सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय न्यास की ओर से सोमवार को यहां 'डाउन सिंड्रोम' पर करवाए गए राष्ट्रीय सम्मेलन में विशेषज्ञों ने कहा कि डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों में बौद्धिक विकास प्रभावित हो जाता है। विशेषज्ञों ने बताया, 'डाउन सिंड्रोम क्रोमोसोम से जुड़ा विकार है। इससे पीड़ित बच्चों में सीखने की क्षमता कम होती है और उनमें व्यवहार संबंधी समस्याएं भी होती हैं।' सम्मेलन में डाउन सिंड्रोम के बारे में लोगों में जागरूकता लाने के लिए इससे पीड़ित बच्चों और उनके माता-पिता को भी आमंत्रित किया गया था।
सम्मेलन का उद्घाटन राष्ट्रीय न्यास के अध्यक्ष डॉ. कमलेश कुमार पांडे ने किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय न्यास के संयुक्त सचिव और मुख्य कार्यकारी अधिकारी मुकेश जैन, डाउन सिंड्रोम फेडरेशन ऑफ इंडिया की अध्यक्ष डॉ. सुरेखा रामचंद्रन और डाउन सिंड्रोम के पर कार्य करने वाले लोग भी मौजूद थे। इस मौके पर डाउन सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति के जीवन पर आधारित 'टवीटलाइट्स चिल्ड्रन' नाम की पुस्तक का भी विमोचन किया गया। 19 दिसंबर, 2011 को संयुक्त राष्ट्र आम सभा ने 21 मार्च को विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस मनाने की घोषणा की थी।
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समझदारी से काम लें पेरेंट्स
- पेरेंट्स को जरूरत है कि वे ऐसे मौके पर परेशान होने के बजाय तसल्ली से काम लें। बच्चे की इस अवस्था को लेकर मन में अपराध की भावना न पनपने दें। बल्कि इसके इलाज के बारे में समझदारी से निर्णय लें।
- ऐसे मौके पर तर्कसंगतता बहुत जरूरी है। गुमराह करने वाली सलाहों और चमत्कारी इलाज के झांसे में वक्त बर्बाद न करें। किसी अच्छे डॉक्टर से सलाह लें।
- जरूरत से ज्यादा बच्चे की फिर्क करना भी सही नहीं है। ओवर प्रोटेक्शन बच्चे की मदद के बजाए उसकी स्वाभाविक बढ़त और विकास में बाधा पहुंचा सकता है।
- दूसरे बच्चे से अपने बच्चे की तुलना करने की भूल भी न करें।
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