प्रेगनेंसी में मछली खाने से संबंधित काफी सारी उलझनें और प्रश्न प्रेगनेंट महिलाओं को परेशान करते हैं।
प्रेगनेंसी में मछली खाना
प्रेगनेंसी के दौरान यह बात हर प्रेगनेंट महिला के लिए एक बहुत बड़ी समस्या बन जाती है। हर कोई जानता है कि मछली ओमेगा-3 फैटी एसिड, प्रोटीन और आयरन का अच्छा स्रोत है जो की बच्चे के दिमाग और आंखों के लिए फायदेमंद होता हैं। जबकि दूसरी तरफ मछली मर्करी का भी सबसे बड़ा स्रोत है जो कि शिशु के लिए जहर का काम करता है, जिस कारण डॉक्टर गर्भावस्था में मछली ना खाने की हिदायत देते हैं। इस मेटल की बहुत बड़ी मात्रा शिशु के दिमाग औऱ नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचा देती है। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रेगनेंसी में कुछ मछलियों को खाया जा सकता है। लेकिन हानिकारक और नुकसानदायक मछलियों में अंतर कर पाना काफी मुश्किल होता है।
मछली खाने के फायदे
मछली ना खाना सही है लेकिन मछलियों को पूरी तरह ना बोल देना भी प्रगनेंसी में नुकसानदायक है। प्रेगनेंसी में एक हफ्ते में 12 औंस तक मछली खाना जरूरी है। इससे महिला और शिशु दोनों को जरूरी प्रोटीन और आयरन मिलते हैं। प्रेगनेंट महिला को दिन में 27 मिलीग्राम आयरन की जरूरत होती है जो उसे एनिमिया से बचाता है। 71 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है जो शिशु को बढ़ने और महिला की शारीरिक बदलावों को पूरा करने में मदद करता है। इतनी मात्रा में प्रगनेंट महिला को आयरन और प्रोटीन का मिलना जरूरी है औऱ मछली प्रोटीन व आयरन का अच्छा स्रोत है।
प्रेगनेंट महिला और बच्चे को ओमेगा-3 फैटी एसिड की भी जरूरत होती है। ओमेगा-3 फैटी एसिड बच्चे के हृद्य को सुरक्षित रखने के लिए और मस्तिष्क के विकास के लिए जरूरी है। ओमेगा-3 फैटी एसिड, सीफुड में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
मछली खाने के नुकसान
मछली और सीफुड में मिथाइल मर्करी बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। मिथाइल मर्करी भ्रुण के मस्तिष्क, नर्वस सिस्टम और किडनी को क्षति पहुंचाता है। यह एक जहरीला रसायन है जो प्लासेंटा के जरिये भ्रुण तक जाकर उसको नुकसान पहुंचाता है। कुछ मछलियों में मिथाइल मर्करी अधिक पाया जाता है जिन्हें प्रेगनेंसी के दौरान नहीं खाना चाहिए।
क्या खाएं औऱ ना खाएं
कोड, टिलापिआ, साल्मन, कैटफिश, क्रैब, श्रिम्प जैसे सीफुड प्रगनेंसी के दौरान खा सकते हैं। वहीं शार्क, स्वॉर्डफिश, रॉ फिश, टिलफिश जैसी मछलियां नहीं खानी चाहिए।
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