पढ़ाई-लिखाई, नौकरी, बिजनेस हो या जिंदगी जीने के दूसरे जरूरी आयाम, आपकी अच्छी याददाश्त हर जगह आपको सफलता दिलाती है। मां-बाप बच्चों की याददाश्त बढ़ाने के लिए न जाने कितने प्रयास करते हैं। ज्यादातर लोगों को लगता है कि याददाश्त बढ़ाने के लिए सिर्फ अच्छा आहार ही पर्याप्त है इसलिए वो बच्चों को दूध, प्रोटीन शेक, मेवे और फल खाने के लिए प्रेरित करते हैं। ये सच है कि याददाश्त बढ़ाने में अच्छे आहार की थोड़ी भूमिका है लेकिन असल में याददाश्त बढ़ाना एक तरह की कला है। बचपन से ही अगर बच्चों के साथ कुछ दिमागी कसरतें की जाएं तो न सिर्फ उनकी याददाश्त अच्छी होती है बल्कि आप भी दिमागी रूप से मजबूत होते हैं। दिमाग के अलग-अलग हिस्से होते हैं और जिंदगी के हर पड़ाव पर सफलता पाने के लिए इन सभी हिस्सों का बराबर विकास जरूरी है। कुछ मां-बाप बच्चों पर पढ़ाई-लिखाई का जरूरत से ज्यादा दबाव बनाते हैं। इससे बच्चों के दिमाग का वो हिस्सा तो विकसित हो जाता है जहां पर तथ्यात्मक डाटा स्टोर होता है लेकिन कई बार वो हिस्से अविकसित रह जाते हैं जहां से हमें कला और व्यवहारिक जीवन का ज्ञान होता है। इसलिए बचपन से ही बच्चों के संपूर्ण दिमागी विकास के लिए उनके साथ इन दिमागी कसरतों को करना अच्छा होता है।
इसे भी पढ़ें:- बच्चे कर रहे किससे दोस्ती, इस पर रखें नजर
बच्चों से छोटी-छोटी बात पूछना और बताना
बाहर की दुनिया में हम दुकानें देखते हैं, लोग देखते हैं और शब्द सुनते हैं, जबकि छोटे बच्चे इन सबकी जगह रंग देखते हैं, शेप देखते हैं और आवाज की लय समझते हैं इसलिए जब भी बच्चों को बाहर ले जाएं उन्हें उनकी दुनिया के साथ-साथ अपनी दुनिया के बारे में भी बताएं। रेस्टोरेंट में खाना खाने गए हैं तो आप अगले दिन बच्चे से मिलने वाले लोगों के बारे में पूछें, खाने के टेस्ट के बारे में पूछें, लोगों के कपड़ों और दुकानों में मिलने वाले खिलौनों के बारे में पूछें, इससे चीजों को याद करने की उनकी मेमोरी तेज होगी और बाहर निकलने पर वो चीजों को ध्यान से देखेंगे।
टॉप स्टोरीज़
नंबर गेम
नंबर गेम से बच्चों की अंकीय याददाश्त अच्छी होती है। इसके तमाम रूप हो सकते हैं। आप बच्चों को कुछ अंक बता सकते हैं और ये कह सकते हैं कि वो उन्हें याद कर लें फिर अगले दिन अगर वो इसे उसी क्रम में सुनाते हैं, जिस क्रम में आपने उनको बताया था, तो आप उन्हें कुछ खास खाने को देंगे। इसी तरह आप उन्हें घर के सामान, लॉन के पौधे, घर की सीढ़ियां और गुल्लक के पैसे गिनने को कह सकती हैं। इससे बच्चों को अंको की सही समझ हो जाएगी और वे उन्हें आसानी से याद भी कर पाएंगे। इससे दिमाग थोड़ा विकसित होने पर बच्चे को आप घर का पता और पापा का मोबाइल नंबर आसानी से याद करवा पाएंगी।
इसे भी पढ़ें:- घर का महौल बनाता हैं बच्चों को झगड़ालू
प्लेसेज गेम
ये गेम आपके बच्चों को चीजों की सही जगह और पोजीशन याद करने में मदद करेगा। इसके लिए आप बच्चों के सामान को उनकी पहुंच वाली किसी गुप्त जगह पर छिपा दें और फिर बच्चों को थोड़ा-थोड़ा हिंट देकर उसे खोजने को कहें। आप इसका उल्टा भी कर सकती हैं। बच्चों को कहें कि वो अपने खिलौने किसी गुप्त जगह छिपाएं और आप उन्हें ढूंढें। इससे आपको ये पता होगा कि बच्चे का दिमाग घर की किन जगहों की ओर ज्यादा आकर्षित है। इससे अगली बार जब बच्चे से कोई सामान गुम हो जाए या वो रखकर भूल जाए तो आपको पता होगा कि वो कहां हो सकता है।
शब्दों और चित्रों का खेल
शब्दों और चित्रों के खेल से बच्चों में किसी चीज को देखकर तेजी से पहचानने का ज्ञान विकसित होगा। इसके लिए आप एक कॉपी पर ढेर सारे शब्द लिख लें और बच्चों से उनमें कोई विशेष अक्षर या विशेष शब्द ढूंढकर उसे हाईलाइट करने के लिए कहें। इसी तरह आप किसी पुरानी किताब से बच्चों को जानवरों, पक्षियों और चीजों के चित्र पहचानकर उन्हें कट करने को कह सकते हैं।
घर के काम
घर के छोटे-मोटे कामों में बच्चों को शामिल करने से उनका घरेलू ज्ञान बढ़ता है। गार्डन में पानी डालना, किचन में काम करने के दौरान जरूरी सामान पकड़ाना, फ्रिज से सामान निकालना, पानी का बॉटल भरना और अपनी गंदगी की खुद सफाई करना आदि ऐसे कई काम हैं जो बच्चे आसानी से कर सकते हैं। बच्चे वो नहीं करते जो आप उन्हें कहते हैं बल्कि बच्चे वो करते हैं जो आपको करते हुए देखते हैं। इसलिए काम को थोड़ा इंटेरेस्टिंग बनाकर बच्चों को सामने करेंगे तो बच्चे खुद ही उस काम को करने के लिए आगे आएंगे।
ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप
Read More Articles On Parenting In Hindi