व्यस्तता और आपाधापी के बीच अमूमन दंपती अपना 'मी टाइम' भूलने लगे हैं। शेयरिंग न होने से दूरियां बढऩे लगी हैं। जरा सा वक्त दांपत्य को बड़े खतरे से उबार सकता है। जरूरी है कि रिश्ते के लिए समय निकालें, ताकि जिंदगी की राह में सचमुच हमराही बन सकेें। 'तुम्हारे पास मेरे लिए कभी समय नहीं होता', इस दौर के कपल्स की यह आम शिकायत होती है। शादी नई हो या पुरानी, एक-दूसरे के लिए वक्त निकालना जरूरी है। मगर वक्त की कमी तब ज्य़ादा खलती है, जब शादी नई हो और दंपती एक-दूसरे को समझने की प्रक्रिया से गुजर रहे हों। यूं तो यह छोटी सी शिकायत है, मगर कई बार इससे पार्टनर आहत महसूस करने लगता है।
समय का फर्क
अब जरा 30-35 साल पहले के कपल्स की जिंदगी के बारे में सोचें। कम ही स्त्रियां तब नौकरीपेशा थीं। लंबी दूरियां और ट्रैफिक जाम पार करके दफ्तर में 8-10 घंटे नहीं खपाने होते थे। उस पीढ़ी का जीवन इस लिहाज से सुकून भरा था। बहुत महत्वाकांक्षाएं नहीं थीं और गलाकाट प्रतिस्पर्धा भी नहीं थीं, इसलिए जीवन सहज था। पति-बच्चों को भेजने के बाद स्त्रियों का ज्य़ादा वक्त घरेलू कार्यों में बीतता था। संयुक्त परिवार थे। इसके अलावा शॉपिंग और बातें करने के लिए सहेलियां भी होती थीं। मगर आज एकल परिवार हैं। नौकरियों के लिए अपने शहरों से दूर दूसरे शहरों में बसे लोगों के सामाजिक संबंध भी उतने गहरे नहीं हो पाते। चूंकि अन्य रिश्तों से कट जाते हैं, इसलिए भी पति-पत्नी की एक-दूसरे से अपेक्षाएं बढ़ जाती हैं। वे अपेक्षाएं पूरी नहीं हो पातीं तो शिकायतें बढऩे लगती हैं।
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शिकायतें सुन तो लें
समय की कमी कपल्स के आपसी रिश्तों को ही नहीं, माता-पिता, बच्चों व अन्य लोगों से उनके रिश्तों को भी प्रभावित कर रही है। रिश्ते एक दिन में नहीं बनते-बिगड़ते हैं। यह लंबी प्रक्रिया होती है। रिश्तों में प्यार का एहसास जिंदा रखने के लिए एक-दूसरे को क्वॉलिटी टाइम देना जरूरी है। पार्टनर की शिकायत को नजरअंदाज करना भी ठीक नहीं। बेहतर शेयरिंग हो तो रिश्तों की ज्य़ादातर मुश्किलें दूर हो सकती हैं। हां, यह हो सकता है, पार्टनर की हर बात न मानी जा सके, लेकिन उसकी शिकायत को धैर्य से सुना जा सकता है। इसलिए रिश्तों के लिए थोड़ा समय जरूर निकालें। यह ऐसा निवेश है, जो भविष्य में संबंधों को खुशगवार बनाए रखेगा। कुछ टिप्स व्यस्त कपल्स के लिए-
- दिनचर्या सुव्यवस्थित रखें। सुबह जल्दी उठें और रात में जल्दी सोएं। सुबह एक घंटे पहले उठने से लोगों से बातचीत करने और काम निपटाने के लिए ज्य़ादा वक्त मिल सकता है। कम से कम वीकेेंड पर दिन भर सोते रहने के बजाय जल्दी उठें। पार्टनर के साथ समय बिताएं। साथ वॉक करें, एक्सरसाइज करें और घरेलू कार्यों में सहयोग दें। वीकेंड पर अच्छा सा ब्रेकफस्ट तैयार करके पार्टनर को सरप्राइज दें।
