कैंसर के मरीजों को अब बार-बार आपरेशन कराने के खतरे का सामना नहीं करना पड़ेगा। वैज्ञानिकों ने सर्जरी में काम आने वाला एक ऐसा चाकू बनाया है जो पल भर में कैंसरग्रस्त और स्वस्थ ऊतकों में भेद कर सकेगा।
ऐसे में ऑपरेशन के बाद ट्यूमर के रह जाने का खतरा काफी हद तक कम हो सकेगा। इससे धन और समय की बर्बादी से बचा जा सकेगा और मरीज के जिंदा रहने की संभावनाएं भी बढ़ेंगी।
आई-नाइफ का निर्माण करने वाले इंपीरियल कालेज, लंदन के शोधकर्ता डॉक्टर जोल्टान टांकाट्स ने इसे कैंसर सर्जरी के क्षेत्र में क्रांति करार दिया है। टाकांट्स ने कहा, हमें ऐसे उपकरण की जरूरत थी जो ऊतका को छूते ही बता दें कि वह कैंसरग्रस्त है या नहीं। दरअसल, बढ़िया से बढ़िया सर्जन भी आश्वस्त नहीं होते कि पूरा ट्यूमर निकाला जाए या नहीं। इससे बीमारी के दोबारा लौटने या दोबारा ऑपेरशन की नौबत आ सकती है।
आई-नाइफ से सर्जरी के दौरान ही इसका पता लग जाएगा। लिहाजा सर्जन ज्यादा सटीक तरीके से ऑपरेशन अंजाम दे सकेंगे, जैसा पहले मुमकिन नहीं था। अभी कैंसर सर्जन आपरेशन के पहले ट्यूमर वाले अंगों की स्कैनिंग कराते हैं, ताकि उन्हें पता लग सके कि किस हिस्से को अलग करना है। यही नहीं, ऑपरेशन के दौरान, वे ऊतकों के कुछ नमूनों को प्रयोगशाला भेजते है ताकि पता लगाय जा सके कि वे कैंसरग्रस्त हैं या स्वस्थ। लेकिन यह तरीका खर्चीला है और समय की बर्बादी की वजह बनता है।
जबकि आई-नाइफ के इस्तेमाल से एक-दो सेकेंड के भीतर ही कैंसरग्रस्त ऊतक के बारे में पता चला सकेगा। जर्नल साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन की रिपोर्ट के मुताबिक, आई-नाइफ की कामयाबी आंकने के लिए हुए अध्ययन में कैंसर के 91 मरीजों को शामिल किया गया और इसके नतीजे सौ फीसदी सही निकले।
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