बुखार की स्थिति में शरीर का सामान्य तापक्रम (97-98 डिग्री फारेनहाइट या 36-37 डिग्री सेल्सियस) बढ़ जाता है। इसकी वजह बैक्टीरिया या वायरस का आक्रमण होता है, जिससे लड़ते हुए शरीर का प्रतिरक्षी तंत्र हार जाता है। फलस्वरूप ताप में वृद्धि होने लगती है। पर हायपरथर्मिया में शरीर का ताप बढ़ने का कारण हाइपोथैलेमस का प्रभावित होना होता है।
लक्षण
बुखार, चक्कर आना, त्वचा लाल पड़ जाना, ब्लड पे्रशर (रक्तचाप) में कमी, बेहोशी आदि इसके प्रमुख लक्षण कहे जा सकते हैं। साथ ही दिल की धड़कन और सांस लेने की गति भी तेज हो जाती है। शरीर में पानी की कमी की वजह से जी मिचलाना और उल्टी जैसे लक्षण भी सामने आते हैं। कई बार अस्थाई तौर पर आंखों की रोशनी भी चली जाती है। स्थिति ज्यादा खराब होने पर शरीर के महत्वपूर्ण अंग काम करना बंद करने लगते हैं और मरीज कोमा में भी जा सकता है।
एहतियात
- गर्मी में बाहर निकलते समय पानी पी लें। थोड़े-थोड़े अंतराल पर पानी या अन्य तरल पदार्थ लेते रहें।
- हल्के और ढीली फिटिंग वाले कपड़े पहनें। सूती कपड़े गर्मियों के लिए सबसे अच्छे होते हैं।
- धूप से बचाव के लिए हैट या कैप, छतरी और चश्मे का इस्तेमाल करना सही रहेगा।
- तेज धूप में व्यायाम या कोई अन्य काम करने से बचें।
- खान-पान में भी परहेज करें। तला हुआ, मसालेदार, गर्म तासीर वाली चीजों के बजाय ठंडी तासीर वाली चीजें खाना-पीना फायदेमंद रहेगा।
- इस बात का ध्यान रखें कि शरीर में पानी की कमी नहीं होने पाए। यह देखने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपने पेशाब का रंग देखें। अगर रंग गहरा पीला है तो इसका मतलब शरीर में पानी की कमी है।
- लू के लक्षण सामने आने पर शरीर का तापमान कम करने की कोशिश करें। इसके लिए ठंडे कमरे में रहें या सिर पर गीले कपड़े की पट्टी रखें।
- शरीर में पानी की कमी दूर करने के लिए मरीज को ओआरएस (ओरल रिहाईड्रेशन साल्यूशन) घोल देना चाहिए।
- अपने डाक्टर से मिलें।
यह भी जान लीजिए
- शरीर का ताप 40 डिग्री सेल्सियस या 104 डिग्री फारेनहाइट से ज्यादा होने पर जान को खतरा हो जाता है।
- तापमान 41 डिग्री सेल्सियस या 106 डिग्री फारेनहाइट पहुंच जाए तो आदमी दिमागी तौर पर मृत होने की ओर बढ़ने लगता है।
- तापमान 45 डिग्री सेल्सियस या 113 डिग्री फारेनहाइट पहुंच जाए मौत अवश्यंभावी है और 50 डिग्री सेल्सियस या 122 डिग्री फारेनहाइट पर तो तत्काल मौत हो जाती है।
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