पुराने समय से शिशुओं को कसकर लपेटने की प्रथा होती थी ताकि वे सुरक्षित महसूस कर सकें। अच्छी तरह लिपटा हुआ बच्चा, अपने ही चौंका देने वाले झटकों से बाधित नहीं होता है। नींद में शरीर के ये अचानक लगने वाले झटके बिल्कुल सामान्य होते हैं।
दरअसल जन्म से पहले तक गर्भ में शिशु एक छोटे से जगह में रहने का आदि होता है। इसलिए शिशु को ऐसी जगह पर ही सुरक्षित महसूस होता है। जन्म के बाद जब बच्चा खुले में रहता है, तो बच्चे को कुछ समस्या हो सकती है या वह असहज महसूस कर सकता है। इसलिए ही आरंभ में उसे लपेट कर रखा जाता है।
माना जाता है की लपेटने से शिशु उस समय भी आराम से रहता है जब वह उत्तेजित होता है। दरअसल देश के विभिन्न हिस्सों में शिशुओं को मुलायम सूती साड़ियों के बने पालनों में रखा जाता है। इन पालनों में शिशु सुरक्षित ढंग से रहता है और ये उसके लिए एक परमपरागत पालने तथा झूले का काम करते हैं। यह माना जाता है की यह कपड़े का पालना शिशु को उतना ही आराम देता है जितना की शिशु को लपेटने या स्वोडलिंग से मिलता है।
लेकिन यह जरूर जांच लें कि लपेटने से पहले शिशु कहीं भूखा या गीला तो नहीं है। सुनिश्चित कर लें कि आप उसका चेहरा या सिर न ढक दें क्योंकि इसा सकने से उसे सांस लेने में कठिनाई हो सकती है और उसके शरीर का तापमान ज़रुरत से अधिक बढ़ सकता है। यदि आप अपने शिशु को लपेटती हैं तो सामान्यत: उसे ऊपर एक कम्बल या चादर की आवश्यकता नहीं होती है।
शिशु को लपेटने का सही तरीका
शिशु को लपेटने का एक क्रमवार तरीका होता है। ध्यान रहे कि शिशु को सुरक्षित तरीके से ही लपेटें, ताकि उसकी सुरक्षा पूरी तरह से सुनिष्चित हो सके। शिशु को लपेटने का सही तरीके के लिए निम्न निर्देशओं का पालन कर सकते हैं।
- एक समतल स्थान पर सूती कपड़ा बिछाएं और ऊपर दाहिने छोर को लगभग 15 से.मी./6 इंच मोड़ कर उसकी एक तह लगा दें।
- अब अपने शिशु को पीठ के सहारे लिटाकर उसका सिर उस तह पर रख दें।
- अपने शिशु के बायें हाथ के निकट के छोर को उसके शरीर के ऊपर से ले जाकर उसके दाहिने हाथ और पीठ के नीचे भी तह लगा लें।
- अब नीचे के छोर को खींच लें और शिशु की ठोढी के नीचे तह लगा दें।
- फिर दाहिने छोर को खींच कर उसके बायीं ओर नीचे एक और तह लगाएं। कुछ शिशु अपनी भुजायें खुली रखना पसंद करते हैं, इसलिए आप अपने शिशु को उसकी भुजाओं के नीचे लपेटें ताकि वह अपने हाथों और अंगुलियों को खुला रख सके।
जब आपका शिशु एक महीने का हो जाये तो उसे लपेटना बंद कर दें, क्योंकि ऐसा करना उसकी गतिविधियों और विकास क्रम में बाधा डाल सकता है। जब आपका शिशु अपने ऊपर के कपड़े हटाना शुरू कर दे तो इसका अर्थ है कि उसे अब लपेटे जाना पसंद नहीं आता है। इसके अलावा कमरे का तापमान अधिक होने, बच्चे को कोई बीमारी होने, जैसे कि सांस चढ़ना आदि में भी उसे नहीं लपेटना चाहिए। इससे बच्चे पर नजर रखने में दिक्कत हो सकती है।
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