Healthcare Heroes Award 2022: रेडियो के जरिए आदिवासी समुदाय को कोविड से बचाव के लिए जागरूक करने वाली अश्वथी

आदिवासी लड़की अश्वथी मुरली ने पूरे गांव वासियों का टीकाकरण को लेकर डर को खत्म किया और उन को जागरूक किया
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Healthcare Heroes Award 2022: रेडियो के जरिए आदिवासी समुदाय को कोविड से बचाव के लिए जागरूक करने वाली अश्वथी

कैटेगरी:  अवेयरनेस वॉरियर्स

परिचय:  वायनाड के पनिया आदिवासी समुदाय से आने वाली अश्वथी मुरली

योगदान: अश्वथी मुरली ने आदिवाली समाज के लोगों को जागरूक किया और कम्युनिटी सर्विस रेडियो के द्वारा कोविड-19 टीकाकरण के लिए पूरे गांव को प्रेरित किया।

नॉमिनेशन का कारण: कई जगह आदिवासी समुदाय अपने जड़, जमीन और प्रकृति से जुड़ाव के कारण शहरी सुविधाओं और इलाज पर बहुत ज्यादा यकीन नहीं करते। ऐसे में कोविड महामारी आने के बाद उनमें वैक्सीन और संक्रमण से जुड़ी कई भ्रम थे, जिन्हें अश्वथी मुरली ने उन्हें जागरूक करके दूर किया।

कोविड-19 महामारी से अब तक 4.84 लाख लोगों की मृत्यु और 3.59 करोड़ केसों का आंकड़ा पार कर भारत के हर कोने तक पहुंच चुकी है। बड़े बड़े महानगरों, छोटे शहरों, कस्बों और यहां तक कि एकांत में रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोगों ने भी इस बीमारी को झेला है। ऐसा ही एक गरीब आदिवासी समुदाय है पनिया। यह समुदाय पश्चिमी घाट की पहाड़ियों में स्थित दक्कन पठार के दक्षिणी छोर पर बसता है, जो वायनाड में आता है। इस समुदाय के लोगों के पास आधुनिक सुविधाएं तो कम हैं ही साथ ही इनकी भाषा भी अलग है। आदिवासी समुदाय के लोग अपनी जरूरतों और यहां तक कि दवाइयों के लिए भी जंगलों पर निर्भर रहना पड़ता हैं। इसलिए जब महामारी ने देश को अपने लपेटे में लिया तो इस प्रकार के समुदायों से संवाद स्थापित करना और इन्हें कोविड और वैक्सीन से जुड़ी जानकारी देना किसी चुनौती से कम नहीं था।

ashwathy murali

उम्मीद की एक किरण

लेकिन तब एक 22 साल की आदिवासी लड़की, अश्वथी मुरली बचाव के लिए आगे आईं। ये इस समुदाय की रेडियो सर्विस, रेडियो मटोली, 90.4 एफएम के लिए पिछले तीन सालों से काम कर रही थी। इसलिए जब लोकल प्रशासन और रेडियो मटोली ने इस समुदाय के लोगों को रेडियो वितरित करने का निर्णय लिया तो अश्वथी ने दोनों समुदायों को जोड़ने का काम किया। इन्होंने इंटरनेट के जरिए डॉक्टर्स और हेल्थ एक्सपर्ट्स द्वारा दी गई जानकारियों को अपनी लोकल भाषा में ट्रांसलेट करके उन्हें जागरूक करना शुरू किया। रेडियो वितरण के साथ-साथ लोगों ने रेडियो जॉकी को अपनी ही भाषा में बात करते हुए सुना। जो कुछ इस प्रकार थे- " नमस्कार। मैं अश्वथी मुरली, रेडियो मटोली लाइव फोन इन प्रोग्राम से बोल रही हूं।" 

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जरूरी जानकारी को किया लोकल भाषा में अनुवाद

