सुनने की क्षमता में कमी आने के शुरुआती लक्षण बहुत साफ नहीं होते, लेकिन यहां ध्यान देने की बात यह है कि सुनने की क्षमता में आई कमी वक्त के साथ धीरे-धीरे और कम होती जाती है। ऐसे में जितना जल्दी हो सके, इसका इलाज करा लेना चाहिए। जब तक हमें पता चलता है कि हमें वाकई सुनने में कोई दिक्कत हो रही है, तब तक हमारे 30 फीसदी कोशिकायें नष्ट हो चुकी होती हैं और एक बार नष्ट हुए सेल्स हमेशा के लिए खत्म हो जाते हैं। उन्हें दोबारा हासिल नहीं किया जा सकता। बहरेपन के लक्षणों के बारे में विस्तार से पढ़ें।
कानो में सीटी बजना
अगर आपको फोन पर बात करते समय साफ सुनाई न दे या अचानक कानों में सीटी की आवाज सुनाई दे तो उसे हल्के तौर पर न लें। यह कानों की बीमारी एकॉस्टिक न्यूरोमा के लक्षण हो सकते हैं और इसे नजरअंदाज करने का नतीजा बहरेपन के रूप में सामने आ सकता है। एकॉस्टिक न्यूरोमा वास्तव में एक ट्यूमर होता है जिससे कैंसर तो नहीं होता, लेकिन यह श्रवण क्षमता को क्षींण करते-करते कई बार खत्म भी कर देता है। इसके और भी गंभीर नतीजे होते हैं। मुश्किल यह है कि इसके लक्षण इतने धीरे-धीरे उभरते हैं कि बीमारी का समय पर पता ही नहीं चल पाता।
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कान का बहना
बार-बार कान बहने को गंभीरता से लेना चाहिए। लंबे समय तक कान बहने की समस्या रहने से बहरापन भी हो सकता है। साल में यदि चार-पांच बार से अधिक टांसिल हों, सर्दी अधिक रहती हो, नाक की जगह मुंह से सांस ले रहे हों, कान में दर्द रहता हो, तो ईएनटी विशेषज्ञ की सलाह लें, क्योंकि यह कान की बीमारी के लक्षण हैं।
कान का वैक्स
कान के अंदर एक प्रकार का ऑयल बनता रहता है, जिसे सिटोमिन कहते हैं। यह कान की गंदगी को बाहर निकालने का काम करता है। अगर कान में सिटोमिन बनना कम या बंद हो जाता है तो कान में गंदगी जमनी शुरू हो जाती है, जिसे वैक्स कहते हैं।वैक्स के सूखने से कान में सड़न और पस बनना शुरू हो जाता है। अगर इसमें लापरवाही होती है तो पीड़ित को कम सुनाई देने लगता है। वहीं कान के पर्दे में छेद हो जाता है। बुखार और दूसरे प्रकार के संक्रमणों से भी कान के पर्दे में छेद हो जाता है।
कान लाल हो जाना
कान के खुजलाने से पीन, काड़ी, चाबी से खुरचने से या कान छेदने की असुरक्षित पद्धति से कान में संक्रमण हो सकता है। कुछ वस्तुएँ जैसे क्रीम, इत्र कान में उपयोग में आने वाली दवाइयों की एलर्जी से भी संक्रमण होता है। कान लाल हो जाता है, खुजली आती है एवं दर्द हो सकता है। ऐसे मरीजों को इन चीजों का उपयोग न करने की सलाह दी जाती है।
अन्य लक्षण
अस्थायी तौर पर यह कान में जमी मैल, खसरे, सिर पर लगी चोट, कान के परदे में डैमेज या किसी और कारण से भी हो सकता है। स्थायी रूप से ये परिवार में पहले से ही बहरेपन का होना या फिर, गर्भावस्था के दौरान किसी इन्फेक्शन के कारण हो सकता है।
सुनने की क्षमता बरकरार रखने के लिए आसन करना लाभप्रद है। सिंहासन, उष्ट्रासन, भुजंगासन, अनुलोम-विलोम प्राणायाम काफी प्रभावी हैं।
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