डायबिटीज़ के दौरान व्यक्ति के पैरों में तकलीफ कोई आम बात नहीं, फौरन कराएं जांच

टाइप 2 मधुमेह के निदान के दौरान कम से कम 10 में से एक रोगी के पैर में क्षति की आशंका देखी गई है। अध्ययन बताते हैं कि भारत में 7.4 से 15.3 प्रतिशत मधुमेह रोगियों के पैरों में तकलीफ होती है। ऐसे में इसकी जल्द पहचान कर उपचार करा लेना चाहिए, अन्यथा हालत गंभीर हो सकती है। एक छोटी सी चोट से भी बाद में संक्रमण हो सकता है और पैर काटना भी पड़ सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, डायबेटिक फुट उसे कहते हैं, जिसमें संक्रमण के चलते ऊतक सड़ सकते हैं और जिसमें अल्सर के कारण तंत्रिका संबंधी असामान्यताएं हो सकती हैं। इससे परिधीय संवहनी रोगों का खतरा बन जाता है और उपापचय की जटिलताएं हो सकती हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा, मधुमेह होने पर यह जरूरी है कि प्रतिदिन पैरों की जांच की जाए। थोड़ी सी भी चोट या पैर की अंगुली या नाखून के संक्रमण से अल्सर हो सकता है। मधुमेह से पैर की नसें क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। यदि दर्द न हो तो ऐसी छोटी मोटी चोटें नजरअंदाज भी हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त, उच्च रक्तचाप, धूम्रपान, कोलेस्ट्रॉल और मोटापे के कारण मधुमेह रोगी के पैर में रक्त प्रवाह कम हो सकता है। इन सबके चलते व्यक्ति में द्वितीय संक्रमण होने पर समस्या आगे बढ़ जाती है। मधुमेह प्रभावित पैर से जुड़ी कुछ अन्य जटिलताओं में शामिल हैं- अल्सर, संक्रमण, सेप्टीसीमिया, गैंगरीन, विकृति और अंग का नुकसान।मधुमेह प्रभावित पैर के कुछ संभावित कारणों में प्रमुख हैं- परिधीय न्यूरोपैथी यानी तंत्रिका क्षति, वस्कुलोपैथी (रक्त वाहिकाओं में रुकावट), पैर की विकृति, संक्रमण और एडिमा (सूजन)। मधुमेह प्रभावित पैर के इलाज के लिए दरुगध और संक्रमण के नियंत्रण पर ध्यान देना चाहिए।डा. अग्रवाल ने बताया, मधुमेह पीड़ित लोगों को अपने पैरों की हर साल जांच करानी चाहिए। यदि पैर में कोई चोट लगी हो, नाखून खराब हो गया हो या पैर में किसी भी प्रकार का दर्द महसूस हो तो चिकित्सक को सूचित करने की जरूरत है। ग्लाइसेमिक नियंत्रण, पैर की नियमित जांच, सही जूते और नमी से बचाकर पैरों की रक्षा की जा सकती है। इस तरह करें पैरों की देखभाल * शर्करा के स्तर की जांच करें : रक्त शर्करा के स्तर को सही रेंज में रखने के लिए अपने चिकित्सक द्वारा सुझाई गई जीवनशैली का पालन करें।* हर दिन अपने पैरों की जांच करें : किसी भी लाल धब्बे, छीलन, सूजन या छाले पर ध्यान दें।* शारीरिक रूप से सक्रिय रहें : प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि में व्यस्त रहें।* अपने पैरों को साफ रखें : हर दिन पैरों को धोकर सावधानी से सुखा लें, खासकर पैर की उंगलियों के बीच का क्षेत्र।* अच्छी तरह से मॉइस्चराइज करें : अपने पैरों के ऊपरी और निचली ओर मॉइस्चराइजर की एक पतली परत लगाएं।* अपने नाखूनों को नियमित रूप से काटें।* आरामदायक जूते और मोजे पहनें : नंगे पैर न चलें। आरामदायक जूते मोजे ही पहनें। सुनिश्चित करें कि अस्तर चिकना हो और आपके जूते के अंदर कोई चुभने वाली चीज न हो।* पैरों में रक्त परिसंचरण सुनिश्चित करें : बैठने पर पैरों को ऊपर की ओर रखें। पैर की उंगलियों को घुमाएं और अपने टखनों को पांच मिनट तक दिन में दो या तीन बार ऊपर-नीचे करें। News Source-IANS Read More Health Related Articles In Hindi
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डायबिटीज़ के दौरान व्यक्ति के पैरों में तकलीफ कोई आम बात नहीं, फौरन कराएं जांच


