इसोफेगस कैंसर यानी भोजननली का कैंसर इन दिनों आम रोग बनता जा रहा है। इसके मामले 50 -70 वर्ष के लोगों में पाए जाते थे लेकिन इन दिनों युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं।
इन वजहों की वजह से भी हो सकता है खाने की नली में कैंसर
फूडपाइप को धूम्रपान, सिगरेट, शराब पीने और लंबे समय से एसिडिटी की तकलीफ से नुकसान होता है। इससे फूडपाइप के आकार-बनावट में बदलाव आने से करीब 8 -10 साल बाद एसिड रिफलक्स या जलन पैदा होती है। इसे नजरअंदाज करना रोग को जन्म देना है। इनमें बतौर इलाज एसिड साफ तो कर देते हैं लेकिन भविष्य में कैंसर का खतरा रहता है। जिनमें फूडपाइप संबंधी विकार (एक्लेसिया कार्डिया) होता है उनकी खाने की नली का वॉल्व खा ने को रोक नहीं पाता व खाना सीधे पेट में जाता है।
इसे भी पढ़ेंः भिंड़ी खाएं कैंसर के साथ इस 1 जानलेवा बीमारी को कोसो दूर पाएं
टॉप स्टोरीज़
क्रोमोएंडोस्कोपी करानी है जरूरी
भोजन निगलने में दिक्कत व सीने में दर्द प्रारंभिक लक्षण हैं। कई बार इन्हें सामान्य मानकर लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं। जिस कारण 90 प्रतिशत मामलों में यह नली क्षतिग्रस्त हो जाती है।
इसमें भोजननली पर ड्राई स्प्रे कर प्रभावित हिस्से का पता लगाते हैं। कैंसर सुनिश्चित करने के लिए बायोप्सी करते हैं। फिर एंडोसोनोग्राफी से कैंसर की गहराई का पता चलता है। यदि भोजन नली की सीमा से बाहर तक कैंसर कोशिकाएं फैली हैं तो सर्जरी करते हैं। सीमा के अंदर है तो दूरबीन से बिना सर्जरी ट्यूमर निकालते हैं। इसमें 3 -4 तरह की रोशनी भोजननली पर डालते हैं। इससे कैंसर कोशिकाओं का रंग अलग ही दिखता है। बायोप्सी के बाद सर्जरी या दूरबीन की मदद से ट्यूमर निकालते हैं।
इसे भी पढ़ेंः हां सच में... स्तनपान कराने से महिलाओं में कम होता है ब्रेस्ट कैंसर का खतरा
इलाज भी है इसका संभव
शुरुआती अवस्था में रोग की पहचान से इलाज होता है। इनमें दो तरह से स्क्रीनिंग की जाती है। क्रोमोएंडोस्कोपी व आई स्कैन। आप इन दोनों में से किसी भी इलाज को अपना सकते हैं।
ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप
Read More Cancer Articles In Hindi