जब आपका पार्टनर आपसे बेवफाई करे तो खुद को दोषी समझने की बजाय परिस्थितियों का डटकर सामना करें और उससे खुलकर बात कर किसी निष्कर्ष पर पहुंचे। किसी भी रिश्ते की शुरूआत विश्वास से होती है खासकर प्यार में। प्यार का दूसरा नाम ही विश्वास है और यही विश्वास मजबूत करता है रिश्तों की डोर। जहॉ विश्वास नहीं वहां प्यार भी नहीं हो सकता। इसलिए अगर आप किसी से प्यार करते हैं तो आपको उसपर विश्वास भी करना होगा।
लेकिन, जब कभी विश्वास टूटता है तो ढह जाती है रिश्तों की पूरी इमारत। और जब वफा के वादों पर पड़ता है बेवफाई का साया, तो हर तरफ बस अंधकार ही अंधकार दिखाई देता है। अगर आपका साथी भी आपसे बेवफाई कर रहा है तो दूर तक की सोचकर फैसला करें, खुद को दोष मत दें, खुद को अपने मित्रों और परिवार से अलग-थलग मत करें, प्रोफेशनल काउंसलिंग की मदद लें इस प्रकार के उपाय अपनाकर आप अपने साथी द्वारा दी गई बेवफाई का सामना कर सकते हैं। आइए हम आपको बताते है बेवफाई का सामना करने के टिप्स।
दूर तक की सोचकर फैसला करें
अपने लिए कुछ बेहतर समय निकालें और अपनी भावनाओं को किनारे रखकर ऐसा निर्णय लेने की सोचें जिस पर आप कायम रह सकें। यदि आप शादीशुदा हैं तो आपको ज़्यादा सोचना होगा कि आप अपने बच्चों के भविष्य की सोचकर शादी बचाए रखना चाहते हैं या अपनी निजी ज़रूरतों पर महत्व देंगे। ऐसा सम्बन्ध बाद में फिर से सामान्य नहीं रह पाता चाहे धोखा देने वाला पार्टनर कसम उठाए कि अब वह कभी बेवफाई नहीं करेगा।
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खुद को दोष मत दें
यदि आपका साथी आपको धोखा देता है तो आपको खुद को दोष देना नासमझी है इसलिए ऐसा मत करें। इसके लिए आप नहीं बल्कि रास्ते से भटकने वाला आपका साथी ही जवाबदेह माना जाएगा।
खुद को अपने मित्रों और परिवार से अलग-थलग मत करें
अपने आप को अपनी ही नजरों में दया का पात्र न बनाएं और खुद को मित्रों, परिवार से काटें नहीं। इसमें नीचापन महसूस करने या भावनात्मक परेशान होने की कोई बात नहीं है यदि आपके साथी ने आपको धोखा दे दिया है, इसमें आपकी तो कोई गलती है ही नहीं, फिर खुद को दोष क्यों दिया जाए? मित्र और परिवार के लोग आपके मददगार हो सकते हैं और आपको इस परिस्थिति का बेहतर सामना करने की ताकत दे सकते हैं और आपको विवेकसम्मत और पक्षपातरहित सलाह दे सकते हैं। ऐसे लोगों की नियत पर हरदम शक नहीं करना चाहिए जो मदद को आगे आएं।
खुद को सजा मत दें
अपने स्वास्थ्य की उपेक्षा करके और साथी के भटकाव के लिए खुद को जिम्मेदार मानकर खुद को सजा मत दें। अपनी रोष, आहत होने की और अनिश्चय की विभिन्न भावनाओं को स्वीकार करना सीखें। अपने खाने-पीने, बाहर जाने, सोने-जागने की दिनचर्या को सामान्य बनाए रखें। किसी मित्र को बुलाएं या अपनी पसंदीदा पुरानी जगह पर जाएं।
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इस पर बात करें
अपनी भावनाओं को काबू में रखते हुए अपने साथी से बात करें कि इस शादीशुदा जीवन में गलती कहां पर हुई। यदि वह आपको दोषी ठहराए तो तुरंत उग्र प्रतिक्रिया न करें क्योंकि अधिकांश धोखेबाज लोग जानबूझकर उल्टे-सीधे आरोप लगाते हैं लेकिन समझदार समस्याओं पर सोचने की कोशिश करते हैं और अर्थ निकालते हैं चाहे वे सही हों या नहीं। यदि आपके बच्चे हैं तो उनके प्रति ईमानदार बनें क्योंकि आप अपनी भावनाओं को उनसे छिपा नहीं सकते। बच्चे हमारी उम्मीदों से अधिक संवेदनशील और समझदार होते हैं और समझ जाते हैं कि कुछ गलत हुआ है। उनको ज़्यादा विवरण मत बताएं न और ही उनपर ऐसा कोई प्रभाव डालें या ऐसा वादा करें जो आप निभा न सकें।
प्रोफेशनल काउंसलिंग की मदद लें
परिस्थिति से बेहतर निबटने के लिए उपचार कराएं या प्रोफेशनल काउंसिलिंग की मदद लें और निष्पक्ष नजरिया कायम करें। ऐसे किसी संकट के बाद के तनाव का सामना प्रोफेशनल की मदद से भी किया जा सकता है।
सम्बन्ध समाप्त करने के अपने फैसले पर अडिग रहें
यदि आपने सम्बन्ध समाप्त करने का फैसला कर लिया है तो अपने फैसले पर कायम रहें। अपने भविष्य को लेकर आशावादी और व्यावहारिक नज़रिया अपनाएं। अपनी निजी जरूरतों जैसे रूपया-पैसा, मकान और यदि बच्चे हों, तो उन पर भी ध्यान देना शुरू करें। इसे भूलकर अपनी जिंदगी से बाहर निकाल देना ही आपके लिए बेहतर साबित होगा।
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