अमेरिकी मांसपेशियों को मज़बूत बनाने और वजन कम करने के लिए प्रोटीन सप्लीमेंट्स पर एक साल में अरबों डॉलर खर्च करते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। लेकिन, कई लोग सोचते हैं कि क्या वास्तव में प्रोटीन पाउडर स्वस्थ रहने के लिए ज़रूरी है भी या नहीं ? यह सवाल सभी के दिमाग में 25 वर्षीय ऑस्ट्रेलियाई बॉडी बिल्डर मींग हेफ़र्ड की मौत के बाद उठा, जो हाई प्रोटीन डाइट पर निर्भर रहती थीं।
दरअसल, उन्हें फैमिली हिस्ट्री के कारण कोई बीमारी थी जिसके चलते उनका शरीर ज़्यादा मात्रा में प्रोटीन सहन नहीं कर पाया। हेफ़र्ड की बीमारी को यूरिया साइकिल डिसॉर्डर कहा जाता है, जो 8,500 लोगों में से 1 को प्रभावित करता है, लेकिन फिर भी अमेरिका में प्रोटीन सप्लीमेंट्स का इस्तेमाल आम है। हालांकि, डॉक्टर्स और न्यूट्रिशन एक्सपर्ट्स भी प्रोटीन प्रोडक्ट्स पर पूरी तरह विश्वास नहीं करते, क्योंकि किसी को नहीं पता कि डब्बे में क्या मिक्स किया गया है।
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प्रोटीन पाउडर में क्या मिक्स होता है ?
साल 2010 में, कंज्यूमर रिपोर्टें के मुताबिक 15 प्रोटीन ड्रिंक्स को टेस्ट किया गया और उनमें कैडमियम, लीड, आर्सेनिक और मर्क्युरी पाए गए। इनमें से 3 हानिकारक मात्रा में थे। उसी साल, कंज्यूमरलैब, जो सप्लीमेंट्स टेस्ट करती है, ने कहा कि 24 में से 3 प्रोटीन सप्लीमेंट्स परीक्षण में पास नहीं हुए। उनमें से दो में लीड की भारी मात्रा पाई गई और अन्य में कोलेस्ट्रॉल और सोडियम की अधिक मात्रा थी।
स्टडीज़ के मुताबिक प्रोटीन पाउडर पर निर्माताओं का जो दावा होता है, वो सच्चा नहीं होता। 2015 में ब्राजील के शोधकर्ताओं ने 20 प्रोटीन सप्लीमेंट्स पर परीक्षण किया और पाया कि उनमें से ग्यारह प्रोडक्ट्स में लेबल के अनुसार बताई गई प्रोटीन की मात्रा कम थी। 2013 में, न्यूट्रिशन एक्सपर्ट्स के एक पैनल ने अमेरिकी सेना के प्रोटीन सप्लीमेंट्स पर टेस्ट किया। उन्हें क्वालिटी बहुत ज़्यादा पसंद नहीं आई, लेकिन रिज़ल्ट में कहा कि यह हेल्दी एडल्ट्स के खाने लायक है।
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सप्लीमेंट्स के अलावा प्रोटीन कैसे मिल सकता है, जो कि सेफ तरीका भी हो ?
डॉक्टर्स के मुताबिक, ज़रूरी यह नहीं है कि आप कौनसा प्रोटीन सप्लीमेंट खा रहे हैं, बल्कि ध्यान देने वाली बात यह है कि आप कितना प्रोटीन सप्लीमेंट खा रहे हैं। लोगों को दिन में 50 से 60 ग्राम प्रोटीन खाना चाहिए, जिससे आपको 10 से 35 प्रतिशत कैलोरीज़ मिलें। लेकिन, जब आप ज़रूरत से ज़्यादा प्रोटीन खाते हैं, फिर चाहे वो फूड्स के ज़रिए हो या फिर सप्लीमेंट्स के ज़रिए, तो किडनी पर इसका असर पड़ता है। प्रोटीन को प्रोसेस करने के लिए किडनीज़ को ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है। जिन लोगों को किडनीज़ से जुड़ी बीमारी है, या फिर डायबिटीज़ है, उन्हें प्रोटीन की मात्रा के बारे में सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि किडनी के मरीज़ों को हाई-प्रोटीन डाइट से नुकसान हो सकता है। इससे शरीर में यूरिया, एसिड्स और फॉसफोरस की वेल्यू नॉर्मल से बढ़ सकती है।
सप्लीमेंट्स खाने से क्या होता है ?
