अर्थराइटिस का ही एक प्रकार है रूमेटाइड अर्थराइटिस। इस बीमारी की चपेट में हड्डियां और जोड़ आते हैं। हालांकि इस बीमारी के होने की निश्चित वजह के बारे में अभी तक नहीं पता चल पाया है, इसलिए मेडिकल साइंस की भाषा में इसे आटो-इम्यून डिजीज यानी स्व-प्रतिरक्षित बीमारी कहा जाता है। सामान्यतया जोड़ों के दर्द यानी अर्थराइटिस में एक बीमारी न होकर कई तरह की परेशानियां शामिल होती हैं। इसके कारण सूजन, जोड़ों में तेजदर्द की शिकायत सबसे अधिक दिखती है। आमतौर पर अर्थराइटिस बढ़ती उम्र से संबंधित बीमारी है, लेकिन वर्तमान में अनियमित दिनचर्या और खानपान में पौष्टिक तत्वों की कमी के कारण यह युवाओं में भी दिख रही है। हालांकि यह बीमारी पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक देखी जाती है। आइए विस्तार से जानते हैं महिलाओं रूमेटाइड अर्थराइटिस होने का खतरा अधिक क्यों होता है।
क्या है रूमेटाइड अर्थराइटिस
दरअसल हमारा इम्यून सिस्टम प्रोटीन, बायोकेमिकल्स और कोशिकाओं के संयोजन से मिलकर बना है। यह शरीर को बाहरी चोटों और और बैक्टीरिया तथा वायरस से शरीर को सुरक्षा प्रदान करता है। लेकिन कभी-कभी इस सिस्टम से भी गलती हो जाती है और शरीर में मौजूद प्रोटीन्स को ये अपने आप खत्म करना शुरू कर देता है। जिसका परिणाम रूमेटॉयड अर्थराइटिस जैसी ऑटो-इम्यून बीमारियों के रूप में दिखता है। इसका असर जोड़ों पर सबसे ज्यादा होता है, लेकिन एक सीमा के बाद यह शरीर के अन्य अंगों खासकर स्नायुतंत्र और फेफड़ों को भी अपनी चपेट में ले लेता है।
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महिलाओं को अधिक संभावना क्यों
इस बीमारी की चपेट में महिलायें क्यों आती है, इसके लिए कई शोध और अध्ययन हो चुके हैं। हालांकि अमूमन यह बीमारी महिलाओं में 40 से 60 के बीच में देखी जाती है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को रूमेटाइड अर्थराइटिस होने की संभावना तीगुनी होती है। महिलाओं में यह बीमारी सेक्स हार्मोन के कारण अधिक होती है। प्रसव के बाद या फिर मेनोपॉज के बाद हार्मोन में बदलाव के कारण भी यह समस्या अधिक देखी जाती है।
कुछ महिलाओं में अगर फाइब्रोमायल्जिया की शिकायत है तो उनमें बाद में रूमेटाइड अर्थराइटिस की शिकायत देखी गई है। इस पर हुए शोध की मानें तो जो महिला 2 साल तक स्तनपान कराती हैं उनमें इस बीमारी के होने की संभावना 50 फीसदी कम हो जाती है। इसके अलावा हेल्दी लाइफस्टाइल और स्वस्थ खानपान के कारण भी इसकी संभावना में कमी देखी गई है।
क्या हैं इसके लक्षण
रूमेटाइड अर्थराइटिस होने पर शुरुआत में मरीज को बुखार के साथ मांसपेशियों में दर्द, थकान और शरीर के कमजोर होने की समस्या होती है। इसके अलावा भूख कम लगना और कमजोरी की शिकायत भी देखी जाती है। धीरे-धीरे रोगी को बिस्तर से उठने का मन नहीं करता, हाथ-पैर इस कदर अकड़ जाते हैं कि सामान्य होने में 15-20 मिनट लगते हैं। दिन भर न थकान होती है, न दर्द और न सूजन। इसका मतलब है आपको अर्थराइटिस नहीं, रूमेटाइड अर्थराइटिस हो गया है।
इस बीमारी से बचने में योग बहुत मददगार साबित होते हैं। पवनमुक्तासन, शशांकासन, वज्रासन आदि योगासन के अभ्यास से इसका दर्द कम होता है।
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