एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडेफिसियंसी वायरस) से संक्रमित लोगों में दिल के रोगों के होने की संभावना दोगुनी होती है। शोध के निष्कर्षो को पत्रिका सर्कुलन में प्रकाशित किया गया है। इसमें कहा गया है यह वायरस रक्त में वसा के स्तर को बढ़ा देता है और माना जाता है कि इससे शरीर के शुगर के स्तर के नियमन की क्षमता प्रभावित होती है, जिससे दिल संबंधी रोग हो सकता है। एडिनबर्ग विश्वविद्याल के सह लेखक अनूप शाह ने कहा, "इस शोध का कम संसाधन वाले देशों में दिल संबंधी रोगों के रोकथाम की नीतियों की योजना बनाने में महत्वपूर्ण निहितार्थ है, जहां एचआईवी का बोझ ज्यादा रहता है और वहां दिल संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं।
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'शोधकर्ताओं के अनुसार, एचआईवी व दिल संबंधी बीमारियों के संबंध की बहुत कम जानकारी है। उनका मानना है कि वायरस से रक्त वाहिकाओं में सूजन हो सकता है, जिससे दिल संबंधी प्रणाली पर दबाव बढ़ता है।वैश्विक आंकड़ों से यह भी खुलासा होता है कि एचआईवी से जुड़ी दिल संबंधी बीमारियां बीते 20 सालों में तिगुने से ज्यादा हुई है, क्योंकि ज्यादा संख्या में लोग वायरस के साथ जी रहे हैं।दुनिया भर में 3.5 करोड़ से ज्यादा लोग एचआईवी से संक्रमित हैं। यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है।'
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एचआईवी का मतलब एड्स नहीं
एक व्यक्ति अगर एचआईवी संक्रमित है तो जरूरी नहीं कि उसे एड्स हो। एचआईवी से संक्रमित अधिकतर व्यक्ति प्रोपर मेडिकेशन टर्म्स फॉलो कर सामान्य जिंदगी जी सकते हैं। इसका मतलब ये नहीं की सभी एचआईवी संक्रमित लोगों को एड्स नहीं। एचआईवी संक्रमित व्यक्ति को एड्स हो सकता है लेकिन हर एड्स से पीड़ित लोग जरूरी नहीं कि एचआईवी से संक्रमित हों।