खिलाड़ी वर्कआउट के बाद शरीर में प्रोटीन की मात्रा डाइट या सप्लीमेंट्स से बढ़ाते हैं, ताकि उनकी मांसपेशियां मज़बूत रहें। रिसर्च के मुताबिक, प्रोटीन खाने से खिलाड़ियों की परफॉर्मेंस बेहतर होती है, लेकिन ज़रूरत से ज़्यादा प्रोटीन पैसा वेस्ट है। मांसपेशियों को बेहतर बनाने के लिए 1 मील में 30 ग्रीम प्रोटीन काफी है, क्योंकि यह आसानी से बॉडी में अब्जॉर्ब भी हो जाता है। न्यूट्रिशन एक्सपर्ट्स कहते हैं कि जो लोग ठीक से खा नहीं पाते या चबा नहीं पाते, उनके शरीर में प्रोटीन पूरी तरह नहीं जा पाता। ऐसे लोगों के लिए प्रोटीन पाउडर ठीक है। इसके अलावा, प्रोटीन से वज़न कम करने में भी मदद मिलती है।
साल 2014 में हुई स्टडी में पाया गया कि प्रोटीन सप्लीमेंट्स खाने से ज़्यादा वज़न वाले लोगों को फायदा होता है, क्योंकि इससे उनका पेट भरा रहता है और वो जंक फूड की तरफ कम आकर्षित होते हैं। सिर्फ यही नहीं, डाइट में हेल्दी कार्बोहाइड्रेट्स और सेचुरेटिड फैट्स कम करने से और प्रोटीन बढ़ाने से भी वज़न कम होता है। अगर आपकी डाइट में प्रोटीन वाले फूड्स हैं, तो आपको प्रोटीन सप्लीमेंट्स लेने की ज़रूरत नहीं।
बच्चों को प्रोटीन सप्लीमेंट्स लेने चाहिए ?
न्यूट्रिशन एक्सपर्ट्स के मुताबिक, टीनेजर्स प्रोटीन सप्लीमेंट्स बॉडी बनाने के लिए लेते हैं। लेकिन, उन्हें समझाना ज़रूरी है कि ज़्यादा प्रोटीन से किडनीज़ पर असर पड़ सकता है और डिहाइड्रेशन भी महसूस होने लगती है। अगर फिर भी पेरेंट्स बच्चों को प्रोटीन सप्लीमेंट्स देना चाहते हैं, तो इसके लिए पहले डॉक्टर से पूछना ज़रूरी है।
कौन से प्रोटीन सप्लीमेंट्स खरीदने चाहिए ?
प्रोटीन के कई स्रोत हैं। चीज़ बॉडी में जल्दी डाइजेस्ट हो जाता है और लोगों को पसंद भी आता है। अंडे भी प्रोटीन का स्रोत हैं। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि प्रोटीन सप्लीमेंट्स खरीदते वक्त ध्यान रहे कि वोही पैकेट लें जिसमें प्रोटीन मुख्य रूप से हो। इसके लिए लेबल को ध्यान से पढ़ें। कई प्रोटीन सप्लीमेंट्स में हाई कैलोरीज़ और कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं। इसीलिए, चुनाव अपने वज़न और ज़रूरत के हिसाब से करें।
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