रिश्तों को खराब कर रहा है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। इंस्टाग्राम चलाने की लत ज्यादातर युवाओं को होती है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट से पता चला है कि इंस्टाग्राम चलाने से युवाओं की सेहत बुरी तरह प्रभावित हो रही है। इससे बच्चे एंग्जाइटी डिसऑर्डर, डिप्रेशन, सिर में दर्द, अनिद्रा, याददाशत कमजोर होना और फियर ऑफ मिसिंग आउट जैसी गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। ब्रिटेन में हुए इस सर्वे में इंस्टाग्राम को दुनिया का सबसे खतरनाक सोशल एप बताया है। दूसरे नंबर पर स्नैपचैट, तीसरे नंबर पर फेसबुक और चौथे नंबर पर ट्विटर आता है। ये ऐसे एप हैं जो बच्चों को घंटों अपने में उलझाए रहते हैं। तरह तरह के फीचर होने के चलते बच्चे भी अपने जरूरी काम को छोड़कर इन्हीं में लगे रहते हैं। इंस्टाग्राम का इस्तेमाल करने में महिलाएं पुरुषों से बहुत आगे हैं। अन्य आयु वर्ग की तुलना में 90 प्रतिश युवा सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं। इसलिए युवा ऐसी बीमारियों की चपेट में जल्दी आते हैं।

ज्यादा इंस्टाग्राम इस्तेमाल करने के नुकसान

इंस्टाग्राम एक ऐसी फोटो एडीटिंग एप्लीकेशन है जिससे आपके बच्चे का न सिर्फ आज बल्कि कल भी बिगड़ सकता है। अब आप सोचेंगे कि फोटो को एडिट करने वाली एप्लिकेशन तो बहुत सारी हैं, सिर्फ इंस्टाग्राम ही बच्चों के लिए बुरा क्यों है? दरअसल, इस इंस्टाग्राम में न सिर्फ फोटो एडीटिंग एप्लीकेशन है बल्कि फोटो शेयरिंग की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट भी है। यहां लाखों लोग अपनी फोटो शेयर करते हैं। अब जिस वेबसाइट के जरिये आपका बच्चा पूरी दुनिया के संपर्क में आ सकता है, उसके नुकसान भी तो होंगे ही। अक्सर लड़कियों में यह होड़ मची हुई है कि वह कैसे दूसरी लड़कियों से अलग और खूबसूरत लगे। 

इंस्टाग्राम के बच्चों पर पड़ने वाले असर

  • इंस्टाग्राम का इस्तेमाल करने से आपका बच्चे की पहुंच उन चीजों तक भी पहुंच सकती है जिससे आप उसे बचाना चाहते है। इंस्टाग्राम में पूरी दुनिया के लोग तस्वीरें और वीडियो शेयर करते हैं। इन तस्वीरों और वीडियो में बड़ी मात्रा में एडल्ट भी होती हैं, हैशटैग के जरिये आपका बच्चा आसानी से इन तस्वीरों तक पहुंच सकता है। अब आप ही सोचें, अगर आपका बच्चा इतनी छोटी उम्र में एडल्ट कंटेट देखने लगेगा तो उसका भविष्य कैसा रहेगा?
  • इंस्टाग्राम का इस्तेमाल करने वाले लोगों को अच्छी से अच्छी तस्वीर अपलोड करने की लत जल्द ही लग जाती है। सब चाहते हैं कि उनकी तस्वीरों को ज्यादा से ज्यादा लोग देखें और लाइक करें। उस पर ढेर सारे कमेंट हों। बच्चे इस लत की गिरफ्त में थोड़ा जल्दी आ जाते हैं। वो इंस्टाग्राम के लिए तस्वीरें इकट्ठी करने के लिए कई बार ऐसी हरकतें भी कर जाते हैं जो उनके लिए खतरनाक होती है। जैसे किसी ऊंची बिल्डिंग की छत की रेलिंग पर खड़े होकर सेल्फी लेना और फिर उसे अपलोड करना।
  • इंस्टाग्राम में दुनिया के हर कोने से लोग होते हैं। ये लोग कैसे हैं, इनका बैकग्राउंड क्या है, वो जो जानकारी दे रहे हैं वो सही भी है या नहीं, आपको इसका मालूम नहीं होता। ऐसे में आपके बच्चे गलत लोगों के संपर्क में आ सकते हैं। अगर आपके बच्चे इंस्टाग्राम इस्तेमाल करते हुए आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के संपर्क में आ जाएं, और आप उन्हें सही वक्त पर रोक भी न पाएं तो आपका बच्चा अपना भविष्य खराब कर सकता है।
  • बच्चे पर्सनल और पब्लिक में ज्यादा अंतर नहीं कर पाते। अगर आपका बच्चा इंस्टाग्राम जैसे पब्लिक प्लेटफॉर्म पर अपनी पर्सनल तस्वीरें (जिनमें आपत्तिजनक तस्वीरें भी शामिल हैं) शेयर कर देता है तो उससे उसे बहुत नुकसान पहुंच सकता है। कोई भी उस तस्वीर को कॉपी करके उसका गलत जगह इस्तेमाल कर सकता है और आपके बच्चे को इस बारे में जानकारी भी नहीं होगी। ये समस्या अक्सर लड़कियों के साथ होती है। कभी बार मामला इतना गंभीर हो जाता है कि बच्चे मानसिक रूप से बहुत परेशान हो जाते हैं।
  • इंस्टाग्राम एक लत है। जब बच्चा इसका इस्तेमाल करता है और उसे इसकी लत लग जाती है तो वो अपना ध्यान और कहीं नहीं लगा पाता। जिसकी वजह से पढ़ाई या अन्य गतिविधियों में से उसकी रूचि कम से कम होती जाती है। ये लत इस तरह से आपके बच्चे के उज्जवल भविष्य के लिए एक समस्या है।

