जहां एक ओर सोमवार (24 मार्च) को पूरी दुनिया विश्व ने टीबी (तपेदिक) दिवस मनाया, वहीं दूसरी और एक शोध से कुछ चौंका देने वाले, गंभीर आंकड़े सामने निकल कर आए।
जी हां शोध से पता चला है कि चिकित्सा में सुधार और सरकार तथा सहायता एजेंसियों के प्रयासों के बावजूद भी 2011 से अब तक तपेदिक (टीबी) के शिकार होने वाले बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। शोधकर्ताओं ने बताया कि दुनिया भर में 2011 से अब तक टीबी के शिकार होने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई है।
बोस्टन में ब्रिघम एंड वूमेंस हॉस्पिटल (बीडब्ल्यूएच) और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल (एचएमएस) के शोधकर्ताओं का आंकड़ों और शोध के हिसाब से एक अनुमान लगाया है कि सालाना 10 लाख बच्चे टीबी का शिकार होते हैं। शोधकर्ताओं का अनुमान के हिसाब से है 32,000 बच्चे मल्टीड्रग रेसिस्टेंट टीबी (एमडीआर-टीबी) से ग्रस्त हैं।
हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के सहायक प्रोफेसर कोहेन ने बताया कि, "हमारा अनुमान है कि बच्चों में टीबी के कुल नए मामलों की संख्या, डब्ल्यूएचओ के 2011 के अनुमान की दोगुनी है।"
शोधकर्ताओं द्वारा किए शोध के नतीजे बताते हैं कि वर्ष 2010 में लगभग 10,00,000 बच्चों को टीबी था, जिनमें से 32,000 बच्चे एमडीआर-टीबी से ग्रसित थे। यह रिपोर्ट 'द लेंसेट' जर्नल में प्रकाशित हुई है।
गौरतलब है कि इस बीमारी से प्रभावित बच्चों में 40 प्रतिशत दक्षिण पूर्वी एशिया, जबकि 28 प्रतिशत अफ्रीका से हैं। लेन्सेट में प्रकाशित एक शोध में बताया गया है कि बच्चों में इस बीमारी का जोखिम ज्यादा होता है। हालांकि सही समय पर उपचार से इस पर काबू पाया जा सकता है।
शोध में कहा यह भी कहा गया है कि इस बीमारी से संक्रमित फेफड़ों की पहचान व इसके इलाज के लिए पर्याप्त धनराशि की जरूरत होती है।
Source: The Lancet, Motherboard
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