सामान्यतौर पर एक शिशु के दांत चार से छह महीने के बाद आने शुरू हो जाते हैं। पहली बार दांत निकलने के दौरान शिशुओं को मसूड़ों में काफी दर्द होता है। मसूड़ों के दर्द के दौरान शिशु बहुत ही चिड़चिड़े हो जाते हैं और हमेशा रोते रहते हैं। साथ ही इस मसूड़े के दर्द से बचने के लिए शिशु कुछ ना कुछ मुंह में डालकर चबाने लगते हैं। जिससे मसूड़ों में दबाव पड़ने से उन्हें आराम मिलता है। शिशु के मुंह में कुछ भी डालने की आदत के कारण कई अभिभावक उन्हें प्लास्टिक या रबड़ के टीथर दे देते हैं जो कि गलत है।
कभी ना दें प्लास्टिक के टीथर
शिशुओं को प्लास्टिक या रबड़ के टीथर कभी नहीं देने चाहिए। प्लास्टिक के टीथर को लगातार चबाने से शिशुओं के मसूड़ों में कई बार कट लग जाता है जिससे उन्हें घाव भी हो जाते हैं। अगर घाव भी नहीं होते हैं तो भी बच्चों को प्लास्टिक या रबड़ के टीथर ना दें। लो ग्रेड प्लास्टिक या रबड़ के टीथर में केमिकल या पेन्ट होता है जो कि शिशुओं को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में शिशुओं को केवल नैचुरल टीथर ही दें।
नैचुरल टीथर
- नैचुरल टीथर में गाजर, मूली, चुकंदर का एक पीस ... आदि कुछ भी हो सकता है।
- नैचुरल टीथर प्लास्टिक या रबड़ के टीथर की तुलना में काफी अच्छा होता है-
- नैचुरल टीथर सुरक्षित और प्राकृतिक होते हैं।
- बच्चों को किसी भी तरह का केमिकली नुकसान नहीं पहुंचाते।
- ये कड़क होते हैं जिससे मसूड़ों में अच्छी तरह से दबाव बनता है।
फ्रोजेन गाजर का स्टिक दें
बच्चों को नैचुरल टीथर के तौर पर फ्रोजेन गाजर का स्टिक दें। इसके लिए गाजर को साफ कर, स्क्रैप कर, काट लें और थोड़ी देर के लिए फ्रिज में रख दें। लेकिन गाजर की स्टिक हमेशा मोटी दें। जिससे शिशु उसे तोड़ें नहीं और बहुत देर तक मसूड़ों के बीच चबाते रहें।
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