बच्चे हों पियर प्रेशर का शिकार, तो इस तरह समझाएं उन्हें

बच्चे पियर प्रेशर का शिकार हो जाते हैं। आमतौर पर 11 से 15 साल तक के बच्चों पर दोस्तों का दबाव अधिक होता है। पियर प्रेशर के कारण बच्चों में कई गलत आदतें घर कर जाती हैं
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बच्चे हों पियर प्रेशर का शिकार, तो इस तरह समझाएं उन्हें

बच्चे हों या बड़े अपने आसपास की चीजों से सभी प्रभावित होते हैं। बच्चों में चूंकि किसी चीज को गहराई से समझने की क्षमता कम होती है इसलिए वो इससे ज्यादा प्रभावित हो जाते हैं। इस तरह का प्रभाव बच्चों पर कई बार सकारात्मक होता है तो कई बार नकारात्मक भी होता है। बच्चे सबसे ज्यादा अपने परिवार और दोस्तों से प्रभावित होते हैं। दोस्तों का ये प्रभाव कई बार सकारात्मक होता है जिससे बच्चों में अच्छी आदतें आती हैं और वो एक्सट्रा करिकुलर एक्टिविटीज की तरफ भी ध्यान देते हैं। जबकि कई बार ये प्रभाव नकारात्मक होता है और बच्चे पियर प्रेशर का शिकार हो जाते हैं। आमतौर पर 11 से 15 साल तक के बच्चों पर दोस्तों का दबाव अधिक होता है। पियर प्रेशर के कारण बच्चों में कई गलत आदतें घर कर जाती हैं जैसे क्लास बंक करना, पैरेंट्स से झूठ बोलना, चोरी करना, स्मोकिंग करना आदि। लेकिन अगर बच्चों को समझाया जाए और कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो बच्चों के दिमाग से पियर प्रेशर निकाला जा सकता है।

बच्चों को गलती करने पर मारें मत

मां-बाप बचपन से ही छोटी-छोटी गलतियों पर उन्हें मारते-पीटते हैं जिनसे बच्चे बाद में अपनी गलतियों को आपसे बताने से डरते हैं और झूठ बोलना सीख जाते हैं। अगर बच्चा कोई गलती करता है तो उसे समझाएं और जरूरी हो तो थोड़ा सा डांटें मगर बच्चों को मारना-पीटना ठीक नहीं है। अगर बच्चा कोई बड़ी गलती भी करता है तो उसे अन्य प्रकार से सजा दी जा सकती है जैसे उसकी पॉकेट मनी में थोड़ी कमी करके या वीकेंड पर कहीं बाहर न जाने की सजा आदि।

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बच्चों का भरोसा जीतें

पियर प्रेशर में बच्चे जब गलत काम करते हैं तो घर पर इसलिए ही नहीं बता पाते हैं क्योंकि उन्हें अपने पैरेंट्स पर भरोसा नहीं होता है। अगर आप बच्चों का भरोसा जीत लेते हैं तो मुमकिन है कि बच्चे अपनी गलतियों को बताने की हिम्मत कर सकें। बच्चों का भरोसा जीतने के लिए जरूरी है कि आप जितना उन्हें बचपन से गलतियों पर टोकते हैं उससे कहीं ज्यादा अच्छे काम के लिए उनका प्रोत्साहन करें और इसके लिए उन्हें कुछ न कुछ उपहार देते रहें।

बच्चों से बात करें

आजकल ज्यादातर मां-बाप अपने ऑफिस और निजी जिंदगी में इतने व्यस्त होते हैं कि उन्हें बच्चों से ठीक से बात करने का भी समय नहीं मिलता है। इस वजह से बच्चे मां-बाप से उतना जुड़ाव नहीं महसूस कर पाते जितना उन्हें करना चाहिए। अगर मां-बाप बच्चों से जुड़े रहेंगे और उनसे बात करेंगे तो बच्चे अपनी परेशानियां उन्हें बताएंगे अन्यथा वो इसे किसी के साथ शेयर नहीं करेंगे।

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बच्चों के व्यवहार में परिवर्तन को समझें

बच्चों के व्यवहार में अगर अचानक से कोई परिवर्तन आ जाए, वो चिड़चिड़े हो जाएं या उदास रहने लगें तो उनसे इस बारे में बात करें। जरूरी हो तो बच्चों के दोस्तों से भी बात करें और उनके व्यव्हार परिवर्तन के बारे में पूछें। इस तरह बच्चों के उदासी की वजह कई बार दोस्तों का दबाव या किसी तरह की अन्य समस्या हो सकती है।

बच्चों को स्वतंत्र चुनाव करना सिखाएं

बच्चे अक्सर दोस्तों के प्रेशर में कई ऐसी गलतियां कर जाते हैं जिनकी वजह से उन्हें जीवन भर पछताना पड़ सकता है। आमतौर पर कैरियर के चुनाव में बच्चों में पियर प्रेशर बहुत देखने को मिलता है। दोस्तों के दबाव में वो अपनी पढ़ाई और कैरियर में ऐसी चीजें चुन लेते हैं जिनमें उनका दिल नहीं लगता मगर उनका दोस्त ऐसा कर रहा होता है इसलिए वो भी ऐसा ही करते हैं। लेकिन बच्चों में शुरुआत से ही अगर स्वतंत्र चुनाव करने की आदत विकसित करेंगे तो बच्चे बाद में इस तरह की गलतियां नहीं करेंगे।

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