बच्चों का जन्म से ही ख्याल रखना बहुत जरूरी होता है। समय-समय पर देखभाल न की जाए तो उनकी सेहत बिगड़ने लगती है। नवजात शिशु ये नहीं बता सकते कि उन्हें किस प्रकार की समस्या है, इसलिए आपको ये बात खुद से समझनी होगी कि शिशु को किस तरह की दिक्कत है। हम आपको कुछ ऐसे लक्षण दिखा रहे हैं जिनसे आप समझ पाएंगी कि आपका शिशु क्यों रो रहा है।
जब शिशु ज्यादा रोए
यदि आपका शिशु सामान्य से अधिक रो रहा है और चुप कराने पर भी शांत नहीं हो रहा या फिर वह धीमे या उच्च स्वर में रो रहा है, तो हो सकता है कुछ गड़बड़ है। आप उसके रोने में बदलाव देखते हैं या वह विलाप करता है, तो जरूर आप डॉक़्टर से मिलें। इसके अलावा बच्चा कम रो रहा है या असामान्य ढंग से सुस्त लग रहा हो, तो अपने डॉक्टर से बात करें।
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शरीर में पानी की कमी होने पर
तरल पदार्थ लेने और स्तनपान कराने के बाद दिन में शिशु को कम से कम छह बार पेशाब करना चाहिए। अगर शिशु के होंठ सूखें हो, गाढ़ा पीला मुत्र आए, सूखा मल या फिर मल में यूरेट क्रिस्टल (ईंट के रंग के धब्बे या क्रिस्टल) दिखाई दें, तो डॉक्टर से बात करें। ये निर्जलीकरण या डिहाइड्रेशन के के लक्षण हो सकते हैं।
मल में खून आना
इससे बड़ी कोई गंभीर स्थिति नहीं हो सकती जब बच्चे के मल में खून निकले या फिर जब वह उलटी करे तो मुंह से रक्त निकले। ऐसी स्थिति में आप तुरंत डॉक्टर से मिलें। वह इसके असली कारणों के बारे में बताएंगे और इलाज करेंगे।
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आंख में समस्या
शिशु के कान, आंख, नाभि या जननांगों से निकलने वाले डिसचार्ज को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और इसे डॉक्टर द्वारा जांच कराना चाहिए। अगर शिशु की आंखें गुलाबी या चिपचिपा दिखाई दे तो आप तुरंत डॉक्टर से मिले। इसके अलावा आंखों में पानी होने पर भी आप डॉक्टर से मिलें। यह आंखों में इंफेक्शन का लक्षण हो सकता है। जैसे कंजक्टीवाइटिस, जो बहुत संक्रामक है और उसे शीघ्र उपचार की आवश्यकता होती है।
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जब भूख न लगे
अगर शिशु स्तन या बोतल से दूध पीते समय जल्दी थक जाए या दूध पीने का इच्छुक न लगे, तो हो सकता है वह बीमार हो। उसी तरह यदि शिशु सामान्य से ज्यादा दूध उगल देता है, और इसके लिए उसे काफी मेहनत करनी पड़ रही हो तो यह शिशु के बीमार होने का लक्षण हो सकता हैं।
डायरिया
कई बार स्तनपान करवाने पर शिशुओं को नरम या पतला मल आ सकता है। यह डायरिया के संकेत हो सकता है। शिशु पर नजर रखें और देखें कि कहीं दस्त या डायरिया जारी तो नहीं हैं। अगर आपका शिशु 12 घंटे से डायरिया से पीड़ित है उसे नजरअंदाज न करें और जल्द से जल्द डॉक्टर से मीलने की कोशिश कीजिए। इसके अलावा ऐसी स्थिति मल में खून या श्लेम (म्यूकस) दिखाई दे, या इसका गाढ़ापन जैली के समान हो, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
बुखार होने पर
अगर शिशु को हल्का बुखार भी है तो आप उसे डॉक्टर से जरूर दिखाएं। यदि आपका बच्चा तीन महीने से कम है और उसे 100 डिग्री एफ (फेहरनहाइट) या उससे अधिक का बुखार है तो आप तुरंत डॉक़्टर से दिखाएं। यदि शिशु तीन महीनों से अधिक है और बुखार 102 डिग्री या उससे अधिक हो तो उसे डॉक्टर के पास ले जाना जरूरी है।
सांस लेने में तकलीफ हो तब
यदि शिशु को सांस लेने में तकलीफ हो तो आप तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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