Category : Covid Heroes
वोट नाव
कौन : इज़राइल लालरेलतांगाक्या : लोगों को फ्री में क्वारंटीन सेंटर पहुंचाया।
क्यों : जरूरतमंदों की सेवा की।
ओनली माय हेल्थ उन सभी सच्चे हीरोज़ की कहानियों को सामने ले कर आ रहे हैं, जो इस महामारी में असमर्थ लोगो की मदद कर रहे हैं। ओएमएच हेल्थ केयर हीरो अवॉर्ड्स इस महामारी के दौरान, दिन रात काम करने वाले लोगों को सलाम करने के लिए एक छोटी सी पहल है।
अपनी जिंदगी को दांव पर लगाने वाले इन 46 वर्षीय के पादरी ने अपने समाज के लोगों द्वारा प्यार व इज्जत कमाई है। दक्षिणी मिजोरम के लुंगलेई जिले में बैपटिस्ट चर्च में काम करने वाले, इन पादरी ने वायरस से संक्रमित लोगों को उनके क्वारंटाइन के बाद स्वयं उनके घरों या गांवों तक छोड़ के आयें हैं और वह भी मुफ्त में। उन्होंने इस काम के लिए अपनी खुद की कार का प्रयोग किया। जो उन्होंने वायरस के नियमो का पालन करते हुए बनाई थी।
इस नेक कार्य के समय चुनौतियां
ओनली माय हेल्थ ने जब इनसे बात की तो उन्होंने बताया कि ,"जब वायरस के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में फैले मिजोरम के लोग वापस अपने गांव या शहर आने लगे तभी से ही वह सबकी इस काम में मदद कर रहे है। उन्हें पता लगा कि नेगेटिव रिपोर्ट आने के बाद भी लोग अपने घर तक पहुंचने में बहुत सी तकलीफों का सामना कर रहे हैं। उनके आगे बहुत सी डर व सामाजिक बाधाएं थीं। कोई भी उनकी मदद करने के लिए तैयार नहीं था। जो बेसिक ट्रांसपोर्ट था वह बहुत ही महंगा था। जैसे कि हर एक व्यक्ति के लिए 3000 रूपए। अस्थमा के कारण मरने वाला एक व्यक्ति इस स्थिति का बस एक उदाहरण था।
पादरी कहते हैं की ऐसी घटनाएं व लोगों की दयनीय स्थिति ने उनके हृदय को पिघला दिया। उनकी एक छोटी सी गाड़ी जो कि उनके ससुर ने उन्हें गिफ्ट की थी, ढेरों लोगो के लिए परिवहन का साधन बनी। पादरी, अपनी बीवी व दोनो बच्चों के साथ लुंगलेई जिले में रहते थे। कहते हैं कि यह तो हमारा कर्तव्व्य बनता है कि हम जरूरत मन्दों की मदद करें।
भगवान की इच्छा में ही उनकी इच्छा
लार्मेतुलांगा कहते हैं कि उनका काम केवल प्रसिद्धि पाने या पब्लिसिटी के लिए नहीं है। जब वह दूसरों की मदद करते हैं तो वह भगवान कि इच्छा को पूरी कर रहे है। इनको यह याद भी नहीं है कि अब तक यह कितने लोगों की मदद कर चुके हैं। चूंकि वायरस के कारण सभी चर्चों की सेवाएं बंद कर दी गई थी, लार्मेतुलंगा को यह चर्च से बाहर के लोगों की सेवा करने का मौका लगा।
सुरक्षा का पालन करना
इज़रायल लार्मेतुलांगा की बहन का सुरक्षा का हवाला देकर उनकी रोकने के लिए कहना भी उनको नहीं रोक पाया। इन्होंने अपनी कार को बदल लिया। सामने केवल एक ड्राइवर की ही सीट बनाई। इन्होंने फ्रंट सीट और बैक सीट के बीच बैरियर्स बना कर सामाजिक दूरी का भी पूरी तरह से ध्यान रखा। पहले वह केवल एक ही व्यक्ति को अपनी गाड़ी में बैठा सकते थे। परन्तु और मॉडिफिकेशन करने के बाद वह दो लोगों को भी एक साथ ले जाने में समर्थ हो गए।
यदि उनकी कहानी ने आप के दिल में थोड़ी सी भी जगह बनाई है तो आप इनके लिए वोट देकर इन्हे यह अवॉर्ड जीतने में मदद कर सकते हैं।
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