समाज से करता है आपको दूर

तकनीक के कारण लोगों तक पहुंच पहले से काफी आसान हो गयी है। लेकिन, इसका एक नुकसान यह भी है कि यह हमें अकेलेपन में डाल सकती है। सोशल मीडिया वेबसाइटों पर दुनिया भर की जानकारी भरी पड़ी होती है। और इन्‍हीं जानकारियों को खंगालने में हमारा काफी वक्‍त गुजर जाता है। तकनीक के कारण फौरन मैसेज भेजना भी पहले की अपेक्षा आसान हो गया है। आप फौरन दोस्‍तों के स्‍टेटस पर लाइक और कमेंट कर अपनी आभासी मौजूदगी दर्ज करा देते हैं। ऑनलाइन ज्‍यादा जुड़ने से हम असली दुनिया से दूर होते जा रहे हैं।

खुद के लिए वक्त नहीं है

सोशल मीडिया आपको कभी अकेला नहीं छोड़ता। आप भले ही किसी कतार में हों, लेकिन हमेशा फेसबुक खंगालने में लगे रहते हैं। नयी तस्‍वीर खींचते ही उसे इंटाग्राम पर अपलोड करते हैं। अपने साथी के साथ होते हुए भी आप ऑनलाइन दुनिया खंगालने में लगे रहते हैं। एक दूसरे की आंखों में आंखे डालने के बजाय आपकी नजरें ट्विटर पर होती हें। इसका क्‍या फायदा। सोशल मीडिया आपके निजी जीवन में बहुत अंदर तक प्रवेश कर चुका है। हमारे पास खुद के लिए वक्‍त नहीं होता। दूसरों के लिए वक्‍त निकालना तो बहुत दूर की बात है। हम कभी-कभी अकेले होने का सुकून खो देते हैं।

खत्म हो रहा है रिश्तों का रस

आपके पास दोस्‍तों के कम और टेलीमार्केट से ज्‍यादा फोन आते हैं। व्‍हाट्सअप ने फोन करने की जरूरत को भी खत्‍म दिया है। एक दूसरे की पोस्‍ट को लाइक और शेयर करना ही 'जुड़े रहने' का नया तरीका है। हो सकता है कि संवाद के ये नये तरीके पहले की तुलना में ज्‍यादा आसान हों, लेकिन इससे रूबरू बैठकर बात करने की कला को काफी नुकसान पहुंचा है। किसी कला से कम नहीं अपनी बात दूसरे तक पहुंचाना। और जैसे-जैसे संवाद के लिए तकनीक पर हमारी निर्भरता बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे मुलाकात कर बात करना मुश्किल होता जा रहा है।

खराब हो रहे हैं आपसी रिश्ते

आपके पास दोस्‍तों के कम और टेलीमार्केट से ज्‍यादा फोन आते हैं। व्‍हाट्सअप ने फोन करने की जरूरत को भी खत्‍म दिया है। एक दूसरे की पोस्‍ट को लाइक और शेयर करना ही 'जुड़े रहने' का नया तरीका है। हो सकता है कि संवाद के ये नये तरीके पहले की तुलना में ज्‍यादा आसान हों, लेकिन इससे रूबरू बैठकर बात करने की कला को काफी नुकसान पहुंचा है। किसी कला से कम नहीं अपनी बात दूसरे तक पहुंचाना। और जैसे-जैसे संवाद के लिए तकनीक पर हमारी निर्भरता बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे मुलाकात कर बात करना मुश्किल होता जा रहा है।

हो सकती हैं कई बीमारियां

कितनी ही बार अपनी फीड को देखते हुए आपको अवसाद हो जाता है। अगर आपको किसी बात का दुख है तो लोगों को हंसते-मुस्‍कुराते देखकर आपको अवसाद हो जाता है। आप दुखी महसूस करने लग सकते हैं। और सोचिये शनिवार रात आप काम कर रहे हैं, और आपके दोस्‍त पार्टी की तस्‍वीर डाल रहे हैं, तो उस समय आपको कैसा लगता है। जाहिर सी बात है, आपको खुशी तो नहीं होगी। कई बार लोग इन सब बातों से खुद को कमतर मानने लगते हैं। जैसे-जैसे हम इस आभासी दुनिया की गिरफ्त में आते जाते हैं हम हकीकत से दूर होते हैं। हम उन कामों से दूर होने लगते हैं जो हमें खुशी दे

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