अर्थराइटिस का निदान कैसे किया जाता है

अर्थराइटिस के निदान के लिए सबसे पहले रोग की पुष्टि की जानी जरूरी है। डॉक्‍टर लक्षणों की जांच करता है और फिर यह तय करता है कि आपको किस प्रकार का अर्थराइटिस है और आपका इलाज किस प्रकार किया जाना चाहिए।
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अर्थराइटिस का निदान कैसे किया जाता है

अर्थराइटिस का दर्द बेहद तकलीफदेह हो सकता है। इस दौरान आपसे हिलना-ढुलना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में आपकी रोजमर्रा की जिंदगी भी बुरी तरह प्रभावित होती है। जरूरत है कि आप समय से इस रोग का निदान करें। कोई भी लक्षण नजर आते ही अपने डॉक्‍टर से मिलिये। कई लोग दर्द के लिए जड़ी बूटियों और दवाओं का प्रयोग करते हैं। लेकिन, दर्द लंबे समय तक रहे तो आपको डॉक्‍टर से मिलकर अपने रोग की पुष्टि करवा लेनी चाहिए।
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डॉक्‍टर आपके निम्‍नलिखित लक्षणों की जांच कर सकता है

आपका डॉक्‍टर अर्थराइटिस का निदान करने के लिए आपके लक्षणों के बारे में पूछेगा। इसके साथ ही वह इन बातों का भी देखेगा कि आखिर आकपे शरीर में अर्थरा‍इटिस के लक्षण किस प्रकार डेवलप हो रहे हैं। वह आपकी जांच करेगा और इसके बाद बीमारी की पुष्टि करने के लिए कुछ जांच करने की भी सलाह दे सकता है।वह इस बात पर नजर रख सकता है कि आखिर दर्द शरीर के कौन से हिस्‍से में हो रहा है। क्‍या आपके जोड़ों या उसके आसपास किसी प्रकार का दर्द और सूजन तो नहीं है। इसके साथ ही वह आपकी सेहत के अन्‍य आयामों की भी जांच करेगा, क्‍योंकि अर्थराइटिस आपके शरीर के अन्‍य अंगों को भी प्रभावित कर सकता है। दर्द और हिलने-ढुलने में परेशानी। झंझरी भावना या चरचरहट के साथ दर्द होना कई बार अनुवांशिक अर्थराइटिस का लक्षण हो सकता है।कोशिकाओं में कोमलता और दर्द की शिकायत रहना।कुछ प्रकार के अर्थराइटिस में रेशेज और मुंह में छालों की शिकायत हो सकती है।

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अर्थराइटिस में किस प्रकार के टेस्‍ट होते हैं

आपका डॉक्‍टर निदान करने से पहले कुछ अन्‍य बातों की भी पुष्टि करना चाहेगा। वह कन्‍फर्म करना चाहेगा कि कहीं यह लक्षण किसी अन्‍य बीमारी के कारण तो नहीं। अगर ऐसा कुछ है तो पुष्टि करने के लिए आपको निम्‍न चीजे करने की सलाह दी जा सकती है। रक्‍त-जांच, एक्‍स-रे,एमआरआई स्‍कैन, सीटी स्‍कैन, अल्‍ट्रासाउंड, सायनोविल फ्लूड अनालसिस, बायोप्‍सी, मूत्र जांच आदि के जरिए अर्थराइटिस का पता लगाया जाता है। याद रखिए केवल डॉक्‍टर सिर्फ डॉक्‍टर ही बता सकता है कि यह अर्थराइटिस है या उससे जुड़ी कोई और समस्या है अथवा कुछ और। किसी भी बीमारी को गंभीर होने का मौका नहीं देना चाहिए। अगर आपको जरा सा भी संशय है तो डॉक्‍टर से मिलकर इसका निवारण किया जाना जरूरी है।


एक बार जब डायोग्‍निस तैयार हो जाए तो आपका डॉक्‍टर इलाज के लिए योजना बनाने के लिए आपसे बात कर सकता है।

Image Source @ Getty Images

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