बच्चों को गोद लेने का चलन तेजी से लोकप्रिय होता जा रहा है, हांलाकि, यहां एक अंतर्निहित चिंता का विषय भी है, कि गोद लिये बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का अधिक खतरा होता है। चाहे गोद लिया हुआ बच्चा हो या अपना खुद का जन्म दिया हुआ, उनके मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। अध्ययनों से पता चला है कि गोद लिये गए बच्चों में सामाजिक, बौद्धिक, या भावनात्मक समस्याओं का विकसित होने की संभावना अधिक होती है।
क्या कहते हैं शोध
हाल में आर्काइव्ज ऑफ़ पीडियाट्रिक एंड एडोलसेंट मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि वे किशोर जिन्हें शिशु अवस्था में ही गोद ले लिया गया था, में एडॉप्टीज़ एक्सटर्नलिजिंग डिज़ीज जैसे अटेंशन-डेफिसिट/हयपेरएक्टिविटी (एडीएचडी) व ओप्पोजीश्नल डीफेंट डिसऑर्डर (oppositional defiant disorder) आदि होने की संभावना दो गुना थी।
गर्भ में ही हानिकारक पदार्थों जैसे शराब आदि से संपर्क, अडोप्शन के बाद या पहले दुरुपयोग या उपेक्षा, परिवार के वातावरण में कमी, पोषण की कमी और अधिक उम्र होने पर गोद लिया जाना आदि समस्याएं बच्चे में मानसिक विकार का जोखिम बढ़ा सकती हैं।
डॉ मार्गरेट केएस के अनुसार, "गोद लिये गए अधिकांश बच्चे ठीक से रह रहे हैं और मुझे नहीं लगता कि दत्तक माता पिता को विशेष रूप से चिंतित होने की कोई जरूरत है।" बजाय इसके, सभी माता पिता को सही तरीके से जागरूक किया जाना चाहिए, क्योंकि गोल लिये बच्चों के लिये ये समस्याएं नई नहीं हैं। डॉ मार्गरेट केएस सलाह देते हैं कि, यदि आप किशोरावस्था में ही अपने बच्चे में कोई समस्या देखते हैं तो तुंरत उचित मदद लें, फिर भले ही आप इसे बच्चे के जैविक माता - पिता हों या दत्तक।
माता-पिता के लिये गोल लिये बच्चे की मदद के टिप्स
हांलाकि गोल लिये बच्चे के माता-पिता का उस बच्चे को गोद लेने से पहले उसके साथ हुए जोखिमों पर कोई नियंत्रम नहीं होता है, वे बच्चे को गोद लेने के बाद ये सुनिश्चित कर सकते हैं कि घर पर आने पर उसे स्थिर और मानसिक रूप से स्वस्थ वातावरण मिले। टोरंटो में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए हिंक्स-डेलारेस्ट सेंटर में शोध निदेशक नैन्सी कोहेन ज़ोर देती हैं कि, "गोद लेने में सबसे मजबूत सुरक्षात्मक कारकों में से एक है सकारात्मक परिवार वाला वातावरण देना और बच्चे को एक सुरक्षित लगाव वाला रिश्ता बनाने का मौका देना।'' परिवार का महौल सकारात्मक रखने से न सिर्फ गोद लिये बच्चों के लिये अच्छा होता है, बल्कि अपने खुद के बच्चों के मानसिक विकास व मानसिक सुरक्षा के लिये भी ये बेहद जरूरी होता है।
बच्चे के वातावरण में हुए बदलाव के प्रति संवेदनशील बनें
माता-पिता को इस बात के लिये भी सचेत रहना चाहिये कि गोद लिये जाने के बाद बच्चे की परिस्थितियों में कई बदलाव आए हैं, और उसी तरह से प्रतिक्रिया देनी चाहिये। विश्वस्तर पर उदाहरण के लिये, उत्तरी अमेरिका के माता-पिता शायद ही कभी अपने बच्चों के साथ सोते हैं। लेकिन चाइना में बच्चे अक्सर समूहों सोते हैं, वे नर्सरी में या उनके पालक परिवारों के साथ ही सोते हैं। तो बच्चे के साथ हुए इस तरह के बदलावों को माता-पिता को जरूर ध्यान में रखते हुए काम करना चाहिये। लेकिन उसे जरूरत से ज्यादा सुविधाएं भी न दें, उसे खुद के बच्चे की तरह ही रखें और सभी जरूरत की चीज़ें दें।