विश्व पर्यावरण दिवस: फेफड़ों को बुरी तरह प्रभावित करता है प्रदूषण, जानें खतरे और बचाव

विश्व पर्यावरण दिवस यानि वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे हर साल 5 जून को मनाया जाता है। क्या आपको पता है प्रदूषण के कारण दुनियाभर में सबसे ज्यादा मौतें भारत में होती हैं? इस दिन को मनाने के पीछे यही कारण है कि लोगों को पर्यावरण प्रदूषण से होने वाले खतरों के बारे में बताया जा सके और उन्हें जागरूक किया जा सके।
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विश्व पर्यावरण दिवस: फेफड़ों को बुरी तरह प्रभावित करता है प्रदूषण, जानें खतरे और बचाव

विश्व पर्यावरण दिवस यानि वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे हर साल 5 जून को मनाया जाता है। क्या आपको पता है प्रदूषण के कारण दुनियाभर में सबसे ज्यादा मौतें भारत में होती हैं? इस दिन को मनाने के पीछे यही कारण है कि लोगों को पर्यावरण प्रदूषण से होने वाले खतरों के बारे में बताया जा सके और उन्हें जागरूक किया जा सके।
आमतौर पर लोग मानते हैं कि प्रदूषण के कारण केवल सांसों की बीमारी हो सकती है। मगर ऐसा नहीं है प्रदूषण हमारे फेफड़ों, हृदय, किडनी और मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। पॉल्यूशन यानि प्रदूषण से आपके फेफड़े सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं क्योंकि आप जब प्रदूषण वाली हवा में सांस लेते हैं, तो हवा में मौजूद हानिकारक तत्व फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं। आइये आपको बताते हैं कि आपके फेफड़ों को प्रदूषण किस तरह प्रभावित कर सकता है।

फेफड़ों को कैसे प्रभावित करता है प्रदूषण

प्रदूषण वाली हवा से फेफड़े कितना और कैसे प्रभावित होंगे ये इस बात पर निर्भर करता है कि आपके आस-पास की हवा में सबसे ज्यादा कौन सा केमिकल घुला हुआ है। आमतौर पर जो लोग पहले से सांस के मरीज होते हैं, उन्हें प्रदूषण से ज्यादा खतरा होता है। दरअसल जब आप प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं, तो हवा के साथ-साथ उसमें मौजूद केमिकल्स भी आपके फेफड़ों में पहुंच जाते हैं। लंबे समय तक प्रदूषण वाली जगह पर रहने से फेफड़ों से जुड़ी कई तरह की बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। इसका खतरा सबसे ज्यादा उन लोगों को होता है जिनका घर रोड या किसी फैक्ट्री के आस-पास होता है।

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किन लोगों को होता है सबसे ज्यादा खतरा

शोध से पता चलता है कि लंबे समय तक प्रदूषण में रहने से फेफड़ों का कैंसर, फेफड़ों का इंफेक्शन और सांसों से जुड़ी कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। शहरों के प्रदूषण और गाड़ियों से निकलने वाले धुंएं के संपर्क में अस्थमा का खतरा बढ़ जाता है। केमिकल फैक्ट्री के आस-पास रहने वाले लोगों में फेफड़ों के रोगों से मरने वालों की संख्या सबसे ज्यादा होती है। अगर आपको पहले से सांस की कोई बीमारी है, तो प्रदूषण में रहने से ये बीमारी जानलेवा स्तर तक खतरनाक हो सकती है। प्रदूषण ब्रॉन्काइटिस, वातस्फीति (एम्फीसीमा) और दमा के मरीजों की हालत और भी बदतर कर सकता है।

प्रदूषण और दिल की बीमारियां

वायु प्रदूषण से फेफड़ों को नुकसान पहुंचने के साथ ही हृदय पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। अगर आप अधिक समय तक प्रदूषण में अपना वक्‍त बिताते हैं तो आप अपने दिल को कमजोर बनाते हैं। एक शोध के मुताबिक हवा में मौजूद सूक्ष्म कण हृदय की कार्यप्रणाली पर बुरा असर डालते हैं, जिसके कारण उसकी इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल देने की क्षमता प्रभावित होती है। सड़क पर बढ़ते ट्रैफिक और वायु प्रदूषण से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।

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घर में मौजूद प्रदूषण भी है खतरनाक

घर में होने वाला वायु प्रदूषण भी घातक होता है। एक शोध के मुताबिक खाना बनाने, रोशनी या ठंड के मौसम में कमरे को गर्म रखने के लिए प्रयोग में लाया जाने वाला ईंधन फेफड़ों के लिए बहुत खतरनाक है। इससे फेफड़े की प्रतिरक्षण क्षमता कमजोर होती है। धूम्रपान करना फेफड़ों को सबसे ज्यादा हानि पहुंचाता है। कोई जितना अधिक धूम्रपान करेगा, लंग कैंसर और सीओपीडी का खतरा अधिक होगा। ज्यादातर गर्मी के महीने में कुछ जगहों में ओजोन और दूसरे प्रदूषक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। फेफड़ों की समस्या से जूझ रहे लोग ज्यादातर वायु प्रदूषण से संवेदनशील होते हैं।

प्रदूषण से बचने के उपाय

  • घर से बाहर निकलें, तो मुंह पर मास्क लगाकर निकलें।
  • रोड के आस-पास घर है तो घर के खिड़की दरवाजे बंद रखें और एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल करें।
  • घर के आस-पास कोई कारखाना या केमिकल फैक्ट्री है, तो हवा के संपर्क में कम से कम आएं।
  • अपनी आंखों को प्रदूषण से बचाने के लिए घर से बाहर निकलने पर थोड़े बड़े साइज के सनग्लास लगाएं।
  • अस्थमा के मरीज अपने साथ हमेशा इन्हेलर रखें।
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