- एकल परिवार है तो एक-दूसरे की जिम्मेदारियां बांटें। दूसरे पर काम का बोझ बढ़ेगा तो उसके भीतर कुंठा बढ़ेगी। साथ समय बिताने का एक अर्थ एक-दूसरे का सहयोग करना भी है। समय-समय पर ऐसे सर्वे हुए हैं, जिनमें कहा गया है घरेलू कार्यों में एक-दूसरे का हाथ बंटाने वाले कपल्स औरों की तुलना में ज्य़ादा खुश रहते हैं।
- हफ्ते में कम से कम एक घंटा 'कपल टाइम' निकालें। इसमें काम, बच्चों की जिम्मेदारियां और दोस्तों को भूल जाएं और एक-दूसरे को क्वॉलिटी टाइम दें।
- खुशी के बहाने खोजें। बर्थडे, मैरिज एनिवर्सरी जैसी तारीखें याद रखें। एक-दूसरे के महत्व का एहसास कराते रहने के लिए छोटे-छोटे गिफ्ट्स और अवसरों का बड़ा महत्व होता है। कभी सरप्राइज डिनर डेट प्लान कर लें। वीकेंड पर कहीं आसपास पिकनिक या ट्रिप पर चले जाएं।

- शिफ्ट जॉब करने वाले कपल्स को रिश्ते पर ध्यान देना जरूरी है। हज़्बैंड की नाइट शिफ्ट हो तो पत्नी की जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं। सुबह थोड़ा वक्त साथ में जरूर बिताएं। नाइट शिफ्ट के बाद सुबह ऑफिस से लौट कर तुरंत सोने के बजाय कुछ देर पार्टनर के साथ बिताएं। सुबह घरेलू कार्य भी ज्य़ादा होते हैं। समय की कमी है तो हेल्पर रखें या फिर कुछ कामों को छोडऩा सीखें।
- रिश्ते में दोस्ती का भाव बनाए रखें। अच्छे दोस्त लड़ते-झगड़ते और प्यार करते हैं, गलती भूल कर मा$फ भी कर देते हैं और नि:शर्त दोस्ती निभाते हैं, हर अच्छी-बुरी बात शेयर करते हैं, बुरे व$क्त में साथ निभाते हैं। कपल्स के बीच ऐसा रिश्ता हो तो दूरियां खुद सिमट आती हैं।
- जो सुनता है-वह जीतता है। यह बात वैवाहिक रिश्ते पर पूरी तरह सही साबित होती है। धैर्यपूर्वक दूसरे की बात सुन लेने से भी कई शिकायतें दूर हो जाती हैं।
- व्यस्तता का असर निजी जिंदगी पर न पड़े, इसके लिए कोशिशें जरूरी हैं। खुद को मशीन न बनने दें। छोटी-छोटी खुशियों और भावनाओं को जिंदगी में बचाए रखें। पार्टनर को खुशी देने की मंशा हो तो समय की कमी इतनी बड़ी समस्या नहीं बन सकती।
- मन में घुटते रहना रिश्ते के लिए घातक हो सकता है। थोड़ी नोक-झोंक जरूरी है। लेकिन बहस अंतहीन झगड़े में न बदले, इसका भी ध्यान रखना चाहिए।
- उदारता, समझदारी, सम्मान और भरोसा हो तो रिश्ते से कभी शिकायत नहीं होगी। काम का दबाव, व्यस्तता जैसे बहाने रिश्ते की नींव को कमज़्ाोर करते हैं। हर कोई अपने सपनों को साकार करना चाहता है। सपनों के पीछे दौडऩा अच्छा है, मगर इन्हें हासिल करने के लिए रिश्तों को दरकिनार न करें, क्योंकि वे रिश्ते ही हैं, जो अंत तक साथ निभाते हैं।
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