
आज बच्चे घर के अंदर खेलने जाने वाले खेलों को पसंद करते हैं और अभिभावक भी इसे सुरक्षित मानते हैं, इन्हीं कारणों से वृद्धावस्था में होने वाली डायबिटीज़, अर्थराइटिस, दिल के रोग, अवसाद जैसी बीमारियां कम उम्र में भी फैल रही हैं।
जीवनशैली में आये बदलाव के कारण लोगों में बीमारियां बढ़ती जा रही हैं और बढ़ती उम्र के साथ फिटनेस बरकरार रखना आसान नहीं। लेकिन आपका पसंदीदा खेल आपको आजीवन फिट रखने में भी आपकी मदद करते हैं। खेलों में जीतने या हारने से ज़्यादा महत्व रखता है मनोरंजन। आज बच्चे घर के अंदर खेलने जाने वाले खेलों को पसंद करते हैं और अभिभावक भी इसे सुरक्षित मानते हैं, इन्हीं कारणों से वृद्धावस्था में होने वाली डायबिटीज़, अर्थराइटिस, दिल के रोग, अवसाद जैसी बीमारियां कम उम्र में भी फैल रही हैं।
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खुशी रहते हैं आप
चाहे आप ग्रुप में खेल खेलें जैसे क्रिकेट या फुटबॉल या आप अकेले खेलें (तैराकी, साइकलिंग) हर तरह के खेल खेलते समय आपके शरीर में ऐसा हॉरमोन बनता है जिसे एंडोर्फीन कहते हैं। ये हॉरमोन हमारे दिमाग और मन को खुशी का एहसास दिलाता है। इसलिए खेलने के बाद हमारा मूड खुशनुमा हो जाता है और चिंता या तनाव दूर हो जाती है।
बढ़ता है आत्मविश्वास
जब हम किसी खेल को सीखने और उसमें जीतने के लिए मेहनत करते हैं तो हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है। हमे यह यकीन हो जाता है की हम ये खेल अच्छे से खेल सकते हैं और जीत भी सकते हैं। इससे हमारा जीवन की अन्य स्थितियों कि तरफ भी नज़रिया बदलता है और हम साहसी होके हर स्थिति का सामना करते हैं।
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बीमारियों से रहते हैं दूर
खेल-कूद में आगे बढ़ने के लिए स्वस्थ्य शरीर अनिवार्य है। जो लोग खेलते हैं वो अपने स्वास्थ्य का भी ज़्यादा ध्यान रखते हैं। अच्छे शरीर के लिए रोज़ कसरत करते हैं और उल्टा-सीधा खाने से दूर रहते हैं। अच्छी सेहत होने से बीमारियाँ जल्दी नहीं होती, शरीर सक्रिय रहता है और सभी जोड़ अच्छे से काम करते हैं। ऐसे लोग गलत आदतों से भी दूर रहते हैं जैसे शराब, सिगरेट या नशीले पदार्थ।
तनाव से मिलता है निजात
खेल में तो हार-जीत चलती रहती है। जब आप किसी खेल या मुक़ाबले में हार जाते हैं तो आपको अपनी कमियों का पता चलता है। आपको ये बात समझ आती है की हारना भी जीवन का एक हिस्सा है। हार जाने से जीवन समाप्त नहीं हो जाता बल्कि आपको अपने को सुधारने का एक और मौका मिलता है। जब हमारी सोच सकारात्मक हो जाती है तो हम असफलता से निराश नहीं होते हैं और तनाव और अवसाद से दूर रहते हैं।
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