
वायु प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है। इससे न सिर्फ गंभीर रोगों का खतरा होता है बल्कि इंसान की जान भी जा सकती है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि वायु प्रदूषण के चलते हर साल करीब 70 लाख लोगों की असामयिक मौत हो जाती है, जिनमें 6 लाख सिर्फ बच्चे हैं। पयार्वरण और मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत डेविड आर. बॉयड ने यह जानकारी दी है। बॉयड ने कहा, छह अरब से अधिक लोग इतनी प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं, जिसने उनके जीवन, स्वास्थ्य और बेहतरी को खतरे में डाल दिया है। इसमें एक-तिहाई संख्या बच्चों की है। बॉयड ने जेनेवा में मानवाधिकार परिषद में कहा, कई साल तक प्रदूषित हवा में सांस लेने के कारण कैंसर, सांस की बीमारी या हृदय की बामारी से पीड़ित रहने के बाद, हर घंटे 800 लोग मर रहे हैं। फिर भी इस तरफ पर्याप्त ध्यान नहीं है, क्योंकि ये मौतें उस तरह नाटकीय नहीं हैं, जिस तरह अन्य आपदाओं या महामारी से होने वाली मौतें होती हैं।
उन्होंने कहा, वायु प्रदूषण को रोका जा सकता है। इसके साथ ही उन्होंने स्वच्छ हवा सुनिश्चित करने के लिए कानूनी दायित्वों को निभाने का आग्रह किया, जो जीवन, स्वास्थ्य, जल एवं स्वच्छता, उचित घर और एक स्वस्थ वातावरण के अधिकारों को पूरा करने के लिए जरूरी है। बॉयड ने कहा, अच्छी परंपराओं के कई उदाहरण हैं, जैसे भारत और इंडोनेशिया में चलाए जा रहे कार्यक्रम। इनके जरिये लाखों गरीब परिवारों को खाना पकाने की स्वच्छ प्रौद्योगिकी अपनाने में मदद मिली और कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों को सफलतापूर्वक हटाया जा रहा है।
वायु प्रदूषण से बचाते हैं ये प्रणायाम
अनुलोम-विलोम प्राणायाम में नाक के दाएं छिद्र से सांस खींचते हैं, तो बायीं नाक के छिद्र सेसांस बाहर निकालते है। इसी तरह यदि नाक के बाएं छिद्र से सांस खींचते है, तो नाक के दाहिने छिद्रसे सांस को बाहर निकालते हैं। इस क्रिया को पहले 3 मिनट तक करे और बाद में इसका अभ्यास 10 मिनट तक करे। इस प्रणायाम को आप खुली हवा में बैठकर करे।रोज़ाना इस योग को करने से फेफड़े शक्तिशाली बनते है।इससे नाडिया शुद्ध होती है और शरीर स्वस्थ, कांतिमय और शक्तिशाली बनता है।
इसके लिए पालथी लगाकर सीधे बैठें, आंखें बंदकर हाथों को ज्ञान मुद्रा में रख लें। ध्यान को सांस पर लाकर सांस की गति को अनुभव करें और अब इस क्रिया को शुरू करें। इसके लिए पेट के निचले हिस्से को अंदर की ओर खींचे व नाक से सांस को बल के साथ बाहर फेंके। यह प्रक्रिया बार-बार इसी प्रकार तब तक करते जाएं जब तक थकान न लगे। फिर पूरी सांस बाहर निकाल दें और सांस को सामान्य करके आराम से बैठ जाएं। कपालभाति के बाद मन शांत, सांस धीमी व शरीर स्थिर हो जाता है। इससे खून में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़कर रक्त शुद्ध होने लगता है।
सुखासन या पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं। आंखें बंद रखें। बाएं हाथ को बाएं घुटने पर ष्ज्ञान मुद्रा में रखें, फिर दाएं हाथ की अनामिका से बाएं नासिका के छिद्र को दबाकर बंद करें। फिर दाई नासिका से जोर से श्वास अन्दर लें। अपनी क्षमता अनुसार श्वास रोकने का प्रयास करें। फिर दाएं नासिका के छिद्र को बन्द कर बाएं नासिका छिद्र से श्वास निकाले। प्रारम्भ में इसके कम से कम 10 चक्र करें और धीरे-धीरे जब आप अभ्यस्त हो जाएं तो इसके चक्र बढ़ा लें। शुरू-शुरू में अभ्यासी इस प्राणायाम को करते वक्त सिर्फ दाई नासिका से सांस लें और बाई नासिका से निकाले। सांस रोकने का अभ्यास न करें। इस प्राणायाम के अभ्यास से दमा, वात, कफ रोगों का नाश होता है।
सामान्य स्थिति में बैठकर गहरी सांस लें। अब पूरी सांस को तीन बार रोकते हुए बाहर छोड़ें। शरीर से हवा पुश करने के लिए अपने पेट और डायाफ्राम का इस्तेमाल करें। लेकिन, ध्यान रखें श्वांस छोड़ना आपके लिए किसी भी स्थिति में असहज न रहे। अपनी ठोडी को अपने सीने से स्पर्श करें और अपने पेट को पूरी तरह से अंदर और थोड़ा ऊपर की ओर खींच लें।अपनी क्षमता के हिसाब से इस स्थिति में बैठे रहें। फिर अपनी ठोडी धीरे से ऊपर उठाएं और धीरे-धीरे में सांस लें। फेफड़ों को पूरी तरह से हवा से भर लें। तीन बार इस प्रक्रिया को दोहराएं।
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