भारत की राजधानी और दिल वालों की दिल्ली की आबोहवा में जहरीले पदार्थ हैं, जिसका सबसे बुरा असर फेफड़ों पर पड़ रहा है। इसके ऊपर किये गये शोधों की मानें तो दिल्ली की हवा में मौजूद पीएम 2.5 फेफड़ों के कैंसर का प्रमुख कारण है। यानी अगर आप दिल्ली में रहते हैं तो आपको सांस की बीमारियों के साथ कैंसर होने का खतरा भी अधिक है। इस लेख में विस्तार से जानिये कैसे पीएम 2.5 आपके फेफड़े को प्रभावित कर रहा है।
क्या है पीएम 2.5
यह पार्टिकुलेट मैटर यानी प्रदूषण के लिए जिम्मेदार सबसे छोटे कण हैं। ये ऐसे कण हैं जिसका साइज 2.5 माइक्रोग्राम से भी कम होता है। ये कण आसानी से नाक और मुंह के जरिए बॉडी के अंदर तक पहुंच कर लोगों को बीमार बना सकते हैं। यानी इनको सामान्य मॉस्क से भी नहीं रोका जा सकता है। इसके लिए विशेष मॉस्क की जरूरत होती है।
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शुद्ध नहीं है दिल्ली की हवा
दिल्ली की आबोहवा में प्रदूषण के सबसे छोटे कण यानि पीएम-2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) तीन गुना ज्यादा पाए गए हैं। दिल्ली में पिछले 3 साल से पीएम-2.5 का स्तर औसत से कहीं ज्यादा है। दिल्ली सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ एनवायरमेंट ने हाल ही में आंकड़ा जारी किया है। आंकड़ों के अनुसार 10 माइक्रोग्राम से कम वाले पॉल्यूटेड कण यानि पीएम-10 का लेवल भी लगातार बढ़ता जा रहा है, इस बार पीएम-10 का आंकड़ा एवरेज से पांच गुणा ज्यादा पाया गया है।
सांस से जाता है शरीर में
पीएम 2.5 के पार्टिकल्स का साइज जितना छोटा होगा वह उतनी आसानी से सांस के जरिए शरीर के अंदर तक पहुंच जाएगा। इन पार्टिकल्स के अधिक संपर्क में रहना जानलेवा हो सकता है। अस्थमा के मरीजों को यह आसानी से अपनी चपेट में ले लेता है। बच्चे और बूढ़े इसकी चपेट में आसानी से आ जाते हैं, क्योंकि उनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है।
कितना है इसका स्तर
दिल्ली के एनवॉयरनमेंट डिपार्टमेंट की मानें तो पीएम 2.5 का लेवल 138 है, जो साल 2013 में 136 और साल 2012 में 143 पाया गया था। नाइट्रोजन डाइऑक्साइड भी ज्यादा है। हालांकि साल 2012 और 2013 की तुलना में 2014 में कमी तो आई है, लेकिन एवरेज लेवल 40 से अभी भी 71.9 काफी ज्यादा है।
शोध के अनुसार
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) की इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर ने भी दिल्ली की दूषित हवा को कैंसर का बड़ा कारण माना है। इससे पहले तंबाकू, यूवी रेडिएशन और प्लूटोनियम जैसे खास कारकों को ही इस श्रेणी में रखा गया था। दिल्ली में हर साल लंग कैंसर के रोगियों की संख्या बढ़ रही है, दिल्ली कैंसर रजिस्ट्री और एम्स के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में हर साल 13,000 कैंसर के नए मामले सामने आते हैं, जिनमें से 10 फीसदी लंग कैंसर के होते हैं। लंग कैंसर के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार पीएम 2.5 का अधिक स्तर है।
दिल्ली में रहकर शुद्ध हवा मिलना मुमकिन नहीं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि यहां खतरे ही खतरे हैं। छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर आप अपने लंग को हेल्दी रख सकते हैं।
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