टाइप 2 मधुमेह के निदान के दौरान कम से कम 10 में से एक रोगी के पैर में क्षति की आशंका देखी गई है। अध्ययन बताते हैं कि भारत में 7.4 से 15.3 प्रतिशत मधुमेह रोगियों के पैरों में तकलीफ होती है। ऐसे में इसकी जल्द पहचान कर उपचार करा लेना चाहिए, अन्यथा हालत गंभीर हो सकती है। एक छोटी सी चोट से भी बाद में संक्रमण हो सकता है और पैर काटना भी पड़ सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, डायबेटिक फुट उसे कहते हैं, जिसमें संक्रमण के चलते ऊतक सड़ सकते हैं और जिसमें अल्सर के कारण तंत्रिका संबंधी असामान्यताएं हो सकती हैं। इससे परिधीय संवहनी रोगों का खतरा बन जाता है और उपापचय की जटिलताएं हो सकती हैं।

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इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा, मधुमेह होने पर यह जरूरी है कि प्रतिदिन पैरों की जांच की जाए। थोड़ी सी भी चोट या पैर की अंगुली या नाखून के संक्रमण से अल्सर हो सकता है। मधुमेह से पैर की नसें क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। यदि दर्द न हो तो ऐसी छोटी मोटी चोटें नजरअंदाज भी हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त, उच्च रक्तचाप, धूम्रपान, कोलेस्ट्रॉल और मोटापे के कारण मधुमेह रोगी के पैर में रक्त प्रवाह कम हो सकता है। इन सबके चलते व्यक्ति में द्वितीय संक्रमण होने पर समस्या आगे बढ़ जाती है। मधुमेह प्रभावित पैर से जुड़ी कुछ अन्य जटिलताओं में शामिल हैं- अल्सर, संक्रमण, सेप्टीसीमिया, गैंगरीन, विकृति और अंग का नुकसान।

मधुमेह प्रभावित पैर के कुछ संभावित कारणों में प्रमुख हैं- परिधीय न्यूरोपैथी यानी तंत्रिका क्षति, वस्कुलोपैथी (रक्त वाहिकाओं में रुकावट), पैर की विकृति, संक्रमण और एडिमा (सूजन)। मधुमेह प्रभावित पैर के इलाज के लिए दरुगध और संक्रमण के नियंत्रण पर ध्यान देना चाहिए।

डा. अग्रवाल ने बताया, मधुमेह पीड़ित लोगों को अपने पैरों की हर साल जांच करानी चाहिए। यदि पैर में कोई चोट लगी हो, नाखून खराब हो गया हो या पैर में किसी भी प्रकार का दर्द महसूस हो तो चिकित्सक को सूचित करने की जरूरत है। ग्लाइसेमिक नियंत्रण, पैर की नियमित जांच, सही जूते और नमी से बचाकर पैरों की रक्षा की जा सकती है।

इस तरह करें पैरों की देखभाल

* शर्करा के स्तर की जांच करें : रक्त शर्करा के स्तर को सही रेंज में रखने के लिए अपने चिकित्सक द्वारा सुझाई गई जीवनशैली का पालन करें।
* हर दिन अपने पैरों की जांच करें : किसी भी लाल धब्बे, छीलन, सूजन या छाले पर ध्यान दें।
* शारीरिक रूप से सक्रिय रहें : प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि में व्यस्त रहें।
* अपने पैरों को साफ रखें : हर दिन पैरों को धोकर सावधानी से सुखा लें, खासकर पैर की उंगलियों के बीच का क्षेत्र।
* अच्छी तरह से मॉइस्चराइज करें : अपने पैरों के ऊपरी और निचली ओर मॉइस्चराइजर की एक पतली परत लगाएं।
* अपने नाखूनों को नियमित रूप से काटें।
* आरामदायक जूते और मोजे पहनें : नंगे पैर न चलें। आरामदायक जूते मोजे ही पहनें। सुनिश्चित करें कि अस्तर चिकना हो और आपके जूते के अंदर कोई चुभने वाली चीज न हो।
* पैरों में रक्त परिसंचरण सुनिश्चित करें : बैठने पर पैरों को ऊपर की ओर रखें। पैर की उंगलियों को घुमाएं और अपने टखनों को पांच मिनट तक दिन में दो या तीन बार ऊपर-नीचे करें।

News Source-IANS

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