
जब कभी हमको तेज गैस, पेट फूलना जैसी समस्या लगातार होती है तो चिकित्सक ग्लूटेन रहित आहार लेने की सलाह देते हैं। ऐसे में यहा जानना बहुत जरूरी है कि ग्लूटेन होता क्या है।
पहलाजानी वुमन अस्पताल की आहार विशेषज्ञ डॉ. सारिका श्रीवास्तव ने बताया कि ग्लूटेन गेंहू, ज्वार, मैदा, सूजी, मैगी-पास्ता में पाए जाने वाला प्रोटीन है। इस प्रोटीन में पाया जाने वाला ग्लूटेन हमारे स्वास्थ्य में दुष्प्रभाव डालता है। ग्लूटेन पानी के साथ मिलकर लसलसा घोल बनाता है, जिससे कई पदार्थ पुरी तरह नहीं पच पाता है। ऐसे में छोटी आंत की आंतरिक दीवाल म्यूकोसा को नुकसान पहुंचता है। आंतों में छोटे-छोटे सुराख़ बन जाते हैं।
इन बीमारियों का कारण बन सकता है ग्लूटेन
डॉ. सारिका श्रीवास्तव ने बताया कि थोड़ी मात्रा में ग्लूटेन का उपयोग नुकसान नहीं करता, पर ज्यादा सेवन स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है और जिन्हें सीलिएक रोग या ग्लूटेन टालरेंस है उन्हें इसकी थोड़ी भी मात्रा बहुत नुकसान पहुंचाती है। परिणाम स्वरूप पेट फूलना, गैस, डायरिया, पेट संबंधी रोग, अल्सर, थकान, डिप्रेशन, पेट दर्द, एग्ज़ीमा, कैंसर, ह्रदय रोग अस्थमा उलटी, माइग्रेन, लंबाई का नहीं बढ़ना जैसी गंभीर बीमारिया हो सकती है।
क्यों हो रही है ग्लूटेन की वजह से समस्या?
उन्होंने बताया कि वैसे तो प्राचीन काल से गेंहू हमारे भोजन का मुख्य अनाज है, परन्तु बदलती जलवायु, कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग से अनाज की गुणवत्ता में कमी आयी है। प्राचीन काल में भी अनाज बदल-बदल कर खाए जाते थे। लेकिन वर्तमान समय में मैदे का चलन बढ़ने से समस्या विकराल हो रही है। इस समस्या से निजात पाने हमें भी अनाज मिक्स करके या बाजरा ओट्स, मिलिट्स का सेवन करना चाहिए।
कैसे कम करें ग्लूटेन का सेवन?
डा सारिका श्रीवास्तव के अनुसार जिन्हे ग्लूटेन के सेवन से स्वास्थ्य संबंधी तकलीफ हो रही हो उन्हें ग्लूटेन रहित आहार का सेवन करना चाहिए। जैसे अनाज, बाजरा, ओट्स, मल्टीग्रैन, दलिया, फल, सब्जियों, बीन्स, ब्राउन राइस कुट्टू का आटा, सूखे मेवे, दही, कम वसा युक्त दुग्ध, बीज, अंडा, चिकेन, मछली आदि आहार को नियमित दिनचर्या में सम्मिलित करना चाहिए। यदि आपका आहार चयन उचित होगा तो आपका स्वास्थ्य भी उत्तम रहेगा।