डायबिटीज आधुनिक जीवन शैली में तेजी से विकसित होता एक ऐसा रोग है, जिससे जीवनशैली में बिना स्वस्थ बदलाव लाये छुटकारा पाना मुश्किल होता है। इस रोग के गंभीर परिणाम हो सकते हैं लेकिन यदि सतर्क रहा जाए और जीवन में कुछ सकारात्मक बदलाव लाए जाएं तो स्वस्थ रहा जा सकता है। इस लेख में हम आपको डायबिटीज से निपटने के लिए के लिए आपकी जीवनशैली में लायें जा सकने वाले कुछ स्वस्थ बदलावों के बारे में बता रहें हैं।
डायबिटीज के शुरुआती लक्षणों के दिखाई देते ही अपने साभी टेस्ट करवाएं, ताकि मर्ज बढ़ने से पहले ही इसे संभाला जा सके। आमतौर पर डायबिटीज एक आनुवांशिक बीमारी होती है। पहले यह बढ़ती उम्र में अधिक होती थी, लेकिन अधिक वजह, अनियंत्रित खानपान और खराब जीवनशैली व ऐसे ही अन्य कई कारणों से अब यह समस्या कम उम्र में भी देखी जा सकती है।
डायबिटीज कंट्रोल में नहीं रहे तो शरीर के अंग कमजोर पड़ जाते हैं और इसका सबसे अधिक असर दिल पर पड़ता है। यही कारण है कि डायबिटीज को सभी रोगों की जड़ भी कहा जाता है। जायबिटीज का कारण भले जो भी हो, यदि हम अपनी जीवनशैली को थोड़ा संतुलित और अनुशाषित कर लें तो इस सायलेंट किलर से निपटा जा सकता है। योग, प्राणायाम, नियमित व पौष्टिक खान-पान तथा सही उपचार की मदद से इस रोग पर काबू पाया जा सकता है। डायबिटीज को हम आयुर्वेदिक उपचार से तथा रेकी द्वारा भी नियंत्रित कर सकते हैं।
वजन करें कम
अधिक वजन न सिर्फ डायबिटीज की समस्या का कारण बनता है बल्कि अन्य कई स्वास्थ्य समस्याएं भी साथ लाता है। इसलिए अपने वजन को नियंत्रित रखें। बात अगर महिलाओं हो तो महिलाओं को अपनी कमर 35 से अधिक नहीं बढ़ने देनी-चाहिए और पुरुषों को 40 इंच से अधिक नहीं होने देनी चाहिए। नियमित बिस्क वॉक करें ताकि मांसपेशियां इंसुलिन पैदा कर सकें और ग्लूकोस को पूरी तरह से एब्जार्ब कर सकें।
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योग करें
डायबिटीज से राहत पाने के लिए आप योग की मदद भी ले सकते हैं। इसके लिए आप कटिचक्रासन कर सकते हैं। कटिचक्रासन का अभ्यास करने के लिए पहले सीधे खड़े हो जाएं और फिर दोनों पैरों के बीच डेढ़ से दो फुट की दूरी बनाएं। अब कंधों की सीध में दोनों हाथों को फैलाएं, इसके बाद बाएं हाथ को दाएं कंधे पर रखें और दाएं हाथ को पीछे से बाईं ओर लाकर धड़ पर लाएं। सामान्य रूप से सांस लेते रहे और मुंह को घुमाकर बाएं कंधों की सीध में ले आएं। इस स्थिति में कुछ समय तक खड़े रहें और फिर दोबरा दाईं तरफ से इस क्रिया को ठीक पहले की तरह से करें। इस क्रिया को दोनों हाथों से 5-5 बार करें।
खान-पान का रखें खयाल
सबसे पहले बेकार की चीजें खाना बंद करें। क्योंकि जितना फायदा आपको अच्छी चीजें खाकर नहीं होगा, उससे कहीं ज्यादा नुकसान आपको खराब खाने की वजह से हो सका है। इसलिए तले हुए भोज्य पदार्थों का सेवन न करें। कम से कम वेजीटेबल ऑयल का प्रयोग करें। नट्स का नियमित सेवन करें। मधुमेह के मरीजों को प्यास ज्यादा लगती है, प्यास लगने पर पानी में नींबू निचोड़कर पीने से प्यास कम लगती है और वह स्थाई रूप से शांत होती है। मधुमेह के मरीजों को भूख से थोड़ा कम ही खाना चाहिए। हमेशा हल्का भोजन ही करना चाहिए। खीरे, गाजर, पालक, शलजम, जामुन, मेथी, करेले तथा गेहूं के जवारे को अपने भोजन में शामिल करना चाहिए। इसके साथ ही अधिक रेशायुक्त भोज्य पदार्थों का सेवन करें जैसे ब्राउन राइस, चोकरयुक्त रोटी, ब्राउन ब्रेड आदि।
लो ग्लाईसेमिक वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें, हाई ग्लाइसेमिक वाले खाद्य पदार्थों से बिल्कुल दूर रहें। नियमित रूप से एटीआक्सीडेंट आंवले का सेवन करें।
तनाव को कहें बाय
शोध बताते हैं कि जो लोग अधिक तनाव में रहते हैं उनको डायबिटीज की समस्या हो सकती है। जी हां जो लगो काम के दौरान तनाम में रहते हैं अथवा जिनका काम की परिस्थितियों पर नियंत्रण कम रहता है उनमें मधुमेह की बीमारी होने की संभावना अधिक रहती है। इसलिए तनाव न लें। आप सोच रहे होंगे कि तनाव न लें, कह देना बहुत आसान है, लेकिन ये कैसे संभव हो सकता है। तो जनाब यह संभव है बस जरूरत है अपने निजी जीवन और दफ्तर के कोमों के सही प्रबंधन की। काम का सही प्रकार प्रबंधन कर आप कफी हद तक तनाव से बच सकते हैं। इसके अलावा नियमित योग व व्यायाम, योग और पौष्टिक खान पान भी आपको तनाव मुक्त रहने में मदद करता है। इसके अलावा आप सकारात्मक रह कर भी तनाव मुक्त रह सकते हैं।
नियमित कराएं जांच
डायबिटीज से बचने के लिए नियमित जांच कराएं। ब्लड शुगर टेस्ट में यूरीन की जांच कर रक्त में शुगर का स्तर का पता किया जा सकता है। डायबिटीज स्क्रीनिंग में शरीर के ग्लूकोज के अवशोषण की क्षमता की जांच की जाती है। खासतौर पर 45 की उम्र से ही यह जांच नियमित हो जानी चाहिए। लेकिन यदि आपका वजन और ब्लड प्रेशर सामान्य से अधिक है या इस बीमारी का कोई पारिवारिक इतिहास रह चुका है तो युवा अवस्था में ही ये जांच शुरू कर देनी चाहिए। सामान्य स्थिति में तीन साल में एक बार और इसका कोई पारिवारिक इतिहास होने पर प्रतिवर्ष जांच करानी चाहिए।
यदि अपनी सेहत और जीवन को बेहतर बनाना है तो जीवनशैली में किसी भारी भरकम बदलाव की जगह थोड़ा बहुत परिवर्तन भी फायदेमंद हो सकता है। आज से ही इस बदलाव की शुरुआत करें और डायबिटीज को मात दें।
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