यदि आप टाइप-2 डायबिटीज के रोगी हैं और इसके खतरों से बचाव चाहते हैं तो आपके लिए जूस की बजाय फल खाना ज्यादा फायदेमंद साबित होगा। जामुन, सेब और अंगूर का सेवन आपका डायबिटीज के खतरों से बचाव करता है।
ब्रिटिश मेडिकल पत्रिका 'डायबिटीज यूके' में प्रकाशित एक अध्ययन में डायबिटीज रोगियों को फलों के सेवन का सुझाव दिया गया है। ब्रिटेन में फलों के सेवन और डायबिटीज पर हुए ताजा शोध में यह बात सामने आई है। अध्ययन में बताया गया है कि जामुन डायबिटीज के जोखिम को लगभग 26 फीसदी तक कम कर देता है।
जामुन से इतर अन्य फलों का हफ्ते में तीन बार या इससे अधिक सेवन डायबिटीज के खतरों को दो फीसदी तक कम करता है। फलों के जूस में इस तरह का गुण नहीं पाया जाता। हावर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रो. क्वी सून के अनुसार जूस को शरीर आसानी से सोख लेता है, जिससे शुगर रोगियों में ब्लड शुगर और इंसुलिन का स्तर बढ़ जाता है। इसलिए जूस पीने की बजाय फल खाने की कोशिश करें।
ब्रिटेन, अमरीका और सिंगापुर के शोधकर्ताओं ने इसके लिए अमरीका में नर्सों और स्वास्थ्य कर्मियों के उस अध्ययन के आंकड़ों का इस्तेमाल किया, जिसमें उन्होंने फलों की खपत और टाइप-2 डायबिटीज के जोखिम के संबंध के बारे में पता किया था। इस शोध में अमरीका के एक लाख 87 हजार से ज्यादा लोगों का खानपान देखा गया।
अध्ययन में हिस्सा लेने वाले साढ़े छह फीसदी लोगों (यानी कुल 187,382 में से 12,198) में टाइप-2 डायबिटीज विकसित होती देखी गई। अध्ययन में लोगों से हर चार साल पर उनके खानपान पर सवाल पूछे गए कि वो किसी फल को औसतन कितनी बार खाते हैं।
अध्ययन में जिन फलों को शामिल किया गया उनमें अंगूर, आड़ू, आलू बुखारा या खुबानी, सूखे बेर, केला, खरबूजा, सेब या नाशपाती, संतरे, मौसमी, स्ट्रॉ़बेरी और जामुन शामिल थे। शोधकर्ताओं ने जब आंकड़ों का विश्लेषण किया तो पाया कि हफ्ते में अगर तीन बार जामुन, अंगूर या किशमिश, सेब या नाशपाती का सेवन किया जाए तो टाइप-2 डायबिटीज का जोखिम कम हो जाता है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इन फलों में एंथोसाइनिंस का स्तर ज्यादा होता है। जब इसे चूहे को दिया गया तो उनमें ग्लूकोज बढ़ा पाया गया। इन फलों में नैसर्गिक तौर पर पॉलीफेनोल्स भी होते हैं, जिनका असर काफी फायदेमंद होता है।
अध्ययन में उन्होंने यह भी कहा कि फलों में बड़ी संख्या में फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट्स और दूसरे न्यूट्रीटेंस के अलावा पॉलीकेमिकल्स जैसे अलग-अलग तत्व होते हैं, जो एक साथ मिलकर जोखिम को कम करते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि फलों का जूस लेने से टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
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