सुनने की समस्या (बहरापन) से ग्रस्त विश्व के लाखों लोगों को चिकित्सक अब जीन थिरैपी की मदद से ठीक करने की तैयारी में हैं। नेचर मैगजीन में प्रकाशित हालिया अध्ययन में कहा गया है कि कान के अंदर की कोशिकाओं को फिर विकसित कर बहरेपन की समस्या से मुक्ति दिलाई जा सकती है। डा. जान ब्रिगांदे के नेतृत्व में अमेरिकी शोधकर्ताओं के एक दल ने इसके लिए चूहे पर प्रयोग किए। इसके तहत बालों की वृद्धि को नियंत्रित करने वाली कोशिका एटो 1 के जीन को गर्भ में पल रहे एक चूहे के कान के अंदरूनी हिस्से में प्रत्यारोपित कर दिया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि उसके कान में नई कोशिकाएं विकसित होने लगीं।
'डेली टेलीग्राफ' में ब्रिगांदे के हवाले से कहा गया है कि उन लोगों के लिए यह उत्साहवर्द्धक खबर है जिनकी सुनने की क्षमता कम हो गई है और कानों में झनझनाहट होती रहती है। उन्होंने कहा, 'हमें उम्मीद है कि एक दिन हम ऐसे मरीजों की सुनने की क्षमता फिर बहाल करने में समर्थ होंगे।'
रिपोर्ट में कहा गया है कि शोधकर्ताओं को अपने प्रयोग में कान के अंदरूनी हिस्से में बालों की वृद्धि नियंत्रित करने वाली नई कोशिकाएं विकसित करने में मदद मिली। सामान्य तौर पर ये संवेदनशील कोशिकाएं बदली नहीं जा सकतीं। इन्हीं कोशिकाओं की मदद से ध्वनि के स्पंदन को महसूस किया जाता है। उम्र अधिक होने, बीमारी या बहुत तेज आवाज के सुनने के कारण ये कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं।