मानव का दिमाग शरीर का सबसे महत्वपूर्ण और नाजुक हिस्सा होता है। हमारा पूरा शरीर मस्तिष्क से ही चलता है। अब तक हमारा विज्ञान इस बात से अछूता था कि आखिर हमारा दिमाग आवाज को किस तरह पहचानता है। ऐसे में हाल ही में विद्धानों के हाथ एक बड़ी उपलब्धि लगी है। वैज्ञानिकों ने मानव दिमाग के एक अत्यंत छोटे हिस्से की पहचान की है, जो न सिर्फ आवाज पहचानने में, बल्कि आवाजों में अंतर करने में भी मदद करता है।
यह रिसर्च जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने की है। रिसर्च में खुलासा किया गया है कि हमारे दिमाग में पोस्टीरियर सुपिरियर टेम्पोरल गाइरिस (एसटीजी) आवाज की पहचान के लिए जिम्मेदार है। यह दाहिने पोस्टीरियर टेम्पोरल लोब का एक भाग होता है, जो स्तनधारी के दिमाग के चार प्रमुख भागों में से एक है। शोधकर्ताओं ने यह भी कहा है कि जिन लोगों में खास तौर से दाहिने पोस्टीरियर टेम्पोरल लोब में चोट लग जाती है, उन्हें आवाज पहचानने में मुश्किल होती है।
मैक्स प्लैक इंस्टीट्यूट की वैज्ञानिक क्लाउडिया रोसवाडोविट्ज ने कहा, चोट वाले मरीजों की जांच से पता चला है कि दिमाग का कौन-सा भाग किस कार्य के लिए जिम्मेदार है। यदि दिमाग का एक निश्चित भाग चोटिल है और इस वजह से एक तय कार्य नहीं कर पाता है तो दोनों अवयवों को एक साथ जोड़ सकते हैं। इस शोध का प्रकाशन पत्रिका 'ब्रेन' में किया गया है। सिर्फ इतना ही नहीं इस मौके पर विद्धानों ने मस्तिष्क में घाव वाले मरीजों यानि कि स्ट्रोक से पीडि़तों का परीक्षण किया और उनकी आवाज पहचाने व सीखने की क्षमता की भी जांच की है।
स्त्रोत- आईएएनएस
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