अगर बटर चिकन आपका फेवरेट है तो आपको सावधान होने की जरूरत है। अगली बार जब आप जायकेदार चिकन का मजा ले रहे होंगे तो आपको यह सोचने पर मजबूर होना पड़ सकता है कि कहीं आप चिकन खाने से किसी गंभीर बीमारी की चपेट में तो नहीं आ रहे।
अमेरिकन शोधकर्ताओं के द्वारा किए गए नए शोध में यह सामने आया है कि भारत में आजकल जो चिकन बाजारों में बिकता है उसमें अत्याधिक मात्रा में एंटीबायोटिक्स मिला हुआ होता है जिससे कि लाखों लोग चिकन खाने से बीमार होते हैं।
पिछले साल एक संस्था द्वारा की गई रिसर्च में पाया गया कि दिल्ली-एनसीआर में बिकने वाले 40 प्रतिशत चिकन के सेंपल में एंटीबायोटिक की मात्रा पाई गई।
व्यवसायिक इस्तेमाल के लिए पाले जाने वाले चिकन को एंटीबायोटिक दिया जाता है। यह एंटीबायोटिक चिकन को बीमारी से बचाने के लिए व उन्हें जल्दी विकसित करने के लिए दिया जाता है।
जब यह एंटीबायोटिक चिकन्स को दिए जाते हैं तो यह इनके पेट में लंबे समय तक रहते हैं और जब इनको लोग खाते हैं तो चिकन के साथ एंटीबायोटिक के कण भी लोगों के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और बाद में यही कण कई प्रकार की बीमारियों का कारण बनते हैं। कई देशों ने चिकन में एंटीबायोटिक को प्रतिबंधित लगा रखा है।
हाल ही में मैकडोनाल्ड ने भी एंटीबायोटिक वाला चिकन इस्तेमाल करना बंद कर दिया है। हालांकि भारत में इस तरह को कोई कानून नहीं है जो चिकन में एंटीबायोटिक के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाए।
डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2013 में एंटीबायोटिक रसिस्टेंस वाले चिकन खाने से 58000 लोगों ने अपनी जान गंवाई और अगर यही चलता रहा तो 2050 तक यह संख्या 50 लाख हो सकती है।
2010 में प्रस्तुत किए गए आंकड़ों के अनुसार विश्व में सर्वाधिक चिकन खाने के मामले में भारतीय पांचवें स्थान पर हैं। पहले नंबर पर चीन, दूसरे नंबर पर यूएस,तीसरे नंबर पर ब्राजील, चौथे नंबर पर जर्मनी और पांचवें नंबर पर भारत है। 2030 तक भारत जर्मनी को पीछे छोड़कर चौथा सबसे ज्यादा चिकन खाने वाला देश बन जाएगा।
Image Source - Getty Images
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