हेल्प सिंड्रोम गर्भावस्था की एक जटिलता है। यह खून से संबंधित बीमारी है। इससे कुछ महिलाओं में रक्त की कोशिकाओं में गड़बड़ी आ जाती है। जिसके बाद लाल रक्त कणिकाओं, प्लेटलेट्स आदि अपने-आप नष्ट होने शुरू हो जाते हैं। एक के बाद एक कड़ियां जुड़नी शुरू हो जाती हैं और इसका पता तब चलता है जब मरीज को झटका आने लगता है या वह बेहोश हो जाती है।
हेल्प सिंड्रोम की समस्या गर्भावस्था के दौरान सामान्य नहीं है। यह सभी गर्भवती महिलाओं को नहीं होती। लेकिन प्री-इक्लेंप्सिया (उच्च रक्तचाप के कारण होने वाली समस्या) और इक्लेंप्सिया (ब्लड वेसेल की समस्या) से ग्रस्त लगभग 10 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं होती है। हेल्प सिंड्रोम के कारण यूरीनेशट करने में दिक्कत, खून की उल्टी, मतली, थकान आदि समस्या होती है। यह सिंड्रोम गर्भावस्था के 37वें सप्ताह बाद या डिलीवरी के एक सप्ताह बाद हो सकती है। आइए हम आपको हेल्प सिंड्रोम के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं।
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हेल्प सिंड्रोम के जोखिम कारक
यह सिंड्रोम 35 साल के बाद गर्भधारण करने वाली महिलाओं या 20 साल से कम उम्र में गर्भधारण करने वाली महिलाओं में ज्यादा विकसित होता है। हालांकि अभी तक इस सिंड्रोम के विकसित होने के प्रमुख कारणों का पता नही चल पाया है। जिन महिलाओं को उच्च रक्तचाप की समस्या होती है या जो प्रीक्लेंप्सिया से ग्रस्त होती हैं उनमें इस सिंड्रोम के विकसित होने की आशंका ज्यादा होती है।
- हेल्प सिंड्रोम के लक्षण
- अस्वस्थ महसूस करना
- वजन का बढ़ना
- थकान होना
- मतली
- लगातार उल्टी होना
- सिरदर्द
- पेट दर्द (खासकर दाई तरफ)
- नाक से खून निकलना
- देखने में दिक्कत होना
- लगातार खून बहना(ब्लीडिंग)
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हेल्प सिंड्रोम के लिए उपचार
- हेल्प सिंड्रोम गर्भवती मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है। यदि समय पर इसका इलाज न किया जाए तो मां का लिवर क्षतिग्रस्त हो सकता है।
- इस सिंड्रोम को होने से रोकने के लिए नियमित रूप से मेडिकल चेकअप कराते रहिए।
- गर्भावस्था के दौरान यदि आपको कोई समस्या हो तो चिकित्सक को तुरंत बतायें।
- ब्लड प्रेशर की नियमित जांच कराइए।
हेल्प सिंड्रोम की जटिलतायें
- यदि किसी महिला में हेल्प सिंड्रोम का विकास हो चुका है तो गर्भावस्था के दौरान और डिलीवरी के बाद भी समस्या हो सकती है।
- डिलीवरी के बाद क्लॉटिंग डिसआर्डर (खून के थक्के का विकार) हो सकता है जिसके कारण सामान्य से ज्यादा ब्लीडिंग हो सकती है।
- पल्मोनरी एडीमिया, इसके कारण फेफड़ों में तरल पदार्थ जम जाता है।
- लिवर हैमरेज
- प्लासेंटल एब्रप्शॅन, जिसमें ऊपरी गर्भाशय की दीवार गर्भनाल से अलग हो जाती है।
- गुर्दे काम करना बंद कर सकता है।