
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने रविवार को कहा कि सरकार के मातृ स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्तायुक्त पहुंच में सुधार के प्रयासों व महिलाओं के बीच शिक्षा पर जोर दिया जाना भारत में मातृ मृत्यु दर घटाने के पीछे के कुछ कारणों में से हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने रविवार को कहा कि सरकार के मातृ स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्तायुक्त पहुंच में सुधार के प्रयासों व महिलाओं के बीच शिक्षा पर जोर दिया जाना भारत में मातृ मृत्यु दर घटाने के पीछे के कुछ कारणों में से हैं। भारत में मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में 77 फीसदी की कमी आई है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, एमएमआर में 1990 के प्रति 100,000 जीवित प्रसव पर 556 मामले के मुकाबले 2016 में यह प्रति 100,000 जीवित प्रसव पर यह 130 मामले रहे। ऐसे में एमएमआर में 77 फीसदी की गिरावट आई।
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सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम(एसआरएस) के भारत में मातृ-मृत्युदर 2014-16 के एक विशेष विज्ञप्ति में कहा गया है कि भारत में एमएमआर 2011-13 के 167 से कम होकर 2014-16 में 130 हो गया। इसमें तीन राज्य केरल (46), महाराष्ट्र (61) और तमिलनाडु (66) हैं। ये राज्य पहले से ही सतत विकास (एसडीजी) लक्ष्य हासिल कर चुके हैं। डब्ल्यूएचओ की दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेश्क पूनम खेत्रपाल सिंह ने एक बयान में कहा, "भारत का मौजूदा एमएमआर सहस्राब्दि विकास लक्ष्य (एमडीजी) से नीचे है और यह देश को 2030 तक 70 से नीचे के एमएमआर के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) को हासिल करने के लिए प्रेरित करता है।"
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उन्होंने इस उपलब्धि का श्रेय जरूरी मातृ स्वास्थ्य सेवाओं के बढ़े दायरे को दिया, जो 2005 से दोगुनी हुई है। सिंह ने कहा, "सार्वजनिक सुविधाओं में संस्थागत प्रसव का अनुपात लगभग तिगुना हो गया है। यह 2005 के 18 फीसदी से 2016 में 52 फीसदी हो गया। (निजी सुविधाओं को शामिल करने के साथ संस्थागत प्रसव 79 फीसदी हो जाता है)।"
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