Happy B'day Lisa Ray: कैंसर (मायलोमा) को भी मात दे चुकी हैं लीजा रे, जानिए इस बीमारी के बारे में

लीजा ने मुस्‍कुराते हुए कहा था कि "मुझे ब्लड कैंसर का पता चला था, जिसे लाइलाज माना जाता है और मैं अभी भी इस स्थिति में रह रही हूं," लीजा कहती हैं कि "कैंसर ने मेरे जीवन को इतने तरीकों से बदल दिया है। मैंने दुनिया भर में खासकर भारत से इतना समर्थन मिला है। आगे इस लेख में हम जानेंगे मायलोमा क्‍या है।
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Happy B'day Lisa Ray: कैंसर (मायलोमा) को भी मात दे चुकी हैं लीजा रे, जानिए इस बीमारी के बारे में


एक्‍ट्रेस लीजा रे का जन्‍म आज ही दिन यानी 4 अप्रैल को हुआ था। वह अपना 47वां जन्‍मदिन मना रही हैं। लीजा कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को लड़कर कर हाराया है। फिलहाल वह अपनी फैमिली के साथ एक हेल्‍दी लाइफ जी रही हैं। बताया जाता है कि अभिनेत्री लिसा रे, जिन्हें मायलोमा (कैंसर) से सफलतापूर्वक जूझना पड़ा था। उन्‍होंने 2015 में एक इंटरव्‍यू में खुलासा किया था कि वह इस रोग से लड़ रही हैं।

लीजा ने मुस्‍कुराते हुए कहा था कि "मुझे ब्लड कैंसर का पता चला था, जिसे लाइलाज माना जाता है और मैं अभी भी इस स्थिति में रह रही हूं," लीजा कहती हैं कि "कैंसर ने मेरे जीवन को इतने तरीकों से बदल दिया है। मैंने दुनिया भर में खासकर भारत से इतना समर्थन मिला है। आगे इस लेख में हम जानेंगे मायलोमा क्‍या है। 

 

लीजा रानी रे का फिल्‍मी सफर 

4 अप्रैल 1972  को कनाडा में जन्‍मी, लिजा रानी रे इंडियन कनैडियन एक्‍ट्रेस और मॉडल हैं। वह सोशल एक्टिविस्‍ट भी हैं। वह पहली बार 2005 में कनैडियन फिल्‍म वॉटर में दिखी थी, जिसका प्रीमियर टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में हुआ था। भारत में वह पहली बार तमिल फिल्‍म में दिखाई दी इसके बाद बॉलीवुड में कसूर फिल्‍म में आफताब शिवदासानी के साथ दिखी थी। वह फिल्‍म वीरप्‍पन में भी नजर आईं थी। 

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क्‍या है मायलोमा 

मल्टिपल मायलोमा कैंसर का ही एक रूप है जिसमें कैंसर कोशिकाएं बोन मैरो यानि अस्थि मज्जा में एकत्रित होने लगती है। इन अस्वस्थ कोशिकाओं की वजह से स्वस्थ कोशिकाएं प्रभावित होती हैं और धीरे-धीरे स्वस्थ कोशिकाओं की संख्या कम होने लगती है। इस रोग के कारण गुर्दे के रोगों की संभावना भी बढ़ जाती है क्योंकि ये कैंसर कोशिकाएं असामान्य प्रोटीन पैदा करने लगती हैं जो गुर्दे के काम में बाधा बनती हैं।

मल्टिपल मायलोमा का खतरा सबसे ज्यादा उन लोगों को होता है जिनका वजन सामान्य से ज्यादा होता है। इसके अलावा एल्कोहल पदार्थों का सेवन करने वालों को भी इस बीमारी का खतरा होता है।

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क्‍या है इलाज 

मल्टिपल मायलोमा ब्लड कैंसर का एक रूप है और ये बोन मैरो को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है इसलिए इस बीमारी की पहचान बोन मैरो की जांच, खून की जांच, लीवर और गुर्दे की सामान्य जांचों से हो जाती है। नार्मल कीमोथेरेपी के जरिए अब इस बीमारी को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है। वहीं बोन मैरो ट्रांसप्लांट से इसे पूरे तरह से ठीक किया जा सकता है।

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