शारीरिक दुर्बलता जैसी समस्याओं में बेहद फायदेमंद है सेफद अपराजिता, जानें शरीर को होने वाले इसके अचूक लाभ

अपराजिता एक ऐसा पौधा है, जो कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है, इसका इस्तेमाल कई रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है।   
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शारीरिक दुर्बलता जैसी समस्याओं में बेहद फायदेमंद है सेफद अपराजिता, जानें शरीर को होने वाले इसके अचूक लाभ

अपराजिता, जिसका वानस्पतिक नाम (Clitoria ternatea)है, ऐसा माना जाता है कि ये चीज बहुत से शारीरिक दुर्बलताओं को खत्म करने के लिए जानी जाती है। यह सफेद और नीले रंगों का होता है। नीली अपराजिता लोगों को आसानी से मिल जाती है लेकिन सफेद रंग की अपराजिता का मिलना दुर्लभ माना जाता है। श्वेत और नीले अपराजिता दोनों के गुण समान होते है। आयुर्वेद में अपराजिता को बहुत ही उपयोगी जड़ी बूटी के रूप में माना गया है। ये  एक ऐसा पौधा है, जिसके कई औषधीय उपयोग है और साथ ही ये  एक बहुत ही सुंदर घास से बनी होती है। आयुर्वेद के मुताबिक, अपराजिता का पौधा शरीर की संचार तंत्रिका और मनोवैज्ञानिक सिस्टम पर एक ही बहुत सुखदायक प्रभाव पड़ता है।

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अपराजिता, एक औषधी है, जिसका आयुर्वेद में अनेक रोगों के इलाज में प्रयोग होता आ रहा है। यह एक सुंदर सा दिखने वाला पौधा है, और इसके फूल का आकार गाय के कण जैसा होने से इसे गोकर्णिका भी कहा जाता है। दुनियाभर में अपराजिता पौधे के कई औषधीय रूपों में इस्तेमाल किया जाता हैं। अपराजिता पौधा सामान्य तौर पर पंचकर्म उपचार में प्रयोग किया जाता है। पंचकर्म उपचार शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर शरीर के संतुलित बनाने में मदद करता है। आयुर्वेद की मानें तो अपराजिता एक ऐसी जड़ी बूटी है, जिसे मेध्या श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाता है। 

अपराजिता पौधे के स्वास्थ्य लाभ 

मेध्या जड़ी बूटिया याददाश्त और लर्निंग जैसी चीजों को बेहतर बनाने में बहुत मदद करती है। इतना ही नहीं ये मस्तिष्क के विकास की समस्याओं और इम्पैरेड कॉग्निटिव फंक्शन जैसी समस्याओं से पीड़ित बच्चों के लिए बेहद फायदेमंद मानी जाती है। अपारिजता का प्रयोग डिटॉक्सिफिकेशन और मस्तिष्क की आल राउंड क्लीनिंग में भी काफी मदद करती है

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ऐसा माना जाता है कि अपराजिता शरीर के अंदर मौजूद विषाक्त पदार्थों के लिए ये एक ही बहुत प्रभावी उपचार है। इसके साथ-साथ इसका प्रयोग नर्वस सिस्टम को ठीक करने के लिए के लिए भी किया जाता है।

अपराजिता पौधे की जड़ का लेप बनाकर अक्सर त्वचा पर प्रयोग किया जाता है, जिससे चेहरे की चमक बढ़ती है। यह आंखों पर एक बहुत ठंडा प्रभाव डालती है साथ ही आंखों की रोशनी में सुधार करने में मदद करता है।

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अपराजिता पौधा स्माल पॉक्स जैसी बीमारी में भी फायदेमंद माना जाता है। इसके अलावा यह स्पर्म जनरेशन,बुखार, दस्त, गेस्ट्राइटिस, मतली, उल्टी, जैसी आम स्थितियों में कारगर माना जाता है। यह हृदय और श्वसन प्रणाली को मजबूत बनाने में भी मदद करता है। 

उदर, कफ विकार, ज्वर, मूत्रविकार, शोथ, नेत्ररोग, उन्माद, आमवात, कुष्ठ, विष विकार में अपराजिता का भी उपयोग होता है। 

आधासीसी जैसी समस्या से जूझ रहे लोगों को अपराजिता की जड़, फली, बीज को बराबर भाग में लेना चाहिए। सभी को पीस कर थोड़ा पानी मिलाएं और इसकी कुछ बूंदे नाक में डालें। ऐसा करने से इस रोग में फायदा होता है।

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अपराजिता में मौजूद दर्द निवारक, जीवाणुरोधी गुण होते है, जो दांतों के दर्द में आराम के लिए जाने जाते हैं। इसके लिए आप अपराजिता की जड़ का पेस्‍ट और काली मिर्च का चूर्ण को मिलाकर मुंह में रख लें।

गले के रोग (गलगण्ड) में श्वेत अपराजिता की जड़ का पेस्‍ट बनाकर उसमें घी अथवा गोमूत्र मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।

अपराजिता जड़ के चूर्ण को गर्म पानी या दूध के साथ दिन में 2 से 3 बार लेने से पेशाब में होने वाली जलन दूर होती है।

सोर्स (Dr Vaidya's, बीएएमएस आयुर्वेद, बीएएमएस आयुर्वेदिक डॉक्टर, गुजरात आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज (1998) की Qoura wall से )

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