पान के पत्तों की तरह दिखने वाले गिलोय के पत्ते एक तरह की बेल है। गिलोय के सेवन से हमारी इम्यूनिटी स्ट्रॉग होती है और शरीर बीमारियां से बचा रहता है। आयुर्वेद में तो गिलोय को बुखार की एक महान औषधि के रूप में माना गया है। पान के आकार के होने के कारण गिलोय की पत्तियों को आसानी से पहचाना जा सकता है।
गिलोय के बारे में आपने कभी न कभी किसी से जरूर सुना होगा। यहां तक कि हमारी मां और दादी तो पुराने बुखार या डेंगू जैसी गंभीर मामले में इसे लेने की सलाह देती है। जी हां गिलोय सबसे प्रभावी आयुर्वेदिक दवाओं में से एक है। यह इतनी गुणकारी होती है कि प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसे अमृता के रूप में जाना जाता है, इस बारहमासी जड़ी-बूटी को लगाना और इस्तेमाल करना बहुत ही आसान है।
गिलोय को चिकनगुनिया, डेंगू या नॉर्मल सभी तरह के बुखार की रामबाण औषधि माना जाता है। क्या सच में ऐसा होता है, यह जानने के लिए हमने शालीमार बाग स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल की डायटिशियन सिमरन सैनी से बात की। उनके अनुसार गिलोय या गुदुची एक जड़ी बूटी है जिससे आप प्राकृतिक रूप से कई रोगों का इलाज कर सकते हैं।
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गिलोय के पोषक तत्व
- डायटिशियन सिमरन के अनुसार, गिलोय एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है जो हमारी फ्री रेडिकल्स से रक्षा करता है और इम्यूनिटी को बढ़ाता है।
- यह शरीर को ठंडा रखता है जिससे बुखार कम करने में मदद मिलती है। साथ ही क्रोनिक फीवर जैसे डेंगू और चिकनगुनिया के लिए भी प्रभावी है।
- गिलोय का सेवन वाइट ब्लड सेल्स को रेगुलेट करने में मदद करते है।
- गिलोय में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेंटरी और अल्कालाइन गुण पाचन में मदद करते हैं।
- इसके अलावा यह अर्थराइटिस और अस्थमा के उपचार और टाइप -2 डायबिटीज के लिए ब्लड ग्लूकोज के स्तर को कम करने में मदद करता है।
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क्या शिशुओं और बच्चों को गिलोय दिया जाना चाहिए?
सिमरन के अनुसार, शिशुओं के लिए यह उचित नहीं है यह केवल 5 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए सुरक्षित है। बच्चों को एक दिन में 250 मिलीग्राम तक ही देना चाहिए।
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कहां से लें गिलोय?
गिलोय आपको आयुर्वेदिक दुकानों में पाउडर, जूस और कैप्सूल के रूप में आसानी से मिल जायेगा। या आप इसे घर में आसानी से उगा सकते है। बस अपनी स्थानीय नर्सरी से एक गिलोय स्टेम लेकर, इसे गमले में लग लें। यह बहुत तेजी से बढ़ता है, और आप घर में आसानी से इसकी पत्तियों को उबालकर रस बना सकते हैं।
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