अपनी भाषा में महामारी से संबंधित जानकारी मिलने पर लोगों ने इससे जुड़े कदम उठाने शुरू किए। कोविड की दूसरी लहर ने वायनाड सहित आसपास के इलाके में काफी गंभीर परेशानियां पैदा कीं। लॉकडाउन के कारण रेडियो स्टेशन तक पहुंचना अश्वथी के लिए मुश्किल हो गया। पर इस समस्या ने भी अश्वथी के जज्बे को ढीला नहीं किया। अश्वथी को अपने समुदाय के लिए कुछ करता हुआ देख कर फॉदर बीजो थॉमस, जो कि रेडियो मटोली के स्टेशन मास्टर हैं, ने उसे घर से काम करने के लिए एक लैपटॉप दिया। अश्वथी ने डॉक्टरों को कोविड 19 के बारे में बात करते हुए रेडियो प्रोग्राम्स में देखा। अधिकतर जानकारी अंग्रेजी में थी इसलिए उसने आवश्यक जानकारी के बारे में नोट्स बनाए, इंफेक्शन के लक्षण, बचाव के तरीके और प्रोटोकॉल्स के बारे में जाना और गूगल पर ट्रांसलेट किया। फिर पनिया की भाषा में अनुवादित किया। उसने जानकारी को रिकॉर्ड और एडिट करके रेडियो ब्रॉडकास्ट होने के लिए भेज दिया।

community radio

पहुंचाई कोविड से जुड़ी जानकारी

अश्वथी ने कोविड-19 और वैक्सीनेशन से जुड़ी जानकारी लोगों तक पहुंचाई और समाज में फैले हुए झूठ से पर्दा हटाया। उनका स्लोगन था " इलाज से बेहतर बचाव है "। यही नहीं नेशनल हेल्थ मिशन द्वारा साझा की गई थीम के मुताबिक अश्वथी ने कुछ स्किट्स बनाये। जिसमें आदिवासियों से जुड़े किरदार थे -जैसे गांव का एक किसान। अश्वथी को हर उम्र के लोगों ने सुना और वह लाइव इन फोन प्रोग्राम के माध्यम से लोगों से जुड़ी भी। यही नहीं वे रेडियो मटोली की टीम के साथ घर-घर गईं और ने लगभग 74 घरों को कवर किया। कुछ आदिवासी टीकाकरण भी नहीं करवाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने सबसे पहले खुद को वैक्सीन लगवाने का निश्चय किया।इस तरह न केवल अपने डर को दूर किया बल्कि अपनी दादी और बाकी घर वालों को भी वैक्सीन लगवाई। उसे टीकाकृत होता हुआ देख कर सारा गांव खुद का टीकाकरण करवाने के लिए आगे आया।

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spreading awareness about covid

सरकार द्वारा सराहना

अश्वथी को अपने द्वारा किए गए काम के लिए भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा भी सराहना मिली जिन्होंने इनके काम की काफी तारीफ की। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का भारत की कोविड से चल रही जंग में आगे आने वाले कर्मचारियों को एक सम्मान देने के लिए अश्वथी को सेंटिनल्स ऑफ द सॉइल यानी मिट्टी के प्रहरी में नाम दिया। यह एक कॉफी टेबल बुक है जिसमे निस्वार्थ रूप से और बिना थके काम करने वाले कोविड वॉरियर्स की सराहना की गई थी। MyGov इंडिया ने इनकी कहानी को यूट्यूब पर भी दिखाया, इसके साथ ही केरल सरकार के प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो ने इसके बारे में ट्वीट भी किया। केरल के डीडी न्यूज चैनल ने अश्वथी द्वारा किए गए कामों को खबरों में दिखाया। वह अपनी मां जिसने अकेले उसे और उसके भाई को पाला है, से प्रेरित हुई थी।

अगर अश्वथी मुरली के इस काम ने आप को थोड़ा सा भी प्रेरित या खुश किया है तो उसको जागरण न्यू मीडिया और ओनली माय हेल्थ हेल्थ केयर हीरो अवार्ड में जिताने के लिए उसे वोट जरूर दें।

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