मौजूदा समय में देखा जाए तो आधे से ज्यादा लोगों की मौत हार्ट अटैक और अन्य हद्य संबंधी कारणों से हो रही है। एक समय था जब दिल के दौरे अर्थात हार्ट अटैक सिर्फ वृद्धों लोगों को आता था। लेकिन वर्तमान समय में आलम यह है कि नौजवान लोगों की मौत भी हार्ट अटैक के चलते हो रही है। डॉक्टरों का कहना है कि तनाव और चिंता भरे जीवन के चलते हार्ट अटैक आना आम बात हो गई है। हालांकि इस बीमारी को इसलिए ज्यादा भला बुरा नहीं कहा जा सकता क्योंकि यह तुरंत नहीं आती बल्कि करीब 1 महीने पहले ही शरीर में अपने लक्षण दिखा देती है। कुछ लक्षण ऐसे होते हैं जिन्हें ध्यान में रखकर मरीज इस बीमारी से बच सकता है।
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इंग्लैंड में हुई एक रिसर्च में कहा गया है कि गरीब के बच्चे यानि कि बचपन में गरीबी में पले बढ़े बच्चों को भविष्य में हार्ट अटैक आने की संभावना अधिक रहती है। ऐसा इसलिए क्योंकि गरीबी रहन सहन और खानपान के चलते हदय उस तरह पम्पिंग नहीं कर पाता है जिस तरह उसे करनी चाहिए। यानि कि अगर हमारा दिल अच्छी तरह पम्पिंग नहीं करेगा तो उसके फेल होने के चांस बढ़ जाते हैं।
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शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने अपने शोध में कई गरीब और अमीर घर के बच्चों के दिल पर रिसर्च की है। जिसमें साफ पाया गया है कि गरीब बच्चों के दिल अपेक्षाकृत कमजोर हैं। शोधकर्ताओं ने कहा है कि गरीब बच्चों के दिल का निचला हिस्सा सही से काम करने में अक्षम साबित हुआ है।
शोध में कहा गया है कि इस स्थिति के लिए गरीबी वातावरण, खानपान और बच्चों की बुरी शारीरिक आदतें जिसमें कच्ची उम्र में स्मोकिंग और शराब पीना जैसी आदतें शामिल हैं।इस बीमारी को बढ़ावाा देने में अहम रोल निभाती है। हार्ट अटैक आने से पहले ही शरीर में कइ आम लक्षण देखे जाते हैं। जैसे सीने में हल्का दर्द, अधिक पसीना आना, मतली और उल्टी, सीने में दर्द, बैचेनी, शरीर के कई हिस्सों में दर्द, सांस लेने में दिक्कत, फ्लू की समस्या और घबराहट जैसे लक्षण दिखने लगते हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि अगर महीने भर पहले भी बच्चों में ये लक्षण पहचान लिए जाएं तो हार्ट अटैक को रोकने में काफी हद तक मदद मिल सकती है।
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