हाल ही में हुई शोध से इस बात की पुष्टि हुई है कि कैंसर स्कैनर का इस्तेमाल करके हजारों कैंसर के मरीजों को पीड़ादायक कैंसर के ऑपरेशन से बचाया जा सकता है। अब तक गले और मस्तिष्क के ट्यूमर का इलाज किमोथैरेपी और रेडियोथैरेपी के द्वारा हो जाता था लेकिन उसे देखने के लिए ऑपरेशन करना जरूरी होता था। इस ऑपरेशन के दूसरे साइड इफेक्ट होते थे। जैसे की गले के कैंसर को ठीक करने के लिए गले का ऑपरेशन करना पड़ता था और उसके पाइप का हटाना पड़ता था। इस ऑपरेशन के बाद गले का कैंसर तो ठीक हो जाता था लेकिन पाइप के हटने से बहुत सारे खानों में पाबंदी लग जाती थी।
न्यू इंगलैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में छपी यह शोध 564 कैंसर के मरीजों पर की गई है जिसमें से 80% मरीजों को स्कैन के द्वारा खतरनाक ऑपरेशन सर्जरी से छुटकारा मिला। जबकि परिणाम में स्कैनर और ऑपरेशन के बाद के सर्वाइवल रेट्स बराबर आए हैं।
ऑपरेशन से नुकसान
- ऑपरेशन से कैंसर का चेकअप करने में तीन घंटे का समय लगता है।
- ऑपरेशन के बाद मरीज को रिकवर होने में दो हफ्ते से अधिक का समय लगता है। पहला हफ्ता तो अस्पताल में ही बिताना पड़ता है।
- इसमें नर्वस सिस्टम के डैमेज होने, डिसफिगरमेंट और मूवमेंट समस्या जैसे कॉम्पलीकेशन भी शामिल होते हैं।
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स्कैनिंग
- पॉजिट्रन एमिशन टोमोग्राफी- कंप्यूटेड टोमोग्राफी (PET-CT) में एक रेडियोएक्टिव डाई का इस्तेमाल किया जाता है जो तुरंत शरीर के अंदर में कैंसर सेल्स की पहचान करता है।
- बर्मिंघम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हिशाम मेहनान कहते हैं कि, "मृत कोशिकाओं के बीच में कैंसरजनित कोशिकाएं छिप जाती हैं। इन कैंसर कोशिकाओं की पीईटी-सीटी से पहचान की जाती है औऱ जांच की जाती है कि वे मृत है कि नहीं। इस तकनीक का इस्तेमाल हम मरीजों को पीड़ादायक ऑपरेशन से बचाने के लिए करते हैं।"
पांच में से केवल एक को जरूरत होती है ऑपरेशन की
यह शोध बर्मिंघम यूनिवर्सिटी ने की है। इस शोध में सर्जरी और स्कैन से कैंसर का इलाज कराए गए दोनों तरह के मरीजों को शामिल किया गया। शोध में ये बात सामने आई है कि सर्जरी और स्कैनिंग के बाद मरीजों की सर्वाइविल रेट बराबर थी। जबकि केवल पांच कैंसर के मरीजों में से एक को ही ऑपरेशन की जरूरत थी। साथ ही पीईटी-सीटी स्कैन ऑपरेशन की तुलना में सस्ता है।
source - medicalxpress
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