भारत में अधिकतर भीख मांगने वाले लोग कुष्ठ रोग से पीड़ित होते हैं। कुष्ठ रोग की मुश्किल का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भारतीय परिवार में किसी भी सदस्य को कुष्ठ रोग होने पर उसे घर से बाहर निकाल दिया जाता है। ऐसे में भारत के कुष्ठ रोगियों के लिए हालत और भी भयावह हो जाते हैं। जिस कारण भारत में कुष्ठ रोग के इलाज पर पिछले कई सालों से चिकित्सक और शोधार्थी शोध कर रहे थे जिसमें अब जाकर भारत को सफलता हासिल हुई है।
हाल ही में भारत ने कुष्ठ रोग का पहला टीका विकसित किया है जिसे भारत की बहुत बड़ी सफलता माना जा रहा है। कुष्ठ रोग के छुटकारा पाने के लिए बारत ने जो टीका विकसित किया है वो दुनिया का पहला टीका है। इसे आने वाले कुछ ही हफ्तों में बिहार और गुजरात के 5 जिलों में उपलब्ध कराया जाएगा।
अनुमान है कि भारत में प्रत्येक वर्ष लगभग 1.25 लाख लोग कुष्ठ रोग से ग्रस्त होते हैं। लेकिन उम्मीद है कि इसे टीके की मदद से काफी हद तक कम किया जा सकेगा। इस टीके को नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी के संस्थापक व निदेशक जीपी तलवार द्वारा विकसित किया गया है।
इस टीके को कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया और अमेरिका की एफडीए ने भी अपनी मंजूरी दे दी है जिससे इसके जल्द ही बाजार में आने की उम्मीद है। इस टीके के द्वारा 3 साल के अंदर ही कुष्ठ मामलों में 60 फीसद कमी लाई जा सकेगी।
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