चंचल बच्चों को इन तरीकों से करें कंट्रोल, हर वक्त सुनेगा आपकी बात

कुछ बच्चे स्वभाव से बहुत चंचल होते हैं। कहते हैं बच्चों का दिमाग पैदा होने के साथ बिल्कुल कोरा होता है। इसके बाद बच्चा अपने आस-पास की चीजों से धीरे-धीरे सीखता जाता है। 
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चंचल बच्चों को इन तरीकों से करें कंट्रोल, हर वक्त सुनेगा आपकी बात

कुछ बच्चे स्वभाव से बहुत चंचल होते हैं। कहते हैं बच्चों का दिमाग पैदा होने के साथ बिल्कुल कोरा होता है। इसके बाद बच्चा अपने आस-पास की चीजों से धीरे-धीरे सीखता जाता है। जो काम बच्चे जल्दी-जल्दी करते हैं उन्हें उसकी आदत हो जाती है। आजकल की जनरेशन में ज्यादातर बच्चे पैदा होने के साथ ही बेहद तेज दिमाग के होते हैं इसलिए हाइपर एक्टिव होते हैं। हाइपर एक्टिव होना कई मायनों में अच्छा है तो कई मायनों में ये खराब भी है। ऐसे बच्चे चीजों को जल्दी सीखते, समझते हैं और दुहरा सकते हैं लेकिन इसके साथ-साथ कई बार ऐसे बच्चों में तेज गुस्सा करने और मार-पीट करने की बुरी आदत भी देखी जाती है। बच्चों के स्वभाव में ये परिवर्तन कुछ तो हार्मोन्स की गड़बड़ी के कारण होता है लेकिन ज्यादातर इसका कारण उसके आसपास का माहौल ही होता है। अगर आपका बच्चा भी हाइपर एक्टिव है तो इन तरीकों से उसे समझा सकते हैं। आइए जानते हैं कैसे करें ऐसे बच्चों को कंट्रोल।

दूसरों के सामने बच्चे की तारीफ करें

हम सबका अपना आत्मसम्मान होता है जिसको अगर ठेस लगे तो हमें बुरा लगता है। आमतौर पर 3 से 4 साल के हाइपर एक्टिव बच्चों में आत्मसम्मान की भावना विकसित हो जाती है। ऐसे में अगर बच्चों को आप उनके दोस्तों या रिश्तेदारों के सामने डांटते हैं और मारते हैं तो उन्हें बुरा लगता है और उनके आत्मसम्मान को धक्का लगता है। अगर बच्चों को आप अक्सर सबके सामने डांटते हैं तो इससे बच्चों का आत्मविश्वास भी कमजोर होता है और वो बाद में अपनी हाइपर एक्टिविटी को खो सकते हैं। अगर बच्चे ने कोई गलती की है तो कोशिश करें कि उसे अकेले में समझाएं और शांति के साथ समझाएं न कि चिल्लाकर बताएं। बच्चों से गलतियां होना स्वाभाविक है क्योंकि उनका मन वयस्क से ज्यादा चंचल होता है और ये उनका स्वभाव होता है।

बिल्कुल न करें ओवररिएक्ट

ओवर रिएक्ट करने के बजाय बच्चे को प्यार से समझाएं। उसे ऐसी समस्या से बचाने के लिए क्रिकेट, फुटबॉल और जूडो-कराटे जैसी फिजिकल एक्टिविटीज़ में शामिल होने के लिए प्रेरित करें। अगर माता-पिता इन समस्त बातों का ध्यान रखेगे तो उनके टीनएजर्स के व्यवहार में जल्दी ही कुछ सार्थक और सकारात्मक बदलाव नज़र आने लगेंगे।

टोका टाकी करें बंद

कई मां-बाप बच्चों को दिनभर सिर्फ पढ़ने के लिए ही टोकते रहते हैं। बार-बार टोकने से बच्चों में खीझ पैदा होने लगती है और वो गुस्सा करने लगते हैं। हाइपर एक्टिव बच्चों का ज्यादातर दिमाग खेलने-कूदने में ही लगा रहता है। लेकिन ऐसे बच्चे आम बच्चों से कम समय में ही अपनी पढ़ाई पूरी कर सकते हैं इसलिए बच्चों पर दिनभर पढ़ने का दबाव न बनाएं। उन्हें खुद से थोड़ा समय खेलने के लिए दें ताकि उन्हें किताबी के साथ-साथ सामाजिक और व्यवहारिक ज्ञान भी अच्छा हो।

व्यावहारिक ज्ञान भी है जरूरी

कई मां-बाप बच्चों को दिनभर सिर्फ पढ़ने के लिए ही टोकते रहते हैं। बार-बार टोकने से बच्चों में खीझ पैदा होने लगती है और वो गुस्सा करने लगते हैं। हाइपर एक्टिव बच्चों का ज्यादातर दिमाग खेलने-कूदने में ही लगा रहता है। लेकिन ऐसे बच्चे आम बच्चों से कम समय में ही अपनी पढ़ाई पूरी कर सकते हैं इसलिए बच्चों पर दिनभर पढ़ने का दबाव न बनाएं। उन्हें खुद से थोड़ा समय खेलने के लिए दें ताकि उन्हें किताबी के साथ-साथ सामाजिक और व्यवहारिक ज्ञान भी अच्छा हो।

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